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हिंदी सीखना समय की मांग-राजनाथ सिंह

'प्रधानमंत्री ने वैश्विक मंचों पर हिंदी को गौरवांवित किया है'

रक्षा उत्पादन विभाग की हिंदी सलाहकार समिति की बैठक

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 30 June 2023 05:49:38 PM

defense minister rajnath singh

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा उत्पादन विभाग के अंतर्गत हिंदी सलाहकार समिति की 14वीं बैठक आज राजधानी नई दिल्ली में हुई। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता का उल्लेख करते हुए कहाकि विश्व पटल पर हिंदी का प्रचार-प्रसार दिनों-दिन बढ़ रहा है। उन्होंने कहाकि हिंदी की बढ़ती प्रतिष्ठा के चलते आज हिंदी सीखना समय की मांग हो गई है। उन्होंने कहाकि एक वैज्ञानिक भाषा होने और जैसा बोला जाता है वैसी लिखी जाने जैसी विशेषताओं ने इसे लोकप्रिय भाषा बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संयुक्तराष्ट्र महासभा तथा देश-विदेश में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में हिंदी में किएगए संबोधन की चर्चा करते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि प्रधानमंत्री ने जिस तरह हिंदी को वैश्विक मंचों पर गौरवांवित किया है, हमारे लिए प्रेरणा की बात है, इससे न सिर्फ देश, बल्कि विदेश में रहने वाले भारतीयों को भी बहुत गर्व होता है।
रक्षा मंत्रालय में राजभाषा के प्रयोग के बारेमें रक्षामंत्री ने कहाकि उनका मंत्रालय हिंदी के संवैधानिक प्रावधानों और सरकार की राजभाषा नीति संबंधी निर्देशों के अनुपालन केलिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहाकि हिंदी के प्रयोग को बढ़ाने केलिए मंत्रालय ने कुछ अभिनव प्रयोग किए हैं, जिसके परिणाम उत्साहजनक और कारगर रहे हैं। राजनाथ सिंह ने कहाकि हमारे विभाग व अन्य कार्यालयों और उपक्रमों में हर स्तर पर इस बात के प्रयास किए जाते हैंकि सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा मिले और इसमें काफी सफलता भी मिली है। भाषा को सांस्कृतिक परंपरा की प्रतिनिधि बताते हुए रक्षामंत्री ने कहाकि हिंदी में अखिल भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधित्व की क्षमता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता हैकि स्वतंत्रता केबाद जिन-जिन महापुरुषों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का प्रस्ताव रखा था, उनमें से अधिकांश की मातृभाषा हिंदी नहीं थी। उन्होंने कहाकि सन 1918 में महात्मा गांधी ने इंदौर में हिंदी साहित्य समिति की नींव रखते समय इसे राष्ट्रभाषा के रूपमें चिह्नित किया था।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि केशवचंद्र सेन से स्वामी दयानंद सरस्वती, काका कालेलकर, बंकिमचंद्र और ईश्वरचंद्र विद्यासागर जैसे महापुरुषों ने भी हिंदी का प्रबल समर्थन किया था, ऐसे में हमारा कर्तव्य बनता हैकि हम हिंदी को बढ़ावा देकर उन महापुरुषों के सपनों को साकार करें। अंग्रेजी सहित समस्त भारतीय भाषाओं केप्रति आत्मीयता का भाव रखने पर ज़ोर देते हुए राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत जैसे लोकतांत्रिक और भाषाई विविधता वाले देश में जिम्मेदारी केसाथ एक समावेशी दृष्टिकोण के अंतर्गत कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि हम अपनी भाषा को महत्ता दें, पर किसी दूसरी भाषा केप्रति कतई दुराग्रह न रखें। उन्होंने कहाकि भाषा के संदर्भ में तमाम शोध बताते हैंकि हमें जितनी भाषाएं मालूम होंगी, हमारा मष्तिष्क उतना ही सक्रिय रहता है, इसलिए भी हमें बाकी भाषाओं को सम्मान की दृष्टि से देखना चाहिए।
सार्थक अनुवाद के महत्व का वर्णन करते हुए रक्षामंत्री ने कहाकि हिंदी को बढ़ाने केलिए अनुवाद ऐसा नहीं होना चाहिए, जो अर्थ का अनर्थ कर दे। उन्होंने कहाकि अनुवाद में अंग्रेजी अथवा हमारी समृद्ध भारतीय भाषाओं के शब्दों को अपनाने का ही प्रयास करना चाहिए, इसका सुझाव तो हमारा संविधान भी देता है। रक्षा उत्पादन विभाग के अंतर्गत हिंदी सलाहकार समिति की 14वीं बैठक में सांसद लोकसभा राजेंद्र अग्रवाल एवं श्याम सिंह यादव, जीवी एल नरसिम्हा राव सांसद राज्यसभा सहित रक्षा मंत्रालय और उसके अंतर्गत आनेवाले सार्वजनिक उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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