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Wednesday 26 July 2023 03:57:06 PM
नई दिल्ली। संसद में विपक्ष की ओर से नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज तुरंत स्वीकार कर लिया। इस प्रस्ताव पर इस सत्र में कब चर्चा होगी, यह बाद में तय किया जाएगा। कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने मणिपुर की घटना को लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा खड़ा किया हुआ है। कांग्रेस का दबाव हैकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद में मणिपुर की घटना पर बयान दें, जबकि सरकार कह रही हैकि विपक्ष इसपर चर्चा केलिए सामने आए। कांग्रेस और विपक्ष को जब लगाकि सरकार केवल मणिपुर पर बयान देना नहीं चाहती है तो उसने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने नोटिस दे दिया, जिसे आज लोकसभा अध्यक्ष ने तुरंत स्वीकार कर लिया।
नरेंद्र मोदी सरकार के इस रणनीतिक कदम से विपक्ष उलझ गया है, क्योंकि जब अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी तो उसमें केवल मणिपुर ही नहीं, बल्कि बंगाल, बिहार और राजस्थान की घटनाएं भी शामिल होंगी, जो विपक्ष नहीं चाहता है। विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव की मांग करके अपने ही जाल में फंस गया है, इसलिए विपक्ष के गठबंधन केलिए यह मुंहकी खाने के बराबर है। लोकसभा अध्यक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव लाने को मंजूरी देकर कहा हैकि इसपर विस्तृत चर्चा के बाद तारीख का ऐलान करूंगा, हालांकि इसके बाद भी विपक्ष लगातार हंगामा कर रहा है। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले केंद्र सरकार ने एक नया दांव चल दिया, जिसमें सोमवार को दिल्ली सरकार पर ट्रांसफर-पोस्टिंग बिल आने जा रहा है।
गृहमंत्री अमित शाह दिल्ली सरकार पर ट्रांसफर-पोस्टिंग बिल पेश करेंगे। ये वही बिल है, जिसके लिए केंद्र सरकार अध्यादेश ला चुकी है। इस अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल विपक्षी दलों का समर्थन मांग रहे हैं। बंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक से पहले अरविंद केजरीवाल की शर्त थीकि यदि कांग्रेस राज्यसभा में उसका समर्थन करे तो वह इस बैठक में शामिल होंगे, जो कांग्रेस ने मान ली और अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी को समर्थन देने का ऐलान कर दिया। जो रणनीति सामने है, उसे देखकर लगता हैकि केंद्र सरकार इस अध्यादेश को संसद के दोनों सदनों में पारित करा ले जाएगी। विपक्षी दलों ने मणिपुर मुद्दे पर लोकसभा में केंद्र सरकार के खिलाफ चार दिन से सदन में बहस छिड़ी हुई है और इस अध्यादेश पर ही विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव की पोल खुल जाएगी। अविश्वास प्रस्ताव को कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों ने सहमति जताई है, इसपर कांग्रेस ने अपने सांसदों को व्हिप भी जारी कर दिया है।
संसद के मानसून सत्र का आज पांचवा दिन था। संसद का विपक्ष ने कोई कामकाज नहीं होने दिया है। विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव का दांव चला। संसद में इसे समर्थन के तौर पर कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूख़ अब्दुल्ला, विपक्षी गठबंधन इंडिया के सदस्य गिनती केलिए खड़े हुए और इसके बाद ओम बिरला ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। विपक्ष इस मांग पर अड़ा हुआ थाकि मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद बयान दें, जबकि सरकार कहती आ रही हैकि वह मणिपुर पर चर्चा केलिए तैयार है। जैसीकि संभावना हैकि विपक्ष को अब अविश्वास प्रस्ताव से पहले दिल्ली सरकार पर केंद्र के ट्रांसफर पोस्टिंग बिल पर उसकी परीक्षा होगी।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने मणिपुर मुद्दे पर संसद में गतिरोध पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है। पत्र में खरगे ने लिखा हैकि एक ही दिन में प्रधानमंत्री देश के विपक्षी दलों को अंग्रेज शासकों और आतंकवादी दल से जोड़ते हैं और उसी दिन गृहमंत्री भावनात्मक पत्र लिखकर विपक्ष से सकारात्मक रवैये की अपेक्षा करते हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष में समन्वय का अभाव वर्षों से दिख रहा था, अब यह खाई सत्तापक्ष के अंदर भी दिखने लगी है, इस पर प्रधानमंत्री द्वारा विपक्षी दलों को दिशाहीन बताना बेतुका ही नहीं बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण भी है। मल्लिकार्जुन खरगे का यह भी आरोप हैकि संसद में बोलने पर उनका माइक बंद कर दिया गया, जोकि उनके विशेषाधिकार का हनन है और अपमान है। बहरहाल नए घटनाक्रम के अनुसार अगले हफ्ते संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की जा सकती है।