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'जनता के आशीर्वाद से 24 में फिर प्रचंड विजय'

नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव गिरा

संकीर्ण राजनीति केलिए मणिपुर का दुरुपयोग न करें-मोदी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 11 August 2023 03:02:17 PM

pm narendra modi in parliament

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में मणिपुर सहित अन्य मुद्दों पर विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव में आरोपों पर कड़ा जवाब देते हुए कहाकि जनता के आशीर्वाद से 2024 के लोकसभा चुनाव में फिर तीसरी बार एनडीए को प्रचंड विजय हासिल होगी। उन्होंने कांग्रेस को निशाना बनाते हुए कहाकि विपक्ष अपनी संकीर्ण राजनीति केलिए मणिपुर की भूमि का दुरुपयोग नहीं करे। नरेंद्र मोदी ने कहाकि वे भारत के प्रत्येक नागरिक का उनकी सरकार पर बार-बार भरोसा जताने केलिए उनके प्रति कोटि-कोटि आभार व्यक्त करते हैं। उन्होंने कहाकि विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव एक तरह से उनकी सरकार केलिए भाग्यशाली ही है। उन्होंने कहाकि भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन 24 में अपनी जीत के सभी रिकॉर्ड तोड़ देगा। नरेंद्र मोदी ने उस टिप्पणी को भी याद किया, जिसमें उन्होंने कहा थाकि यह सरकार केलिए शक्ति परीक्षण नहीं है, बल्कि यह उन लोगों केलिए है, जिन्होंने 2018 में भी इसे पेश किया था और मुंहकी खाई थी। प्रधानमंत्री ने कहाकि जब हम 2019 के लोकसभा चुनाव में उतरे थे तो जनता ने पूरी ताकत केसाथ विपक्ष पर कोई भरोसा नहीं होने की घोषणा कर दी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव पर कहाकि विपक्ष अगर मॉनसून सत्र में प्रारंभ से ही गंभीरता से भाग लेता तो और भी बेहतर होता। उन्होंने कहाकि पिछले कुछ दिनों में महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए गए और उनपर विपक्ष को चर्चा करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने इन प्रमुख विधेयकों से ज्यादा राजनीति को ही प्राथमिकता दी। नरेंद्र मोदी ने कहाकि इस सत्र में ऐसे कई विधेयक थे, जो मछुआरों, डेटा, गरीबों, वंचितों एवं आदिवासियों से जुड़े हुए थे, लेकिन विपक्ष की उनमें कोई रुचि नहीं रही है, यह उनका लोगों की उम्मीदों केसाथ धोखा ही था। उन्होंने कहाकि विपक्ष ने यह साबित कर दिया हैकि उसके लिए पार्टी देश से ऊपर है। प्रधानमंत्री ने कहाकि देश विपक्ष को देख रहा है और उसने हमेशा ही भारत के लोगों को निराश किया है। उन्होंने कहाकि राष्ट्र की विकास यात्रा में एक समय ऐसा आता है, जब वह पुरानी बेड़ियों से मुक्त होकर नई ऊर्जा एवं दृढ़ संकल्प केसाथ आगे बढ़ता है, 21वीं सदी का यह समय हमारी सभी आकांक्षाओं को पूरा करने का वक्त है, इस समयावधि में देश जिस तरह का भी स्वरूप लेगा, उसका प्रभाव इसपर अगले हजार वर्षों तक पड़ेगा। नरेंद्र मोदी ने कहाकि ऐसी स्थिति में हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है और हम सभीके ध्यान में एक ही केंद्रबिंदु राष्ट्र के विकास और देशवासियों के सपनों को साकार करने केलिए पूर्ण समर्पण होना चाहिए। उन्होंने कहाकि हमारे देश के लोगों और युवाओं की शक्ति हमें हमारी मंजिल तक पहुंचा सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि वर्ष 2014 और उसके बादके कार्य निष्पादन रिकार्ड को देखते हुए ही देश की जनता ने पूर्ण बहुमत वाली सरकार चुनी है, क्योंकि देश के नागरिक जानते थे, उनके सपनों को साकार करने की क्षमता कहां पर निहित है। उन्होंने कहाकि हमने भारत के युवाओं को घोटालों से मुक्त सरकार दी है, हमने उन्हें साहस और खुले आकाश में उड़ने का अवसर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमने दुनिया में भारत की स्थिति को सम्मानजनक बनाया है, नई ऊंचाइयां दी हैं, जबकि विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव की आड़ में देश की जनता का भरोसा तोड़ने का असफल प्रयास किया है। नरेंद्र मोदी ने स्टार्टअप इकोसिस्टम में वृद्धि, रिकॉर्ड विदेशी निवेश तथा निर्यात के नए शिखर का उल्लेख किया और कहाकि आज निर्धन के मन में भी अपने सपनों को पूरा करने का एक विश्वास पैदा हुआ है। उन्होंने नीति आयोग की 13.5 करोड़ लोगों के ग़रीबी से बाहर आने संबंधी रिपोर्ट और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के वर्किंग पेपर का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया हैकि भारत ने अत्यधिक ग़रीबी को लगभग समाप्त कर दिया है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की रिपोर्ट ही हवाला देते हुएकि भारतीय प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना और अन्य सामाजिक कल्याण योजनाएं एक 'लॉजिस्टिक चमत्कार' हैं। नरेंद्र मोदी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन का जिक्र किया, जिसमें कहा गया हैकि जल जीवन मिशन देश में 4 लाख लोगों की जान बचाने में मदद कर रहा है और स्वच्छ भारत अभियान 3 लाख लोगों का जीवन बचाने में सहायता कर रहा है, ये देश के वही गरीब लोग हैं, जो शहरी झुग्गियों में रहते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान पर यूनिसेफ के हवाले से कहाकि इससे देश के ग़रीब परिवारों को प्रति वर्ष 50000 रुपये बचाने में मदद मिल रही है। प्रधानमंत्री ने विपक्षी सदस्यों के शुतुरमुर्ग दृष्टिकोण की आलोचना करते हुए कहाकि वे भारत के लोगों का विश्वास नहीं देख पा रहे हैं, क्योंकि वे अविश्वास में डूबे हुए हैं। उन्होंने चुटकी लीकि विपक्ष की खराब भाषा और लगातार बुराई करना उनकी सरकार केलिए 'काले टीके' (अपशकुन से बचाने के लिए) की तरह कार्य करता है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि विपक्ष की आलोचना से सभी लक्षित संस्थान हमेशा चमकते हैं और इसे 'विपक्ष का गुप्त वरदान' माना जा सकता है। उन्होंने कहाकि विपक्ष वाले जिसका भी बुरा चाहते हैं, अंत में उसका भला ही होता है। प्रधानमंत्री ने बैंकिंग क्षेत्र के विकास केप्रति विपक्ष के रवैये को याद किया और कहाकि उन्होंने गलत सूचना फैलाने तथा लोगों को भ्रमित करने के सभी प्रयास किए, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का शुद्ध लाभ दोगुना हो गया है। उन्होंने देश को एनपीए संकट की ओर धकेलने वाले फोन बैंकिंग घोटाले का भी उल्लेख किया। नरेंद्र मोदी ने कहाकि देश इन सबसे उबर चुका है और अब आगे बढ़ रहा है। उन्होंने हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड का उदाहरण दिया, जिसकी क्षमता पर विपक्ष ने जमकर हमला बोला था। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड आज सफलता की नई ऊंचाइयों को छू रहा है और उसने अबतक का सबसे अधिक राजस्व दर्ज किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एलआईसी पर विपक्ष द्वारा बुराइयों के उत्तर में कहाकि एलआईसी हर गुजरते दिन केसाथ सशक्त हो रहा है, दरअसल विपक्ष को राष्ट्र की क्षमताओं और निष्ठा पर भरोसा ही नहीं है। उन्होंने अपनी उस टिप्पणी का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने कुछ दिन पहले कहा थाकि उनके तीसरे कार्यकाल में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। नरेंद्र मोदी ने कहाकि एक जिम्मेदार विपक्ष बनकर उसे इस लक्ष्य को प्राप्त करने के रोडमैप के बारेमें सरकार से सवाल करना चाहिए था या कम से कम इस संबंध में सुझाव ही देना चाहिए था, लेकिन विपक्ष ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने विपक्ष की आलोचना की, जो यह कहता हैकि भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने केलिए कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहाकि विपक्ष का ऐसा रुख नीतियों, इरादों, दूरदर्शिता, विश्व अर्थशास्त्र की जानकारी और भारत की क्षमताओं के बारेमें उनकी समझ की कमी को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को रेखांकित कियाकि भारत अतीत में किस तरह से ग़रीबी में डूब गया था और 1991 में दिवालिया होने की कगार पर था, आखिर वर्ष 2014 केबाद भारत को दुनिया की शीर्ष 5 अर्थव्यवस्थाओं में जगह मिली है। उन्होंने कहाकि यह लक्ष्य चरणबद्ध योजना और कड़ी मेहनत केसाथ ही 'सुधार, प्रदर्शन एवं परिवर्तन' के मंत्र के माध्यम से हासिल किया जा सका। प्रधानमंत्री ने कहाकि देश विकास का यह सिलसिला जारी रहेगा और आवश्यक सुधार किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर व्यंग कसते और अपनी सरकार का दृढ़ संकल्प दोहराते हुए कहाकि 2028 में जब आप अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगे तो भारत शीर्ष 3 देशों में शामिल होगा। प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत, जनधन खाता, योग, आयुर्वेद, स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे सफल अभियानों में विपक्ष के विश्वास की कमी को उजागर किया। नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस शासन के दौरान कश्मीर में आतंकवादियों की घुसपैठ का जिक्र किया और कहाकि दूसरी तरफ तत्कालीन सरकार ने पाकिस्तान केसाथ शांति वार्ता जारी रखी, कश्मीरी जनता के बजाय हुर्रियत केसाथ जुड़ाव दोस्ताना रखा। प्रधानमंत्री ने सर्जिकल स्ट्राइक का उल्लेख भी किया और कहाकि किस तरह विपक्ष ने इस मुद्दे पर उनकी सरकार पर भरोसा करने के बजाय शत्रु की गढ़ी गई कहानी पर विश्वास करने का विकल्प चुना। प्रधानमंत्री ने कहाकि विपक्ष देश के बारेमें बुरा बोलने वालों पर तत्काल विश्वास कर लेता है, झूंठी और भ्रामक खबरों पर जोर देता है एवं जबभी उसे अवसर मिलता है, वह देश को बदनाम करने का प्रयास करता है, उन्होंने इसके लिए मेड इन इंडिया कोरोना वैक्सीन का उदाहरण दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि विपक्ष ने भारत की वैक्सीन पर विश्वास नहीं करके विदेश में निर्मित टीकों की ओर देखा। प्रधानमंत्री ने कहाकि विपक्ष को भारत की सामर्थ्य तथा उसकी जनता की क्षमताओं पर विश्वास नहीं है, इसीलिए लोगों की नज़र में उसपर विश्वास का स्तर बेहद निचले दर्जे पर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए विपक्षी गठबंधन पर कहाकि वह दिखावटी बदलाव लाकर देश के लोगों को मूर्ख नहीं बना सकता और नाम में साधारण परिवर्तन से अपना भाग्य नहीं बदल सकता। नरेंद्र मोदी ने कहाकि विपक्ष ने अपना अस्तित्व बचाए रखने केलिए एनडीए की मदद ली है, लेकिन अहंकार के दो 'आई' जोड़ दिए हैं, पहला 'आई' 26 पार्टियों का अहंकार है और दूसरा 'आई' एक परिवार का अहंकार है। उन्होंने कहाकि विपक्ष ने भारत को आई.एन.डी.आई.ए. में भी विभाजित कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि विपक्षी दल और उनके नेता नाम बदलने में विश्वास रखते हैं, लेकिन वे अपनी कार्य संस्कृति नहीं बदल सकते। तमिलनाडु सरकार के एक मंत्री की विभाजनकारी टिप्पणी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने राज्य केप्रति अपनी आस्था दोहराई और कहाकि तमिलनाडु एक ऐसा राज्य है, जहां देशभक्ति की धारा निरंतर बहती है। प्रधानमंत्री ने नामों के साथ विपक्ष के आकर्षण पर ध्यान केंद्रित किया और बतायाकि कैसे देश की प्रत्येक योजना और प्रमुख कार्यक्रम का नाम एकही परिवार के सदस्यों के नामपर रखा गया था। नरेंद्र मोदी ने आई.एन.डी.आई.ए. को 'घमंडिया' गठबंधन बताया, उन्होंने कहाकि स्वतंत्रता सेनानियों और देशके संस्थापकों ने हमेशा वंशवाद की राजनीति का विरोध किया, क्योंकि वंश परंपरा आम नागरिक को नुकसान पहुंचाती है, वंशवाद की राजनीति के कारण कई प्रमुख नेताओं को नुकसान उठाना पड़ा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि वंश परंपरा की राजनीति के शिकार दिग्गजों की कई तस्वीरों को गैर कांग्रेसी सरकारें आने के बाद के वर्षों में ही संसद में जगह मिली। उन्होंने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और प्रधानमंत्री संग्रहालय का जिक्र किया, जो संग्रहालय सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित है और दलगत राजनीति से ऊपर है। नरेंद्र मोदी ने दोहरायाकि भलेही भारत के लोगों ने 30 वर्ष बाद दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार चुनी, लेकिन विपक्ष प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे एक 'गरीब के बेटे' से परेशान है। उन्होंने कहाकि अतीत में विमानों और नौसैनिक जहाजों का दुरुपयोग होता था, जिनका इस्तेमाल अब टीकों के परिवहन तथा विदेशी भूमि में फंसे भारत के लोगों को वापस लाने केलिए किया गया है। प्रधानमंत्री ने मुफ्तखोरी की राजनीति केप्रति आगाह किया और पड़ोसी देशों की स्थिति का उदाहरण देते हुए कहाकि ऐसी राजनीति बड़ी तबाही ला सकती है। उन्होंने लालच से भरे आश्वासनों के माध्यम से चुनाव जीतने की प्रवृत्ति पर अफसोस जताया और कहाकि विकास परियोजनाएं बंद होने से लोगों पर भारी दबाव पड़ रहा है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि विपक्ष को मणिपुर पर चर्चा करने में कभी दिलचस्पी नहीं रही, गृहमंत्री ने सभी मुद्दों को संसद में धैर्यपूर्वक और बिना किसी राजनीति के विस्तार से समझा दिया है। उन्होंने कहाकि गृहमंत्री का स्पष्टीकरण देश तथा राष्ट्र के लोगों से चिंता को व्यक्त करने का एक प्रयास था और मणिपुर पर सदन का विश्वास दिलाने की एक कोशिश थी, इस मुद्दे पर चर्चा करने और आगे के रास्ते खोजने का एक ईमानदार प्रयास था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोहरायाकि मणिपुर की स्थिति को इस तरह पेश किया जा रहा हैकि जैसे यह संघर्ष हाल ही में पैदा हुआ है, जबकि मणिपुर में इन सभी मुद्दों की जड़ें कांग्रेस और उसकी राजनीति में ही समाहित हैं। उन्होंने कहा कि मणिपुर समृद्ध भारतीय संस्कृति और विरासत से भरा हुआ है, मणिपुर असंख्य बलिदानों की भूमि है। उन्होंने राज्य में कांग्रेस सरकार के उस कालखंड को याद किया, जब हर संस्था चरमपंथी संगठनों के इशारे पर चलती थी और सरकारी कार्यालयों में महात्मा गांधी की तस्वीर लगाने पर रोक थी। प्रधानमंत्री ने मोइरांग में आजाद हिंद फौज के संग्रहालय में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति पर बमबारी का भी जिक्र किया। उन्होंने उस समय का उल्लेख भी किया, जब मणिपुर के स्कूलों में राष्ट्रगान गाने पर रोक लगा दी गई थी और पुस्तकालयों से किताबें जलाने का अभियान शुरू किया गया था। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस शासन के दौरान इस क्षेत्र में होने वाली चरमपंथी गतिविधियों के कई उदाहरण दिए, जिनमें शाम 4 बजे मंदिरों के दरवाजे बंद कर देने तथा इम्फाल में इस्कॉन मंदिर पर बमबारी, जिसमें कई लोगों की जान चली गई और सरकारी अधिकारियों द्वारा चरमपंथियों को संरक्षण राशि का भुगतान किया गया। प्रधानमंत्री ने कहाकि पूर्वोत्तर क्षेत्र आने वाले दिनों में विकास का केंद्र बनने वाला है। उन्होंने कहाकि वे इस तथ्य से अवगत हैंकि वैश्विक व्यवस्था में आंदोलनों से दक्षिण पूर्व एशिया और आसियान देशों में बदलाव आएगा तथा इसका पूर्वोत्तर पर क्या प्रभाव पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि उनकी सरकार ने पूर्वोत्तर के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मणिपुर हिंसा की चर्चा करते हुए कहाकि मणिपुर में हिंसा दुखद है, महिलाओं के खिलाफ अपराध अस्वीकार्य हैं और केंद्र तथा राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने केलिए कार्य कर रही हैंकि दोषियों को सजा अवश्य मिले। प्रधानमंत्री ने आश्वस्त कियाकि हम मणिपुर में जो भी प्रयास कर रहे हैं, उनसे आने वाले समय में वहां शांति स्थापित होगी। उन्होंने मणिपुर के लोगों माताओं एवं बहन-बेटियों को विश्वास दिलाया कि देश उनके सुखदुख में साथ खड़ा है, पूरा सदन उनके साथ है। नरेंद्र मोदी ने यह भी आश्वासन दियाकि मणिपुर विकास की पटरी पर वापस लौटेगा और सरकार इसमें कोई कसर नहीं छोड़ेगी। संसद में राहुल गांधी की भारत माता की हत्या जैसी टिप्पणी पर प्रधानमंत्री ने सदन में माँ भारती केलिए आपत्तिजनक भाषा के इस्तेमाल पर कड़ा प्रतिरोध दर्ज कराया। उन्होंने कहाकि ये वही लोग हैं, जो भारत विभाजन केलिए ज़िम्मेदार हैं और जिन्होंने वंदे मातरम तक का अपमान किया है। नरेंद्र मोदी ने विपक्ष की विफलता के उदाहरण के रूपमें कच्चाथीवू मुद्दा उठाया। प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर को लेकर तीन घटनाओं का जिक्र किया। उन्होंने सबसे पहले 5 मार्च 1966 की घटना बताई, जब मिजोरम में लोगों पर हमले केलिए वायुसेना का इस्तेमाल किया गया था। नरेंद्र मोदी ने दूसरे घटनाक्रम 1962 के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू के एक रेडियो प्रसारण को याद किया, जिसमें चीन के आक्रमण के दौरान पूर्वोत्तर के लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया था। उन्होंने क्षेत्र की उपेक्षा को लेकर राम मनोहर लोहिया के आरोप का भी जिक्र किया। नरेंद्र मोदी ने कहाकि उनकी सरकार के मंत्रियों ने पूर्वोत्तर के विभिन्न जिला मुख्यालयों में 400 बार रात्रि प्रवास किया है और प्रधानमंत्री स्वयं 50 बार पूर्वोत्तर राज्यों का दौरा कर चुके हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि पूर्वोत्तर से मेरा भावनात्मक लगाव है, प्रधानमंत्री बनने से पहले भी उन्होंने पूर्वोत्तर के पूरे क्षेत्र की यात्रा की है।
नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे में निवेश का उल्लेख किया और बतायाकि कैसे आधुनिक राजमार्ग, रेलवे तथा हवाई अड्डे पूर्वोत्तर की पहचान बन रहे हैं। उन्होंने बतायाकि अगरतला पहली बार रेल कनेक्टिविटी से जुड़ा है, मालगाड़ी पहलीबार मणिपुर पहुंची है, यह पहला अवसर रहा हैकि जब वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेन इस क्षेत्र में चली है, अरुणाचल प्रदेश में पहला ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा बनाया गया, सिक्किम को हवाई यात्रा से जोड़ा गया है, पहली बार पूर्वोत्तर में एम्स खोला गया है, मणिपुर में राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय तथा मिजोरम में भारतीय जनसंचार संस्थान खोला जा रहा है। उन्होंने कहाकि यह पहला मौका है जब मंत्रिपरिषद में पूर्वोत्तर की भागीदारी बढ़ी है और पहली बार किसी महिला ने राज्यसभा में नागालैंड का प्रतिनिधित्व किया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि पहलीबार पूर्वोत्तर के इतने सारे लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया और लचित बोरफुकन जैसे नायक को गणतंत्र दिवस पर सम्मान केसाथ याद किया गया तथा रानी गाइदिन्ल्यू के नामसे एक संग्रहालय की स्थापना की गई। प्रधानमंत्री ने कहाकि सबका साथ, सबका विश्वास एक नारा ही नहीं है, बल्कि यह विश्वास का प्रतीक है और एक प्रतिबद्धता है। उन्होंने देश से कहाकि उनके शरीर का कण कण और क्षण क्षण देशवासियों की सेवामें समर्पित है। प्रधानमंत्री ने कहाकि संसद किसी पार्टी का मंच नहीं है, संसद देश केलिए श्रद्धेय और सर्वोच्च संस्था है, इसलिए यह जरूरी हैकि सांसद इसके प्रति गंभीरता रखें। उन्होंने कहाकि यहां देश के बहुत सारे संसाधन समर्पित हैं और यहां के एक-एक सेकंड का उपयोग देशके लिए होना चाहिए। नरेंद्र मोदी ने कहाकि गंभीरता की कमी से कोई राजनीति तो कर सकता है, लेकिन देश नहीं चला सकता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि 9 वर्ष में आम नागरिकों का विश्वास नई ऊंचाइयों तक पहुंच रहा है और हर भारतीय आत्मविश्वास से भरा हुआ है। उन्होंने कहाकि आज का भारत दबाव में नहीं ढहता, आज का भारत न झुकता है, न थकता है और न ही रुकता है। नरेंद्र मोदी ने नागरिकों से विश्वास एवं संकल्प के साथ आगे बढ़ने का आग्रह किया और कहाकि यह आम लोगों का विश्वास ही है, जो दुनिया को भारत पर भरोसा करने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने भारत पर दुनिया के बढ़ते विश्वास का श्रेय आम नागरिकों में बढ़ते भरोसे को दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि बीते कुछ वर्ष में सरकार विकसित भारत की मजबूत नींव रखने में सफल रही है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहाकि यही वह आधार है, जो वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में इसका नेतृत्व करेगा। उन्होंने स्पष्ट तौरपर कहाकि भारत एकसाथ मिलकर ही बदतर स्थितियों से बाहर आया है। नरेंद्र मोदी ने पुन: विपक्षी राजनीतिक दलों से आग्रह किया हैकि वे संकीर्ण राजनीति केलिए मणिपुर की भूमि का दुरुपयोग न करें। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमें दर्द तथा पीड़ा केप्रति सहानुभूति रखनी चाहिए और इससे उबरने केलिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए।

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