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Wednesday 24 May 2023 06:09:43 PM
नई दिल्ली। भारत में फिर इतिहास की पुनरावृत्ति होगी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सत्ता हस्तांतरण, न्यायपूर्ण और निष्पक्ष शासन के पवित्र प्रतीक सेन्गोल को ग्रहण करके उसे नए संसद भवन में स्थापित करके नया संसद भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे। यह वही सेन्गोल है, जिसे भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त 1947 की रात को अपने आवास पर कई नेताओं की उपस्थिति में स्वीकार किया था। भारत की आजादी के उपलक्ष्य में हुए कार्यक्रम को याद करते हुए आज एक प्रेस वार्ता में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा हैकि आजादी के 75 साल बादभी अधिकांश भारत को इस घटना के बारेमें जानकारी नहीं हैकि 14 अगस्त 1947 की रात को वह एक विशेष अवसर था, जब प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने तमिलनाडु के थिरुवदुथुराई आधीनम (मठ) से विशेष रूपसे पधारे आधीनमों (पुरोहितों) से सेन्गोल ग्रहण किया था। उन्होंने कहाकि हम चाहते हैंकि भारत के लोग इसे देखें और इस ऐतिहासिक घटना के बारेमें जानें, यह सभी केलिए गर्व की बात है।
गृहमंत्री अमित शाह ने बतायाकि पंडित जवाहर लाल नेहरू केसाथ सेन्गोल का निहित होना ठीक वही क्षण था, जब अंग्रेजों ने भारतीयों के हाथों में सत्ता का हस्तांतरण किया था और हम जिसे स्वतंत्रता के रूपमें मना रहे हैं, वह वास्तव में यही क्षण है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृतकाल के राष्ट्रीय प्रतीक के रूपमें सेन्गोल को अपनाने का निर्णय लिया है, संसद का नया भवन उसी घटना का साक्षी बनेगा, जिसमें आधीनम उस समारोह की पुनरावृत्ति करेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सेन्गोल प्रदान करेंगे। गृहमंत्री ने सेन्गोल के बारेमें विस्तार से बतायाकि सेन्गोल शब्द तमिल शब्द सेम्मई से लिया गया है, जिसका अर्थ है नीतिपरायणता, इसे तमिलनाडु के एक प्रमुख धार्मिक मठ के मुख्य आधीनम का आशीर्वाद प्राप्त है। न्याय के प्रेक्षक के रूपमें अपनी अटल दृष्टि केसाथ देखते हुए हाथ से उत्कीर्ण नंदी इसके शीर्ष पर विराजमान हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि इस ऐतिहासिक सेन्गोल केलिए संसद भवन ही सबसे अधिक उपयुक्त और पवित्र स्थान है। सेन्गोल की स्थापना 15 अगस्त 1947 की भावना को अविस्मरणीय बनाती है। यह असीम आशा, अनंत संभावनाओं, एक सशक्त और समृद्ध राष्ट्र के निर्माण का संकल्प है। यह अमृतकाल का प्रतिबिंब होगा, जो नए भारत को विश्व में अपने यथोचित स्थान को ग्रहण करने के गौरवशाली क्षण का साक्षी बनेगा। सेन्गोल को ग्रहण करने वाले व्यक्ति को न्यायपूर्ण और निष्पक्ष रूपसे शासन करने का आदेश (तमिल में आणई) होता है और यह बात सबसे अधिक ध्यान खींचने वाली है-लोगों की सेवा करने केलिए चुने गए लोगों को इसे कभी नहीं भूलना चाहिए। वर्ष 1947 के उसी सेन्गोल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के पास प्रमुखता से स्थापित करेंगे। इसे राष्ट्र के देखने केलिए प्रदर्शित किया जाएगा और विशेष अवसरों पर बाहर ले जाया जाएगा।
तमिलनाडु सरकार ने 2021-22 के हिंदू रिलिजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट डिपार्टमेंट-हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (एचआर एंड सीई) के पॉलिसी नोट में राज्य के मठों की भूमिका को गर्व से प्रकाशित किया है। इस दस्तावेज़ के पैरा 24 में मठों के शाही परामर्शदाता के रूपमें निभाई गई भूमिका पर स्पष्ट रूपसे प्रकाश डाला गया है। यह ऐतिहासिक योजना आधीनम के अध्यक्षों से विचार-विमर्श करके बनाई गई है। सभी 20 आधीनम के अध्यक्ष इस शुभ अवसर पर आकर इस पवित्र अनुष्ठान की पुनर्स्मृति में अपना आशीर्वाद भी प्रदान कर रहे हैं। समारोह में 96 साल के वुम्मिडी बंगारु चेट्टी भी सम्मिलित होंगे, जो इसके निर्माण से जुड़े रहे हैं। गृहमंत्री ने सेन्गोल के बारेमें विवरण और डाउनलोड करने योग्य वीडियो केसाथ एक विशेष वेबसाइट https://sengol1947.ignca.gov.in भी लॉंच की है। प्रेस वार्ता में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और खेल एवं युवा मामलों के मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर और संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद्र मोहन भी उपस्थित थे।