स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Wednesday 17 May 2023 12:11:19 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संचार साथी पोर्टल की शुरूआत की है, जो मोबाइल ग्राहकों को सशक्त बनाने, उनकी सुरक्षा को मजबूत करने और सरकार की नागरिक केंद्रित पहलों के बारेमें जागरुकता बढ़ाने केलिए दूरसंचार विभाग की एक नागरिक केंद्रित पहल है। अश्विनी वैष्णव ने बतायाकि संचार साथी पोर्टल नागरिकों को उनके नाम पर जारी किएगए मोबाइल कनेक्शनों के बारेमें जानने, उनके लिए आवश्यक कनेक्शनों को डिस्कनेक्ट करने, खोए हुए मोबाइल फोन को ब्लॉक या ट्रेस करने और नया या पुराना मोबाइल फोन खरीदते समय उपकरणों की वास्तविकता की जांच करने की अनुमति देकर उन्हें सशक्त बनाता है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के डिजिटल भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप यह पहल मोबाइल उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा और संरक्षा का अभिन्न अंग है।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहाकि इस पहल के तहत तीन सुधार किए जारहे हैं जैसे-चोरी या खोए मोबाइल ब्लॉक करने केलिए सीईआईआर यानी सेंट्रलाइज्ड इक्विपमेंट आईडेंटिटी रजिस्टर, अपने मोबाइल कनेक्शन को जानें, धोखाधड़ी करने वाले सब्सक्राइबर्स की पहचान करने केलिए एएसटीआर यानी टेलीकॉम सिम ग्राहक सत्यापन केलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फेशियल रिकग्निशन पावर्ड सॉल्यूशन। अश्विनी वैष्णव ने कहाकि मोबाइल फोन का दुरुपयोग करके पहचान की चोरी, जाली केवाईसी, बैंकिंग धोखाधड़ी जैसे विभिन्न धोखे भी होते एवं हो सकते हैं, ऐसी धोखाधड़ी से बचने केलिए इस पोर्टल को विकसित किया गया है। उन्होंने कहाकि उपयोगकर्ता सुरक्षा ड्राफ्ट टेलीकॉम बिल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहाकि संचार साथी पोर्टल का उपयोग करके अबतक धोखाधड़ी करने वाले 40 लाख से अधिक कनेक्शन की पहचान की गई है और 36 लाख से अधिक ऐसे जुड़ावों को अबतक बंद किया जा चुका है।
अश्विनी वैष्णव ने उपयोगकर्ताओं से पोर्टल पर जाकर सेवाओं का लाभ उठाने की अपील की है। उन्होंने संचार साथी पहल का संक्षिप्त विवरण देते हुए कहाकि 117 करोड़ सब्सक्राइबर्स केसाथ भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा टेलीकॉम इकोसिस्टम के रूपमें उभरा है, कम्यूनिकेशन के अलावा मोबाइल फ़ोन बैंकिंग, मनोरंजन, ई-लर्निंग, स्वास्थ्य सेवाएं, सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने केलिए उपयोग किए जा रहे हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण हैकि उपयोगकर्ताओं को पहचान चोरी, जाली केवाईसी, मोबाइल उपकरणों की चोरी, बैंकिंग धोखाधड़ी आदि जैसे विभिन्न जालसाजियों से सुरक्षित रखा जाए। संचार साथी पोर्टल की मदद से नागरिक उनके नाम पर पंजीकृत कनेक्शन की जांच कर सकते हैं, जिसमें जाली या अनावश्यक कनेक्शन की रिपोर्ट, चोरी या खो गए मोबाइल फ़ोन को ब्लॉक, मोबाइल खरीदने से पहले आईएमईआईकी सत्यता की जांच करने जैसे कार्य की अनुमति होगी। ये पूरा सिस्टम दूर संचार विभाग ने स्वयं तैयार किया है।
संचार साथी पोर्टल के मॉड्यूल में हैं-सेंट्रलाइज्ड इक्विपमेंट आईडेंटिटी रजिस्टर के तहत यदि किसी मोबाइल की चोरी हो जाए या खो जाए तो उपयोगकर्ता पोर्टल पर आईएमईआई नंबर जमा कर सकता है, जिसकी जानकारी केसाथ पुलिस शिकायत की प्रतिलिपि सत्यापित की जाती है। सिस्टम टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं और कानूनी प्रवर्तन एजेंसियों से एकीकृत है। एकबार जानकारी सत्यापित होने पर सिस्टम भारतीय नेटवर्क में चोरी हुए मोबाइल फोन के उपयोग से रोक देता है। यदि कोई चोरी किएगए डिवाइस का उपयोग करने की कोशिश करता है तो सिस्टम कानूनी प्रशासन एजेंसियों को डिवाइस को ट्रेस करने की अनुमति देता है। जब चोरी किएगए डिवाइस को वापस प्राप्त किया जाता है तो उपयोगकर्ता पोर्टल पर डिवाइस को अनलॉक कर सकता है। सिस्टम चोरी या खो गए मोबाइल का उपयोग रोकता है। यह भारतीय नेटवर्क में गलत या जाली आईएमईआई वाले मोबाइल डिवाइस का उपयोग करने से भी रोकता है।
संचार साथी पोर्टल नागरिकों को उनकी मोबाइल डिवाइस के आईएमईआई की सत्यापितता की जांच करने की सुविधा प्रदान करता है। फ्रॉड मैनेजमेंट और उपभोक्ता संरक्षण केलिए दूरसंचार विश्लेषण के जरिए एक उपयोगकर्ता को पेपर-आधारित दस्तावेजों का उपयोग करके उसके नाम पर किएगए मोबाइल कनेक्शनों की संख्या जांचने की सुविधा प्रदान की जाती है। उपयोगकर्ता पोर्टल पर अपना मोबाइल नंबर दर्ज करता है और ओटीपी का उपयोग करके प्रमाणित करता है। सिस्टम पेपर-आधारित दस्तावेजों जैसे पेपर आधार, पासपोर्ट आदि के जरिए उसके नाम पर किएगए कुल कनेक्शन दिखाता है। सिस्टम उपयोगकर्ताओं को फ्रॉडुलेंट कनेक्शनों की रिपोर्ट करने की अनुमति देता है। यह उपयोगकर्ताओं को उन कनेक्शनों को ब्लॉक करने की भी अनुमति देता है, जो आवश्यक नहीं हैं। उपयोगकर्ताओं के रिपोर्ट करने पर सिस्टम पुनर्सत्यापन प्रक्रिया को शुरू करता है और अंतत: कनेक्शन बंद कर दिए जाते हैं।
टेलीकॉम एसआईएम सब्सक्राइबर सत्यापन के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फेस रिक्गनीशन से लैस प्रौद्योगिकी संचालित समाधान में फर्जी या जाली दस्तावेजों का उपयोग करके प्राप्त मोबाइल कनेक्शन को साइबर फ्रॉड केलिए उपयोग किया जाता है, इस समस्या को रोकने केलिए दूरसंचार विभाग ने एक कृत्रिम उपकरण-एएसटीआर विकसित किया है, जो फर्जी या जाली दस्तावेजों का उपयोग करके जारी किए गए सिम की पहचान करता है। एएसटीआर चेहरे की पहचान और डेटा विश्लेषण के विभिन्न तकनीकों का उपयोग करता है। पहले चरण में पेपर आधारित केवाईसी केसाथ कनेक्शन का विश्लेषण किया गया था। एएसटीआर से प्राप्त सफलता में पहले चरण में 87 करोड़ से अधिक मोबाइल कनेक्शनों का विश्लेषण किया गया है। इतने बड़े डेटा प्रोसेसिंग केलिए परमसिद्धि सुपरकंप्यूटर का उपयोग किया गया था।
मोबाइल कनेक्शनों के विश्लेषण में पाया गयाकि कई मामलों में एक फोटोग्राफ का उपयोग सैकड़ों कनेक्शन प्राप्त करने केलिए किया गया था। कुल मिलाकर 40.87 लाख संदिग्ध मोबाइल कनेक्शन खोजे गए थे। सत्यापन केबाद 36.61 लाख कनेक्शनों को पहले से ही बंद कर दिया गया है, बाकी कनेक्शन प्रक्रिया के अंतर्गत हैं। ऐसे मोबाइल कनेक्शन बेचने में शामिल 40,123 बिक्री केंद्रों को सेवा प्रदाताओं ने ब्लैकलिस्ट कर दिया है और भारतभर में 150 से अधिक एफआईआर दर्ज किए गए हैं। बंद किएगए नंबरों के विवरणों को बैंकों, भुगतान वॉलेट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म केसाथ साझा किया गया है, ताकि इन नंबरों को उनके खातों से अलग किया जा सके। संचार साथी पोर्टल का लिंक https://sancharsaathi.gov.in है।