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गीता प्रेस केलिए गांधी शांति पुरस्कार की घोषणा

प्रधानमंत्री ने गीता प्रेस का योगदान सराहा और पुरस्कार पर बधाई दी

दुनिया भर में सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है गीता प्रेस गोरखपुर

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 19 June 2023 12:31:55 PM

gita press received the 2021 'gandhi peace prize' (logo photo)

गोरखपुर। गीता प्रेस गोरखपुर को वर्ष 2021 केलिए गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले निर्णायक मंडल ने शांति और सामाजिक सद्भाव के गांधीवादी आदर्शों को बढ़ावा देने केलिए सौ वर्ष पुरानी संस्था गीता प्रेस गोरखपुर के योगदान की सराहना करते हुए उसको गांधी शांति पुरस्कार केलिए चयन पर होने पर बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कियाकि लोगों केबीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को बढ़ावा देने की दिशा में गीता प्रेस गोरखपुर ने अनुकरणीय एवं सराहनीय कार्य किए हैं। उन्होंने कहाकि गीता प्रेस गोरखपुर को अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने पर गांधी शांति पुरस्कार मिलना उसके सामुदायिक सेवा में किए गए उल्लेखनीय कार्यों को मान्यता दी गई है।
गीता प्रेस गोरखपुर के महत्वपूर्ण और अद्वितीय योगदान को गांधी शांति पुरस्कार 2021 उसके मानवता के सामूहिक उत्थान में योगदान को मान्यता देता है, जो सच्चे अर्थों में गांधीवादी जीवनशैली का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में निर्णायक मंडल ने विचार-विमर्श के पश्चात सर्वसम्मति से वर्ष 2021 के गांधी शांति पुरस्कार केलिए गीता प्रेस गोरखपुर का चयन किया है। यह पुरस्कार गीता प्रेस गोरखपुर को अहिंसक और अन्य गांधीवादी आदर्शों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में परिवर्तन लाने में उत्कृष्ट योगदान केलिए दिया जा रहा है। गौरतलब हैकि वर्ष 1923 में स्थापित गीता प्रेस विश्व में सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है, इसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकों का प्रकाशन किया है, जिनमें 16.21 करोड़ श्रीमद् भागवदगीता पुस्तकें शामिल हैं। एक प्रमुख बातकि गीता प्रेस गोरखपुर ने राजस्व सृजन केलिए कभीभी अपने प्रकाशनों केलिए विज्ञापन नहीं लिए एवं गीता प्रेस अपने संबद्ध संगठनों केसाथ जीवन के उत्तरोत्तर विकास और सर्वजन कल्याण केलिए प्रयासरत है।
गांधी शांति पुरस्कार भारत सरकार का स्थापित वार्षिक पुरस्कार है। वर्ष 1995 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 125वीं जयंती पर उनके आदर्शों केप्रति श्रद्धांजलिस्वरूप इसकी स्थापना की गई थी। यह राष्ट्रीयता, नस्ल, भाषा, जाति, पंथ या लिंग के भेदभाव के बगैर सभी व्यक्तियों केलिए खुला है। पुरस्कार में एक करोड़ रुपए की राशि, एक प्रशस्तिपत्र, एक पट्टिका और एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला/ हथकरघा विशिष्ट कृति प्रदान की जाती है। पुरस्कार पाने वालों में इसरो, रामकृष्ण मिशन, बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक, विवेकानंद केंद्र (कन्याकुमारी), अक्षय पात्र (बेंगलुरु), एकल अभियान ट्रस्ट (भारत) और सुलभ इंटरनेशनल (नई दिल्ली) जैसे संगठन एवं विशिष्ट व्यक्तियों में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति डॉ नेल्सन मंडेला, तंजानिया के पूर्व राष्ट्रपति डॉ जूलियस न्येरेरे, श्रीलंका के सर्वोदय श्रमदान आंदोलन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ एटी अरियारत्ने, जर्मनी संघीय गणराज्य के डॉ गेरहार्ड फिशर, बाबा आमटे, आयरलैंड के डॉ जॉन ह्यूम, चेकोस्लोवाकिया के पूर्व राष्ट्रपति वाक्लेव हवेल, दक्षिण अफ्रीका के आर्कबिशप डेसमंड टूटू, चंडी प्रसाद भट्ट और जापान के योही ससाकावा शामिल हैं। हाल के वर्ष में 2019 में ओमान के सुल्तान कबूस बिन सैद अल सैद और 2020 में बांग्लादेश के बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान को भी गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

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