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Wednesday 3 May 2023 01:13:41 PM
नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा में चलरहे चुनाव प्रचार-प्रसार अभियान के स्तर में गिरते स्तर को गंभीरता से लेते हुए चुनाव आयोग ने सभी राष्ट्रीय एवं राज्य के दलों और उम्मीदवारों को प्रचार के दौरान अपने बयानों में सावधानी व संयम बरतने और चुनाव के माहौल को खराब न करने की सलाह दी है। आयोग का ध्यान हाल हीमें व्यक्तियों द्वारा विशेष रूपसे स्टार प्रचारक के रूपमें वैधानिक दर्जा वाले लोगों के चलरहे अभियान के दौरान उपयोग की जानेवाली अनुचित शब्दावली और बोली के मामलों की ओर दिलाया गया है। इस तरह के मामलों ने विभिन्न शिकायतों एवं एकदूसरे केप्रति शिकायतों को जन्म दिया है और नकारात्मक मीडिया का ध्यान भी आकर्षित किया है। इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सभी राजनीतिक दलों को सख्त अनुपालन केलिए जारी कीगई चेतावनी में चुनाव आयोग ने कहाकि राष्ट्रीय दलों और स्टार प्रचारकों को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के भीतर अतिरिक्त सक्षमता का अधिकार मिलता है।
चुनाव आयोग ने कहाकि सभी पार्टियों और हितधारकों केलिए चुनाव प्रचार के दौरान आदर्श आचार संहिता और उनके बयानों में कानूनी ढांचे के दायरे में रहना अनिवार्य है, ताकि राजनीतिक संवाद की गरिमा को बनाए रखा जा सके और चुनावी अभियान का माहौल खराब न हो सके। इस प्रकार अपेक्षा की गई हैकि वे मुद्दे पर आधारित बहस के स्तर को बनाए रखने और बढ़ावा देने में योगदान दें, अखिल भारतीय परिप्रेक्ष्य प्रदान करें, स्थानीय संवाद को गहराई प्रदान करें और निर्वाचकों के सभी वर्गों को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में पूरी तरह से और निडर होकर भाग लेने केलिए आश्वस्त करें। निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों का ध्यान आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों और अन्य वैधानिक प्रावधानों की ओर आकृष्ट किया है, जो क्षेत्र में सक्रिय हैं और अपेक्षित अभियान भाषण की रूपरेखा तय करते हैं। चुनाव आयोग ने नोट कियाकि आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों के अनुसार उकसावा और भड़काऊ बयानों का उपयोग, शालीनता की सीमा का उल्लंघन करने वाली असंयमित और अपमानजनक भाषा का उपयोग और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के व्यक्तिगत चरित्र और आचरण पर हमले से सबके लिए समान अवसर की परंपरा को दूषित करते हैं।
आदर्श आचार संहिता की भावना केवल प्रत्यक्ष उल्लंघन से बचना नहीं है, बल्कि यह विचारोत्तेजक या अप्रत्यक्ष बयानों या आक्षेपों के माध्यम से निर्वाचन के माहौल को दूषित करने के प्रयासों पर भी रोक लगाती है। आदर्श आचार संहिता के प्रावधान केतहत खंड 3.8.2 (ii) में कहा गया हैकि किसी कोभी ऐसी किसीभी गतिविधि में शामिल नहीं होना चाहिए या ऐसा कोई बयान नहीं देना चाहिए, जो किसीभी व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन पर हमला करने केलिए हो या ऐसे बयान, जो दुर्भावनापूर्ण या शालीनता और नैतिकता को ठेस पहुंचा सकता है। खंड 4.3.1 में कहा गया हैकि राजनीतिक दल और उम्मीदवार निजी जीवन के सभी पहलुओं की आलोचना से दूर रहेंगे, जो अन्य दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से जुड़ा नहीं है, इसमें यह भी प्रावधान है कि कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा, जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ा सकती है या आपसी नफरत पैदा कर सकती है या तनाव पैदा कर सकती है। खंड 4.3.2 में बताया गया हैकि चुनाव अभियान के उच्चस्तर को बनाए रखें। खंड 4.3.2 (ii) में कहा गया हैकि निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक खुलासों के उत्तरोत्तर गिरते स्तर पर गहरी पीड़ा व्यक्त करते हुए राजनीतिक दलों को नोटिस दियाकि आदर्श आचार संहिता का बार-बार उल्लंघन उनके खिलाफ कार्रवाई को आमंत्रित कर सकता है।
आदर्श आचार संहिता के प्रावधान केतहत खंड 4.4.2 (बी) (iii) में कहा गया हैकि कोईभी पार्टी या उम्मीदवार किसीभी गतिविधि में शामिल नहीं होगा, जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ा सकता है या आपसी घृणा पैदा कर सकता है या विभिन्न जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषाई के बीच तनाव पैदा कर सकता है। खंड 4.4.2 (बी) (वी) में कहा गया हैकि अन्य पार्टियों या उनके कार्यकर्ताओं की असत्यापित आरोपों या विकृतियों के आधार पर आलोचना नहीं की जाएगी। आईपीसी के प्रावधान केतहत आईपीसी की धारा 171 जी-एक चुनाव के संबंध में झूंठा बयान। आईपीसी की धारा 499 में कहा गया हैकि मानहानि, जो कोईभी बोले गए या पढ़े जाने केलिए आशयित शब्दों या संकेतों या दृश्य अभ्यावेदन से किसी भी व्यक्ति के संबंध में कोई लांछन बनाता या प्रकाशित करता है, जो किसी व्यक्ति को नुकसान पहुंचाने का इरादा रखता है या जानता है या यह मानने का कारण हैकि इस तरह के लांछन से ऐसे व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान होगा, इसके बाद उस व्यक्ति को बदनाम करने की संभावना के मामलों को छोड़कर कहा जाता है। धारा 500 आईपीसी में कहा गया हैकि मानहानि केलिए सजा जो कोईभी दूसरे को बदनाम करता है, उसे साधारण कारावास से दंडित किया जाएगा, जो दो साल तक बढ़ सकता है या जुर्माना या दोनों के साथ।
आईपीसी के प्रावधान केतहत आईपीसी की धारा 504 जो कोईभी जानबूझकर अपमान करता है और इस तरह किसी भी व्यक्ति को उकसाता है, यह इरादा या यह जानने की संभावना हैकि इस तरह के उकसावे से सार्वजनिक शांति भंग होगी या कोई अन्य अपराध होगा, दोनों मेसे किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा। आयोग हितधारकों विशेष रूपसे राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों के सहयोग और परामर्श से हितधारकों को प्रचार के दौरान राजनीतिक संवाद के स्तर को बनाए रखने केलिए प्रोत्साहित करने के प्रयासों में लगाया गया है, जो दुनियाभर में भारतीय लोकतंत्र की व्यापक प्रशंसा और प्रतिष्ठा के अनुरूप है। आयोग ने मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया हैकि वे इस चेतावनी का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करें और इसका अनुपालन न करने पर मौजूदा नियामक और कानूनी ढांचे के अनुसार उचित कार्रवाई की जाए।