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Friday 4 August 2023 02:29:54 PM
नई दिल्ली। एक मशहूर कहावत:-'कोठी कुठले छूना नहीं बाकी सब घर तेरा' दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर चरितार्थ हो गई है। जीहां! दिल्ली सरकार को ट्रांस्फर-पोस्टिंग के अधिकार दिलाने वाली सुप्रीमकोर्ट की पीठ के फैसले के खिलाफ लोकसभा में पेश बहुचर्चित दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक-2023 आखिर पास हो गया। आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार के इस विधेयक के विरुद्ध विपक्ष को लोकसभा के बाहर और लोकसभा में लामबंद किया था, बहुत हंगामा बरपाया, किंतु एनडीए सरकार के एकजुट संख्याबल के सामने ऊहापोह में उलझे विपक्ष की एक नहीं चली और यह बिल पारित हो गया। सोमवार को इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा, वहां भी इसके पारित होने की औपचारिकताभर रहेगी, फिर इसपर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद सुप्रीमकोर्ट का केजरीवाल सरकार के पक्ष में ट्रांस्फर-पोस्टिंग के अधिकार पर फैसला निर्मूल हो जाएगा और यह अधिकार दिल्ली के उपराज्यपाल के पास बरकरार रहेगा। दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस मामले में मुंहकी खानी पड़ी हैकि सुप्रीमकोर्ट चाहकर भी उसके काम नहीं आया, इसलिए दिल्ली में आप की अरविंद केजरीवाल की सरकार का होना न होना बराबर हो गया है।
'कोठी कुठले छूना नहीं बाकी सब घर तेरा' कहावत का अर्थ हैकि कहने को आप घर के मालिक हैं, लेकिन घर के खजाने और अधिकारों से आपका कोई मतलब नहीं है। सोचिए! एक सरकार के मुख्यमंत्री को जब अपने अधिकारियों के ट्रांस्फर पोस्टिंग का अधिकार ही नहीं रहा तो कोई अधिकारी उसका वफादार या उसके कहने में क्यों रहेगा? दरअसल यह स्थिति स्वयं आम आदमी पार्टी के मंत्रियों, नेताओं और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कार्यप्रणाली, उनपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों और सुप्रीमकोर्ट द्वारा ट्रांस्फर पोस्टिंग का अधिकार देने की अगली आधी रात को दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग के अधिकारी के दफ्तर से गंभीर मामलों की फाइलें उठाकर ले जाने के बाद उत्पन्न हुई है, जिसमें पाया गयाकि उस रात अरविंद सरकार के नेताओं ने दिल्ली के उपराज्यपाल के खिलाफ उदंडता और सरकारी दफ्तरों में अराजकता का नंगा नाच किया, जिसके बाद केंद्र सरकार ने महसूस कियाकि यदि ऐसे ही हालात रहें तो दिल्ली में प्रशासन मज़ाक बनकर रह जाएगा और केजरीवाल सरकार केलिए भ्रष्टाचार के द्वार और ज्यादा खुल जाएंगे। केंद्र सरकार ने इन सभी मामलों का संज्ञान लेकर अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीमकोर्ट की पीठ के दिल्ली सरकार को ट्रांस्फर पोस्टिंग के अधिकार प्रदान करने के निर्णय को संसद में संशोधन कानून से खत्म करने का निर्णय लिया।
लोकसभा में कानून संशोधन विधेयक पर विपक्ष के विरोध और आपत्तियों पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहाकि देश की संसद और भारत सरकार को दिल्ली संघराज्य क्षेत्र केलिए हर प्रकार का कानून बनाने का अधिकार है और दिल्ली में 1993 से सही रूपसे एक व्यवस्था चल रही थी। उन्होंने कहाकि क्योंकि किसीकी मंशा शासन हथियाने की नहीं थी, 2015 में दिल्ली में एक ऐसी सरकार आई, जिसका मकसद सेवा करना नहीं, बल्कि झगड़ा और भ्रष्टाचार करना है, समस्या ट्रांस्फर या पोस्टिंग के अधिकार की नहीं है, बल्कि वे विजिलेंस को कंट्रोल में लेकर भ्रष्टाचार को छिपाना चाहते हैं। गृहमंत्री ने कहाकि 2015 में अचानक दिल्ली सरकार ने एक सर्कुलर निकाला, जिसमें उन्होंने ट्रांस्फर-पोस्टिंग के अधिकार अपने हाथ में ले लिए, इसके बाद केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन निकाला, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, हाईकोर्ट का फैसला केंद्र सरकार के पक्ष में आया, जिसे फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, सुप्रीम कोर्ट में खंडित फैसला आया और फिर संविधान पीठ बनी, जिसने हालही में दिल्ली सरकार को ट्रांस्फर पोस्टिंग के अधिकार पर उसके पक्ष में फैसला दिया। गृहमंत्री अमित शाह ने विधेयक का विरोध कर रहे विपक्ष के नेताओं से कहाकि चुनाव जीतने या किसी का समर्थन हासिल करने केलिए किसी विधेयक का समर्थन या विरोध करने की राजनीति नहीं करनी चाहिए।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि विधेयक और कानून देशहित में लाए जाते हैं और इनका विरोध या समर्थन देश और दिल्ली के भले केलिए करना चाहिए। गृहमंत्री ने कहाकि विपक्ष को जनता का विश्वास मिला था, लेकिन 10 साल तक चली सरकार के शासनकाल में 12 लाख करोड़ रुपये के घपले घोटाले हुए। उन्होंने कहाकि दिल्ली सरकार के घपलों, घोटालों और भ्रष्टाचार को प्रछन्न रूपसे गठबंधन की गरज के कारण मदद करने वालों को पूरा देश देख रहा है। गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक-2023 पर चर्चा का जवाब दिया, जिसके बाद लोकसभा ने विधेयक को पारित कर दिया। अमित शाह ने कहाकि विपक्ष को लोकतंत्र, देश एवं जनता की चिंता नहीं है, बल्कि अपने गठबंधन को बचाने केलिए पूरा विपक्ष एकत्रित हुआ है और विपक्ष के इस दोहरे चरित्र को पूरा भारत देख रहा है। अमित शाह ने कहाकि विपक्ष केलिए जनता के बिल महत्वपूर्ण नहीं हैं, लेकिन गठबंधन से छोटीसी पार्टी निकल ना जाए, इस बातका बहुत महत्व है। गृहमंत्री ने कहाकि सरकार हमेशा सदन में मणिपुर पर चर्चा करने केलिए तैयार है और वे स्वयं चर्चा में हर बात का जवाब देने केलिए तैयार हैं।
अमित शाह ने कहाकि विपक्ष जनता के मन में भ्रांति पैदा करना चाहता है, लेकिन जनता सब जानती है और आज विपक्ष ने अपने आपको एक्सपोज़ भी कर दिया है। गृहमंत्री ने कहाकि सदन जनता को गुमराह करने का स्थान नहीं है, अनुच्छेद 239 (AA)(3)(B) के तहत संसद को दिल्ली संघराज्य क्षेत्र या इसके किसीभी भाग के बारेमें उससे संबंधित किसीभी विषय पर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार है। अमित शाह ने कहाकि 1993 से 2015 तक स्थापित नियमों के अनुसार सेवाएं केंद्र सरकार के पास ही थीं। उन्होंने कहाकि 1993 से 2015 तक किसीकी भी सरकार दिल्ली में थी, उसका मकसद जनता की सेवा करना था और अगर सेवा करनी है तो झगड़ा करने की ज़रूरत नहीं है। उन्होंने कहाकि भारत सरकार के पास कानून बनाने का अधिकार है और नियम बनाने के अधिकार भी हैं। उन्होंने कहाकि नियम बनाने की ज़रूरत इसीलिए पड़ी क्योंकि दिल्ली में शासन नियमानुसार नहीं चल रहा था। गृहमंत्री ने कहाकि जैसेही संसद में यह विधेयक आया, पूरा विपक्ष एक साथ आ गया और मणिपुर, लोकतंत्र, दंगे सबकुछ भूल गया।
गृहमंत्री ने कहाकि दिल्ली सरकार के विजिलेंस विभाग को इसीलिए निशाना बनाया गया, क्योंकि वहां बहुत सारी संवेदनशील फाइल्स बंद थीं, जिनमें आबकारी घोटाले की फाइल, मुख्यमंत्री के नए बंगले के निर्माण पर अवैध रूपसे हुए खर्च की फाइल, सत्तारूढ़ पार्टी के प्रचार पर हुए 90 करोड़ रूपए के खर्च की जांच की फाइल शामिल हैं। गृहमंत्री ने कहाकि दिल्ली सरकार द्वारा फीडबैक यूनिट के नाम पर करोड़ों रूपए खर्चकर एक स्वतंत्र गैरकानूनी खुफिया विभाग शुरू कर दिया गया, इसकी जांच की फाइल भी विजिलेंस में थी, इसके अलावा बीएसईएस और बीवाईपीएल का 21000 करोड़ रूपए बकाया था, फिरभी एक कंपनी को और पैसा दे दिया गया, इसकी जांच की फाइल भी विजिलेंस में थी। अमित शाह ने कहाकि देश में दिल्ली संघराज्य क्षेत्र की एकमात्र असेंबली ऐसी है, जिसका सत्रावसान ही नहीं होता है। उन्होंने कहाकि 2020 में दिल्ली विधानसभा का एकही सत्र बुलाया गया, जिसमें 5 बैठकें हुईं। गृहमंत्री ने कहाकि वर्ष 2021 में भी एक ही बजट सत्र बुलाया गया था, जिसमें 4 बैठकें हुईं, 2022 में भी एक ही बजट सत्र बुलाया गया और फिर 2023 मेंभी अभीतक एकही बजट सत्र बुलाया गया है। उन्होंने कहाकि ये कैबिनेट की गिनी-चुनी बैठक बुलाते हैं, एम्स, आईआईटी दिल्ली जैसी संस्थाओं के 13 परमिशन को इन्होंने पेंडिंग रखा हुआ था।
केंद्रीय गृहमंत्री ने अफसोस के साथ कहाकि 5जी टेक्नोलॉजी लाने केलिए 2016 में एक अधिनियम बनाया गया था, जो देश के सभी राज्यों ने स्वीकार किया पर दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने स्वीकार नहीं किया। अमित शाह ने कहाकि शॉपिंग फेस्टिवल आयोजित करने केलिए विज्ञापन के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च कर दिए गए और कैग की रिपोर्ट 2 साल से दिल्ली विधानसभा में सदन के पटल पर नहीं रखी गई है। गृहमंत्री ने कहाकि ये विधेयक संपूर्णतया संविधानसम्मत है और सिर्फ दिल्ली की जनता के कल्याण केलिए लाया गया है और इसके पीछे केंद्र सरकार का कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है। अमित शाह ने कहाकि इस सदन में निहित राजनीतिक स्वार्थ और उद्देश्यों से ना भाषण देने चाहिएं और ना ही वोटिंग करनी चाहिए, बल्कि सदन में वोटिंग 130 करोड़ जनता के हित केलिए करनी चाहिए।