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'आतंकवाद पर दोहरा मापदंड नहीं चलेगा'

एससीओ राष्ट्राध्यक्षों के साथ सम्मेलन में नरेंद्र मोदी का संबोधन

'एससीओ शांति, समृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण प्लेटफार्म'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 5 July 2023 10:56:09 AM

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23वें एससीओ शिखर सम्मेलन को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा हैकि दो दशक में एससीओ पूरे एशियाई क्षेत्र में शांति, समृद्धि और विकास केलिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म के रूपमें उभरा है, इस क्षेत्र केसाथ भारत के हजारों वर्ष पुराने सांस्कृतिक और लोगों से लोगों तक संबंध हमारी साझा विरासत का जीवंत प्रमाण हैं। उन्होंने कहाकि हम इस क्षेत्र को विस्तारित पड़ोस ही नहीं, विस्तारित परिवार की तरह देखते हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि एससीओ के अध्यक्ष के रूपमें भारत ने हमारे बहुआयामी सहयोग को नई ऊंचाइयों दी हैं, जिनको हमने दो मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित किया है, पहला-वसुधैव कुटुम्बकम यानि पूरा विश्व एक परिवार है, यह सिद्धांत प्राचीन समय से हमारे सामाजिक आचरण का अभिन्न अंग है और आधुनिक समय में भी हमारे लिए एक नई प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है। दूसरा-सुरक्षा, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और पर्यावरण संरक्षण यह हमारी अध्यक्षता की थीम और हमारे एससीओ के विजन का प्रतिबिंब है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत ने इस दृष्टिकोण केसाथ एससीओ में सहयोग के पांच नए स्तंभ बनाए हैं, जो इस प्रकार है-स्टार्टअप और इनोवेशन, पारंपरिक चिकित्सा, युवा सशक्तिकरण, डिजिटल समावेशन तथा साझा बौद्ध विरासत। उन्होंने उल्लेख कियाकि भारत ने एससीओ की अपनी अध्यक्षता के अंतर्गत एक सौ चालीस से अधिक कार्यक्रमों, सम्मेलनों और बैठकों की मेजबानी की है, एससीओ के सभी ऑबज़रवर्स और डायलाग पार्टनर्स को चौदह विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल किया गया है, चौदह मंत्रीस्तर की बैठकों में हमने मिलकर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज तैयार किए हैं, इनसे हम अपने सहयोग में नए और आधुनिक आयाम जोड़ रहे हैं जैसे-ऊर्जा क्षेत्र में उभरते फ्यूल्स पर सहयोग, ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में डी-कार्बनाईजेशन और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में सहयोग, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में सहयोग। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत का प्रयास रहा हैकि एससीओ में सहयोग केवल सरकारों तक सीमित न रहे लोगों केबीच संपर्क और गहरा करने केलिए भारत की अध्यक्षता में नई पहलें की गई हैं।
नरेंद्र मोदी कहाकि पहलीबार एससीओ मिलेट फ़ूड फेस्टिवल, फिल्म फेस्टिवल, एससीओ सूरजकुंड क्राफ्ट मेला, थिंक टैंक सम्मेलन, साझा बौद्ध विरासत पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। उन्होंने कहाकि एससीओ की पहली पर्यटन एवं सांस्कृतिक राजधानी शाश्वतनगर वाराणसी अलग-अलग कार्यक्रमों केलिए आकर्षण का केंद्र बनी। प्रधानमंत्री ने कहाकि एससीओ देशों के युवाओं की ऊर्जा और प्रतिभा को सार्थक करने केलिए हमने युवा वैज्ञानिक सम्मेलन, युवा लेखक सम्मेलन, युवा निवासी विद्वान कार्यक्रम, स्टार्टअप फोरम, युवा परिषद जैसे नए फोरम का आयोजन किया है। उन्होंने कहाकि वर्तमान समय में वैश्विक स्थिति एक महत्वपूर्ण पड़ाव पर है, विवादों, तनावों और महामारी से घिरे विश्व में फ़ूड, फ्यूल और उर्वरक क्राइसिस सभी देशों केलिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहाकि हमें मिलकर यह विचार करना चाहिए कि क्या हम एक संगठन के रूपमें हमारे लोगों की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने में समर्थ हैं? क्या हम आधुनिक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं? क्या एससीओ एक ऐसा संगठन बन रहा है, जो भविष्य केलिए पूरी तरह से तैयार हो? इस विषय में भारत एससीओ में सुधार और आधुनिकीकरण के प्रस्ताव का समर्थन करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि एससीओ के अंतर्गत भाषा सम्बंधी बाधाओं को हटाने केलिए हमें भारत के एआई आधारित भाषा मंच भाषिणी को सभी केसाथ साझा करने में ख़ुशी होगी, यह डिजिटल टेक्नोलॉजी समावेशी विकास केलिए उदाहरण बन सकता है। उन्होंने कहाकि यूएन सहित अन्य वैश्विक संस्थानों में भी सुधार केलिए एससीओ एक महत्वपूर्ण आवाज़ बन सकता है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि उन्हें ख़ुशी हैकि ईरान एससीओ परिवार में एक नए सदस्य के रूपमें जुड़ गया है, इसके लिए उन्होंने ईरान के राष्ट्रपति और ईरान के लोगों को शुभकामनाएं दीं, साथही बेलारूस की एससीओ सदस्यता केलिए दायित्व ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि एससीओ से जुड़ने में अन्य देशों की रूचि इस संगठन के महत्व का प्रमाण है, इस प्रक्रिया में यह आवश्यक हैकि एससीओ का मूल फोकस मध्य एशियाई देशों के हितों और आकांक्षाओं पर केंद्रित रहे। उन्होंने जिक्र कियाकि आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति केलिए प्रमुख खतरा बना हुआ है, इस चुनौती से निपटने केलिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है, आतंकवाद चाहे किसीभी रूपमें हो, किसीभी अभिव्यक्ति में हो हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई करनी होगी।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि कुछ देश सीमापार आतंकवाद को अपनी नीतियों के साधन के रूपमें इस्तेमाल करते हैं, आतंकवादियों को पनाह देते हैं, एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना चाहिए, ऐसे गंभीर विषय पर दोहरे मापदंड केलिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहाकि आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने केलिए भी हमें आपसी सहयोग बढ़ाना चाहिए, इसमें एससीओ के आरएटीएस मैकेनिज्म की महत्वपूर्ण भूमिका रही है, हमारे देशों के युवाओं केबीच कट्टरता के फैलाव को रोकने केलिए भी हमें और सक्रीय रूपसे कदम उठाने चाहिएं। उन्होंने कहाकि कट्टरता के विषय में जारी संयुक्त वक्तव्य हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति का हम सभी की सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ा है, अफ़ग़ानिस्तान को लेकर भारत की चिंताएं और अपेक्षाएं एससीओ के अधिकांश देशों के समान हैं, हमें अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के कल्याण केलिए मिलकर प्रयास करने होंगे, अफ़ग़ान नागरिकों को मानवीय सहायता, एक समावेशी सरकार का गठन, आतंकवाद और ड्रग तस्करी के विरुद्ध लड़ाई तथा महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुनिश्चित करना हमारी साझा प्राथमिकताएं हैं।
प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत और अफ़ग़ानिस्तान के लोगों केबीच सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण सम्बंध हैं, पिछले दो दशक में हमने अफ़ग़ानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास केलिए योगदान दिया है, 2021 के घटनाक्रम केबाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं। उन्होंने कहाकि यह आवश्यक हैकि अफ़ग़ानिस्तान की भूमि पड़ोसी देशों में अस्थिरता फ़ैलाने या चरमपंथी विचारधाराओं को प्रोत्साहन देने केलिए उपयोग न की जाए। प्रधानमंत्री ने कहाकि किसीभी क्षेत्र की प्रगति केलिए मज़बूत कनेक्टिविटी का होना बहुत ही आवश्यक है, बेहतर कनेक्टिविटी आपसी व्यापार ही नहीं, आपसी विश्वास भी बढ़ाती है, किंतु इन प्रयासों में एससीओ चार्टर के मूल सिद्धांतों विशेष रूपसे सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना बहुत ही आवश्यक है। उन्होंने कहाकि ईरान की एससीओ सदस्यता केबाद हम चाबहार पोर्ट के बेहतर उपयोग केलिए काम कर सकते हैं, मध्य एशिया के स्थल सीमा देशों केलिए अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा इंडियन ओशन तक पहुंचने का एक सुरक्षित और सुगम रास्ता बन सकता है, हमें इसका पूरा पोटेंशियल समझना करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहाकि एससीओ विश्व के चालीस प्रतिशत लोगों और वैश्विक अर्थव्यवस्था के लगभग एक तिहाई का प्रतिनिधित्व करता है और इस कारण यह हमारी साझा जिम्मेदारी हैकि हम एक-दूसरे की जरूरतों और संवेदनशीलताओं को समझें, बेहतर सहयोग तथा समन्वय के माध्यम से सभी चुनौतियों का समाधान करें और हमारे लोगों के कल्याण केलिए निरंतर प्रयास करें। उन्होंने कहाकि भारत की अध्यक्षता को सफल बनाने में निरंतर सहयोग केलिए एससीओ सदस्य देशों के प्रमुखों का धन्यवाद किया। उन्होंने एससीओ के अगले अध्यक्ष कजाख्स्तान के राष्ट्रपति को भारत की ओर से बहुत बहुत शुभकामनाएं दीं और कहाकि एससीओ की सफलता केलिए भारत सभी केसाथ मिलकर सक्रीय रूपसे अपना योगदान देने केलिए प्रतिबद्ध है।

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