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Friday 16 June 2023 12:30:37 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो संदेश के माध्यम से जी20 कृषि मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए भारत में उनका स्वागत किया और टिप्पणी कीकि कृषि मानव सभ्यता के केंद्र में है। उन्होंने कहाकि कृषिमंत्री की जिम्मेदारियां केवल अर्थव्यवस्था के एक क्षेत्र को संभालने तकही सीमित नहीं हैं, बल्कि मानवता के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में विस्तारित हैं, खेती विश्वस्तर पर 2.5 बिलियन से अधिक लोगों केलिए आजीविका प्रदान करती है और सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 30 प्रतिशत और वैश्विक दक्षिण में 60 प्रतिशत से अधिक नौकरियां देती है। प्रधानमंत्री ने ग्लोबल साउथ के सामने चुनौतियों को रेखांकित करते हुए महामारी के प्रभाव और आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करने वाले बिगड़ते भू-राजनीतिक तनाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां बताईं, जिसके कारण मौसम की विनाशकारी घटनाएं अधिक से अधिक बार हो रही हैं।
कृषिक्षेत्र में भारत के योगदान पर प्रधानमंत्री ने 'बैक टू बेसिक्स' और 'मार्च टू फ्यूचर' के फ्यूजन की भारत की नीति पर प्रकाश डाला और कहाकि भारत प्राकृतिक खेती केसाथ-साथ प्रौद्योगिकी सक्षम खेती को भी बढ़ावा दे रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारतभर के किसान अब प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं, वे सिंथेटिक उर्वरकों या कीटनाशकों का उपयोग नहीं कर रहे हैं, लेकिन उनका ध्यान धरती माता को फिरसे जीवंत करने, मिट्टी के स्वास्थ्य की रक्षा करने, 'प्रति बूंद, अधिक फसल' का उत्पादन करने, जैविक उर्वरकों और कीट प्रबंधन समाधानों को बढ़ावा देने पर है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारे किसान उत्पादकता को बढ़ावा देने केलिए सक्रिय रूपसे प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहे हैं और अपने खेतों पर सौर ऊर्जा पैदा करने, उपयोग करने, फसल चयन का अनुकूलन करने केलिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड और पोषक तत्वों का छिड़काव करने और फसलों की निगरानी केलिए ड्रोन का उपयोग करने का उदाहरण दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि यह फ्यूजन दृष्टिकोण कृषि में कई मुद्दों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है। प्रधानमंत्री ने कहाकि वर्ष 2023 को बाजरा के अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के रूपमें मनाया जा रहा है और कहाकि गणमान्य व्यक्ति हैदराबाद में अपनी थाली में इसका प्रतिबिंब पाएंगे, क्योंकि बाजरा या श्रीअन्न के आधार पर कई व्यंजन तैयार किए जाते हैं। नरेंद्र मोदी ने बतायाकि ये सुपरफूड न केवल उपभोग करने केलिए स्वस्थ हैं, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने में भी मदद करते हैं, क्योंकि फसल को कम पानी और उर्वरक की आवश्यकता होती है। बाजरे के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने बतायाकि उनकी खेती हजारों वर्ष से की रही है, लेकिन बाजारों और विपणन के प्रभाव के कारण पारंपरिक रूपसे उगाई जाने वाली खाद्य फसलों का मूल्य खो गया, आइए हम श्रीअन्न बाजरा को अपनी पसंद के भोजन के रूपमें ग्रहण करें। नरेंद्र मोदी ने कृषि मंत्रियों से वैश्विक खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने केलिए सामूहिक कार्रवाई करने के तरीकों पर विचार-विमर्श करने का आग्रह किया। उन्होंने एक स्थायी और समावेशी खाद्य प्रणाली बनाने के तरीके खोजने का सुझाव दिया, जो सीमांत किसानों पर केंद्रित हो और वैश्विक उर्वरक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करे।
प्रधानमंत्री ने बेहतर मृदा स्वास्थ्य, फसल स्वास्थ्य और उपज केलिए कृषि पद्धतियों को अपनाने केलिए कहा। प्रधानमंत्री ने कहाकि दुनिया के विभिन्न हिस्सों की पारंपरिक प्रथाएं हमें पुनर्योजी कृषि के विकल्प विकसित करने केलिए प्रेरित कर सकती हैं। उन्होंने नवाचार और डिजिटल प्रौद्योगिकी केसाथ किसानों को सशक्त बनाने, वैश्विक दक्षिण में छोटे और सीमांत किसानों केलिए किफायती समाधान की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कचरे से संपत्ति बनाने में निवेश करते हुए कृषि और खाद्य अपशिष्ट को कम करने की तत्काल आवश्यकता पर भी बात की। प्रधानमंत्री ने कहाकि कृषि में भारत की जी20 प्राथमिकताएं हमारी पृथ्वी को ठीक रखने, परिवार के भीतर सद्भाव पैदा करने और एक उज्ज्वल भविष्य की आशा देने पर केंद्रित हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त कीकि दो ठोस परिणामों पर काम चल रहा है-खाद्य सुरक्षा और पोषण पर डेक्कन उच्चस्तरीय सिद्धांत और बाजरा एवं अन्य अनाजों केलिए महर्षि पहल। प्रधानमंत्री ने निष्कर्ष निकाला कि इन दो पहलों केलिए समर्थन समावेशी, टिकाऊ और लचीली कृषि के समर्थन में एक बयान है।