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Monday 15 May 2023 04:46:42 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद, राज्य विधानसभाओं, विभिन्न मंत्रालयों और वैधानिक निकायों के केंद्र और राज्यों के अधिकारियों केलिए आज नई दिल्ली में प्राइड और आईसीपीएस के आयोजित लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग संबंधी ट्रेनिंग प्रोग्राम का उद्घाटन किया। अमित शाह ने कहाकि विधायी मसौदा हमारे लोकतंत्र का बहुत महत्वपूर्ण अंग है, इसके बारे में जानकारी का अभाव ना केवल कानूनों और पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था को निर्बल करता है, बल्कि ज्यूडिशियरी के कार्यों को भी प्रभावित करता है। उन्होंने कहाकि लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग किसीभी लोकतांत्रिक देश केलिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए इसके स्किल में समयानुसार बदलाव, बढ़ोतरी और अधिक दक्षता होती रहनी चाहिए। गृहमंत्री ने इस अवसर पर स्वतंत्रता सेनानी सुखदेवजी की जयंती और देश के उपराष्ट्रपति रहे भैरोसिंह शेखावत की पुण्यतिथि पर उन्हें याद किया और उनको श्रद्धांजलि भी अर्पित की।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि भारतीय लोकतंत्र को दुनिया सबसे बड़े लोकतंत्र के रूपमें जानती है और एक प्रकार से लोकतंत्र का जन्म ही भारत में हुआ था और इसका विचार भी भारत में आया था। उन्होंने कहाकि आज भारत में हर जगह पर लोकतंत्र की जननी के संस्कार को हमने समाहित किया हुआ है। उन्होंने कहाकि भारत के संविधान को दुनिया का सबसे परिपूर्ण संविधान माना जाता है और हमारे संविधान निर्माताओं ने ना सिर्फ देश के परंपरागत लोकतांत्रिक संस्कारों को इसमें शामिल किया, बल्कि इसे आजके समय की जरूरतों के अनुसार आधुनिक बनाने का प्रयास भी किया है। गृहमंत्री ने कहाकि लोकतंत्र के 3 मुख्य स्तंभ हैं-विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका और इनपर हमारी पूरी लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को बनाने का काम हमारे संविधान निर्माताओं ने किया था। उन्होंने कहाकि इन तीनों व्यवस्थाओं के काम अच्छे से विभाजित किए गए हैं एवं लेजिस्लेचर का काम लोककल्याण और लोगों की समस्याओं पर विचार करना और कानूनी तरीके से उनका समाधान निकालना है।
गृहमंत्री ने कहाकि दुनियाभर में हर क्षेत्र में होरहे बदलावों पर संसद में चर्चा करके उन बदलावों के अनुरूप हमारे व्यवस्था तंत्र का काम नए कानून बनाकर या पुराने कानूनों में समय के अनुसार संशोधन करके प्रासंगिक बनाना होता है, ये विधायिका का काम है और इसके बाद बनने वाले कानून की स्पिरिट के आधार पर इसपर अमल का काम एक्ज़ीक्यूटिव करती है। अमित शाह ने कहाकि विवाद होने पर कानून की व्याख्या केलिए ज्यूडिशियरी को हमारे यहां स्वतंत्र रूपसे काम करने का अधिकार दिया गया है, इन तीनों स्तंभों केबीच पूरी लोकतांत्रिक व्यवस्था को बांटने का काम हमारे संविधान निर्माताओं ने किया था। अमित शाह ने कहाकि संसद और केंद्रीय मंत्रिमंडल की राजनीतिक इच्छा को कानून के सांचे में ढालने का काम लेजिस्लेटिव डिपार्टमेंट का होता है, पॉलिटिकल विल, लोगों की समस्याओं के समाधान के रास्तों और देश की अलग-अलग ज़रूरतों को कानून स्वरूप देने का काम लेजिस्लेटिव विभाग का है और इसीलिए इसकी अच्छे से ड्राफ्टिंग बहुत जरूरी है। अमित शाह ने कहाकि ड्राफ्टिंग जितनी अच्छी होगी, उतनीही सरल और एक्ज़ीक्यूटिव के गलती करने की संभावना उतनी ही कम हो जाएगी।
अमित शाह ने कहाकि ड्राफ्टिंग में ग्रे एरिया छोड़ने से व्याख्या करते समय इसमें एन्क्रोचमेंट की संभावना रहेगी, अगर ड्राफ्टिंग परिपूर्ण और स्पष्ट है तो इसकी व्याख्या भी स्पष्ट हो जाएगी। गृहमंत्री ने कहाकि सरकार का सबसे शक्तिशाली अंग संसद है और इसकी ताकत कानून है। उन्होंने कहाकि लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग किसीभी देश को अच्छे तरीके से चलाने की सबसे महत्वपूर्ण विधा है, संसद और लोगों की इच्छा को कानून में ट्रांस्लेट करते समय बहुत सारी बातों का ध्यान रखना होता है जैसे संविधान, लोगों के रीति-रिवाज़, संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत, शासन व्यवस्था की संरचना, समाज की प्रकृति, देश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास और अंतर्राष्ट्रीय संधियां। अमित शाह ने कहाकि लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग कोई विज्ञान या कला नहीं है, बल्कि एक कौशल है, जिसे स्पिरिट केसाथ जोड़कर लागू करना है, ग्रे एरिया को मिनिमाइज़ करने पर हमेशा ध्यान देना चाहिए और कानून सुस्पष्ट होना चाहिए। उन्होंने कहाकि सरकारी नीतियों को कानून में बदलने की प्रक्रिया के दौरान पुराने और कम से कम विवाद वाले कानूनों की स्टडी ज़रूरी है।
गृहमंत्री ने कहाकि लेखन का एक कौशल होता है, विराम और पूर्णविराम चिन्हों का उपयोग बहुत सावधानी एवं कुशलता केसाथ लेजिस्लेटिव ड्राफ्टिंग में करना चाहिए, ड्राफ्टमैन की भाषा पर भी अच्छी पकड़ होनी चाहिए, क्योंकि हमारी भाषा की स्पिरिट को रिफ्लेक्ट करना बहुत ज़रूरी होता है, स्पिरिट का सिर्फ अनुवाद करने से काम नहीं होगा, बल्कि भावानुवाद भी ज़रूरी है। गृहमंत्री ने कहाकि कैपेसिटी बिल्डिंग एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है और राज्यों के विधानमंडलों, देश की संसद, राज्यों एवं देश के हर विभाग में कानून बनाने वाली टीम के स्किल का अपग्रेडेशन होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहाकि हमें बदलती हुई दुनिया केसाथ कदम उठाने होंगे और हमारे कानूनों को आजकी जरूरतों के हिसाब से नए सांचे में भी ढालना होगा। अमित शाह ने कहाकि हमें जितना संभव हो उतने सरल और स्पष्ट शब्दों में ड्राफ्ट करना चाहिए, क्योंकि बहुत क्लिश्ड शब्दों में ड्राफ्ट किया हुआ कानून हमेशा विवाद खड़ा करता है।
अमित शाह ने कहाकि कानून जितना सरल और स्पष्ट शब्दों में होता है, उतना ही अविवादित होता है, अदालत को इंटरवीन करने का मौका ना मिले ऐसा कानून बनाना अच्छे कानून के ड्राफ्टिंग का मेडल है। उन्होंने कहाकि हमारा लक्ष्य सरल और स्पष्ट भाषा में कानून को ड्राफ्ट करने का होना चाहिए। गृहमंत्री ने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार ने कानूनों के क्षेत्र में बहुत सारा काम किया है और 2015 से अबतक हमने हज़ारों अप्रासंगिक कानूनों को निरस्त करने का काम किया है। उन्होंने कहाकि ऐसा करके मोदी सरकार ने कानूनों के जंगल से वकीलों, समाज और अदालतों को मुक्ति देने का काम किया है। अमित शाह ने कहाकि देशहित में कई समयानुकूल कानून बनाने का काम भी मोदी सरकार ने किया है। उन्होंने कहाकि कानून लिखते समय लेजिस्लेटिव की मंशा को स्पष्ट रूपसे बिना दुविधा के सरल और स्पष्ट शब्दों में व्यक्त करते हुए नहीं झिझकना चाहिए। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी, अर्जुनराम मेघवाल, केंद्रीय गृह सचिव और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।