स्वतंत्र आवाज़
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'भारत का नागरिक होना सबसे बड़ी पहचान'

राष्ट्रपति मुर्मु का 77वें स्वाधीनता दिवस पर राष्ट्र के नाम संदेश

चारों ओर आजादी के उत्सव का माहौल देखकर खुशी जताई

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 15 August 2023 12:06:43 PM

president message to the nation on 77th independence day

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारत के 77वें स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश में सभी देश और विदेश में रह रहे भारतवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। राष्ट्रपति ने कहाकि यह दिन हमसब केलिए गौरवपूर्ण और पावन है, चारों ओर आज़ादी के उत्सव का वातावरण देखकर उन्हें बहुत प्रसन्नता है और यह गर्व की बात हैकि कस्बों और गांवों यानी देश में हर जगह बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी ने उत्साह से स्वतंत्रता दिवस के पर्व को मनाने की तैयारी की है। उन्होंने कहाकि देशवासी बड़े उत्साह केसाथ 'आज़ादी का अमृत महोत्सव' मना रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि स्वाधीनता दिवस का उत्सव उन्हें उनके बचपन के दिनों की याद भी दिलाता है, अपने गांव के स्कूल में स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाग लेने की उनकी खुशी रोके नहीं रुकती थी, जब तिरंगा फहराया जाता था, तब हमें लगता था जैसे हमारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई हो, देशभक्ति के गौरव से भरे हुए हृदय केसाथ हमसब राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देते थे तथा राष्ट्रगान गाते थे, मिठाइयां बाँटी जाती थीं और देशभक्ति के गीत गाए जाते थे, जो कई दिनों तक हमारे मन में गूंजते रहते थे। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि यह उनका सौभाग्य रहा हैकि जब वह स्कूल में शिक्षक बनीं तो उन्हें उन अनुभवों को फिरसे जीने का अवसर प्राप्त हुआ।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि जब हम बड़े होते हैं तो हम अपनी खुशी को बच्चों की तरह व्यक्त नहीं कर पाते, लेकिन उन्हें विश्वास हैकि राष्ट्रीय पर्वों से जुड़ी देशभक्ति की गहरी भावना में तनिक भी कमी नहीं आती है। राष्ट्रपति ने कहाकि स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता हैकि हम केवल एक व्यक्ति ही नहीं हैं, बल्कि हम एक ऐसे महान जनसमुदाय का हिस्सा हैं, जो अपनी तरह का सबसे बड़ा और जीवंत समुदाय है, यह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिकों का समुदाय है। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि जब हम स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाते हैं तो वास्तव में हम एक महान लोकतंत्र के नागरिक होने का उत्सव भी मनाते हैं, हममें से हर एक की अलग-अलग पहचान है। जाति, पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा हमारी अपने परिवार और कार्यक्षेत्र से जुड़ी पहचान भी होती है, लेकिन हमारी एक पहचान ऐसी है, जो इन सबसे ऊपर है और हमारी वह पहचान है भारत का नागरिक होना। उन्होंने कहाकि हम सभी समान रूपसे इस महान देश के नागरिक हैं, हम सबको समान अवसर और अधिकार उपलब्ध हैं तथा हमारे कर्तव्य भी समान हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि लेकिन ऐसा हमेशा नहीं था, भारत लोकतंत्र की जननी है और प्राचीनकाल मेंभी हमारे यहां जमीनीस्तर पर लोकतांत्रिक संस्थाएं विद्यमान थीं, किंतु लंबे समय तक चले औपनिवेशिक शासन ने उन लोकतांत्रिक संस्थाओं को मिटा दिया था, 15 अगस्त 1947 के दिन देश ने एक नया सवेरा देखा, उस दिन हमने विदेशी शासन से तो आजादी हासिल की ही, हमने अपनी नियति का निर्माण करने की स्वतंत्रता भी प्राप्त की।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उल्लेख कियाकि हमारी स्वाधीनता केसाथ विदेशी शासकों द्वारा उपनिवेशों को छोड़ने का दौर शुरू हुआ और उपनिवेशवाद समाप्त होने लगा, हमारा स्वाधीनता के लक्ष्य को प्राप्त करना तो महत्वपूर्ण था ही, लेकिन उससेभी अधिक उल्लेखनीय है, हमारे स्वाधीनता संग्राम का अनोखा तरीका, महात्मा गांधी तथा अनेक असाधारण एवं दूरदर्शी विभूतियों के नेतृत्व में हमारा राष्ट्रीय आंदोलन अद्वितीय आदर्शों से अनुप्राणित था, गांधीजी तथा अन्य महानायकों ने भारत की आत्मा को फिर से जगाया और हमारी महान सभ्यता के मूल्यों का जन-जन में संचार किया। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत के ज्वलंत उदाहरण का अनुसरण करते हुए हमारे स्वाधीनता संग्राम की आधारशिला 'सत्य और अहिंसा' को दुनिया के अनेक राजनीतिक संघर्षों में सफलतापूर्वक अपनाया गया है। राष्ट्रपति ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सभी ज्ञात और अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों को कृतज्ञतापूर्वक श्रद्धांजलि अर्पित की और कहाकि उनके असंख्य बलिदानों से भारत ने विश्व समुदाय में अपना स्वाभिमान पूर्ण स्थान फिरसे प्राप्त कर लिया है। राष्ट्रपति ने कहाकि मातंगिनी हाजरा और कनकलता बरुआ जैसी वीरांगनाओं ने भारत माता केलिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए, मां कस्तूरबा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी केसाथ कदम से कदम मिलाकर सत्याग्रह के मार्ग पर चलती रहीं, सरोजिनी नायडू, अम्मू स्वामीनाथन, रमा देवी, अरुणा आसफ़ अली और सुचेता कृपलानी जैसी अनेक महिला विभूतियों ने अपने बादकी सभी पीढ़ियों की महिलाओं केलिए आत्मविश्वास केसाथ देश तथा समाज की सेवा करने के प्रेरक आदर्श प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने कहाकि आज महिलाएं विकास और देश सेवा के हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर योगदान दे रही हैं तथा राष्ट्र का गौरव बढ़ा रही हैं, हमारी महिलाओं ने ऐसे अनेक क्षेत्रों में अपना विशेष स्थान बना लिया है, जिनमें कुछ दशकों पहले उनकी भागीदारी की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें यह देखकर प्रसन्नता होती हैकि हमारे देश में महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, आर्थिक सशक्तीकरण से परिवार और समाज में महिलाओं की स्थिति मजबूत होती है। उन्होंने देशवासियों से आग्रह कियाकि वे महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दें और वह चाहती हैंकि हमारी बहनें और बेटियां साहस केसाथ हर तरह की चुनौतियों का सामना करें और जीवन में आगे बढ़ें, महिलाओं का विकास स्वाधीनता संग्राम के आदर्शों में शामिल है। राष्ट्रपति ने कहाकि स्वतंत्रता दिवस हमारे लिए अपने इतिहास से पुनः जुड़ने का अवसर होता है, यह हमारे वर्तमान का आकलन करने और भविष्य की राह बनाने के बारे में चिंतन करने का अवसर भी है। राष्ट्रपति ने कहाकि आज हम देख रहे हैंकि भारत ने न केवल विश्वमंच पर अपना यथोचित स्थान बनाया है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में अपनी प्रतिष्ठा को बढ़ाया भी है। उन्होंने कहाकि अपनी यात्राओं और प्रवासी भारतीयों केसाथ बातचीत के दौरान उन्होंने अपने देश केप्रति उनमें एक नए विश्वास तथा गौरव का भाव देखा है। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत दुनिया में विकास के लक्ष्यों और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अग्रणी स्थान बनाया है तथा जी-20 देशों की अध्यक्षता का दायित्व भी संभाला है, चूंकि जी-20 समूह दुनिया की दो तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह हमारे लिए वैश्विक प्राथमिकताओं को सही दिशा में ले जाने का एक अद्वितीय अवसर है।
राष्ट्रपति ने कहाकि जी-20 की अध्यक्षता के माध्यम से भारत व्यापार और वित्त के क्षेत्रों में हो रहे निर्णयों को न्यायसंगत प्रगति की ओर ले जाने में प्रयासरत है, व्यापार और वित्त के अलावा मानव विकास से जुड़े विषय भी कार्यसूची में शामिल किए गए हैं। उन्होंने कहाकि ऐसे कई मुद्दे हैं, जो पूरी मानवता केलिए महत्वपूर्ण हैं और किसी भौगोलिक सीमा से बंधे हुए नहीं हैं। उन्होंने कहाकि उन्हें विश्वास हैकि भारत के प्रभावी नेतृत्व केसाथ जी-20 के सदस्य देश उन मोर्चों पर उपयोगी कार्रवाई को आगे बढ़ाएंगे। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत की जी-20 की अध्यक्षता में एक नई बात यह हैकि कूटनीति को जमीन से जोड़ा गया है, एक अंतर्राष्ट्रीय राजनयिक गतिविधि में लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने केलिए अपनी तरह का पहला अभियान चलाया गया है, उदाहरण केलिए स्कूलों और कॉलेजों में जी-20 से जुड़े विषयों पर आयोजित की गतिविधियों में विद्यार्थी उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं, जी-20 से जुड़े कार्यक्रमों के बारेमें नागरिकों में बहुत उत्साह देखने को मिल रहा है। राष्ट्रपति ने कहाकि सशक्तीकरण की भावना से युक्त इस उत्साह का संचार आज संभव हो पाया है, क्योंकि हमारा देश सभी मोर्चों पर अच्छी प्रगति कर रहा है, मुश्किल दौर में भारत की अर्थव्यवस्था न केवल समर्थ सिद्ध हुई है,बल्कि दूसरों केलिए आशा का स्रोत भी बनी है। उन्होंने कहाकि विश्व की अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं नाजुक दौरसे गुजर रही हैं, वैश्विक महामारी के कारण हुए आर्थिक संकट से विश्व समुदाय पूरी तरह बाहर नहीं आ पाया थाकि अंतर्राष्ट्रीय पटल पर होरही घटनाओं से अनिश्चितता का वातावरण और गंभीर हो गया है, फिरभी सरकार कठिन परिस्थितियों का अच्छी तरह सामना करने में सक्षम रही है। राष्ट्रपति ने कहाकि देश ने चुनौतियों को अवसरों में बदला है और प्रभावशाली जीडीपी में वृद्धि भी दर्ज की है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि हमारे अन्नदाता किसानों ने हमारी आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, राष्ट्र उनका ऋणी है। राष्ट्रपति ने कहाकि वैश्विक स्तरपर मुद्रास्फीति चिंता का कारण बनी हुई है, लेकिन सरकार और रिज़र्व बैंक इस पर काबू पाने में सफल रहे हैं, सरकार ने जनसामान्य पर मुद्रास्फीति का अधिक प्रभाव नहीं पड़ने दिया है और साथही गरीबों को व्यापक सुरक्षा कवच भी प्रदान किया है। राष्ट्रपति ने कहाकि वैश्विक आर्थिक विकास केलिए दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी हुई हैं, भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है, विश्व में सबसे तेजीसे बढ़ रही बड़ी अर्थव्यवस्था के रूपमें भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, हमारी आर्थिक प्रगति की इस यात्रा में समावेशी विकास पर जोर दिया जा रहा है। राष्ट्रपति ने कहाकि निरंतर हो रही आर्थिक प्रगति के दो प्रमुख आयाम हैं, एक ओर व्यवसाय करना आसान बनाकर और रोज़गार के अवसर पैदा करके उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है, दूसरी ओर जरूरतमंदों की सहायता केलिए विभिन्न क्षेत्रों में पहल की गई है तथा व्यापक स्तरपर कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि वंचितों को वरीयता प्रदान करना हमारी नीतियों और कार्यों के केंद्र में रहता है, परिणामस्वरूप पिछले दशक में बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकालना संभव हो पाया है, इसी प्रकार आदिवासियों की स्थिति में सुधार लाने और उन्हें प्रगति की यात्रा में शामिल करने हेतु विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। राष्ट्रपति ने आदिवासी भाई-बहनों से अपील कीकि वे सब अपनी परंपराओं को समृद्ध करते हुए आधुनिकता को भी अपनाएं।
राष्ट्रपति ने कहाकि उन्हें खुशी हैकि आर्थिक विकास केसाथ मानव विकास संबंधी सरोकारों कोभी उच्च प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहाकि वह एक शिक्षक रही हैं इस नाते उन्होंने यह समझा हैकि शिक्षा, सामाजिक सशक्तीकरण का सबसे प्रभावी माध्यम है, वर्ष 2020 की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से बदलाव आना शुरू हो गया है। राष्ट्रपति ने कहाकि विभिन्न स्तरों पर विद्यार्थियों और शिक्षाविदों केसाथ उनकी बातचीत से उन्हें ज्ञात हुआ हैकि अध्ययन की प्रक्रिया अधिक लचीली हो गई है, इस दूरदर्शी नीति का एक प्रमुख उद्देश्य प्राचीन मूल्यों को आधुनिक कौशल केसाथ जोड़ना है, इससे आने वाले वर्षों में शिक्षा के क्षेत्रमें अभूतपूर्व परिवर्तन होंगे और परिणामस्वरूप देश में एक बहुत बड़ा बदलाव दिखाई देगा। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत की प्रगति को देशवासियों विशेषकर युवा पीढ़ी के सपनों से शक्ति मिलती है, विकास की अनंत संभावनाएं देशवासियों की प्रतीक्षा कर रही हैं, स्टार्टअप से लेकर खेलकूद तक हमारे युवाओं ने उत्कृष्टता के नए आसमानों की उड़ान भरी है। राष्ट्रपति ने कहाकि नए भारत की महत्वाकांक्षाओं के नए क्षितिज असीम हैं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन नई ऊंचाइयों को छू रहा है और उत्कृष्टता के नए आयाम स्थापित कर रहा है, इस वर्ष इसरो ने चंद्रयान-3 लांच किया है, जो चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर चुका है और कार्यक्रम के अनुसार उसका विक्रम नामक लैंडर तथा प्रज्ञान रोवर अगले कुछही दिनों में चंद्रमा पर उतरेंगे। राष्ट्रपति ने कहाकि हम सभी केलिए वह गौरव का क्षण होगा और उन्हें भी उस पल का इंतजार है, चंद्रमा का अभियान अंतरिक्ष के हमारे भावी कार्यक्रमों केलिए केवल एक सीढ़ी है, हमें बहुत आगे जाना है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि अंतरिक्ष अभियान में ही नहीं, बल्कि धरती पर भी हमारे वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद देश का नाम रोशन कर रहे हैं, अनुसंधान, नवाचार तथा उद्यमशीलता को बढ़ावा देने केलिए अगले पांच वर्ष में 50000 करोड़ रुपये की राशि केसाथ सरकार ने राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन स्थापित किया है, यह फाउंडेशन हमारे कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केंद्रों में अनुसंधान एवं विकास को आधार प्रदान करेगा, उन्हें विकसित करेगा तथा आगे ले जाएगा। राष्ट्रपति ने कहाकि ज्ञान-विज्ञान में उत्कृष्टता प्राप्त करना ही हमारा लक्ष्य नहीं है, बल्कि हमारे लिए वे मानवता के विकास के साधन हैं। उन्होंने कहाकि एक क्षेत्र जिसपर विश्व के वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं को और अधिक तत्परता से ध्यान देना चाहिए वह है-जलवायु परिवर्तन। उन्होंने कहाकि हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में चरम मौसमी घटनाएं हुई हैं, देश के कुछ हिस्सों में असाधारण बाढ़ का सामना करना पड़ा है, कुछ स्थान सूखे की मार झेलते हैं, इन सबका एक प्रमुख कारण ग्लोबल वार्मिंग को भी माना जाता है, अतः पर्यावरण के हितमें स्थानीय, राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर प्रयास करना अनिवार्य है। उन्होंने कहाकि इस संदर्भ में यह उल्लेखनीय हैकि नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में हमने अभूतपूर्व लक्ष्यों को प्राप्त किया है, अंतर्राष्ट्रीय सौरऊर्जा अभियान को भारत ने नेतृत्व प्रदान किया है, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में हमारा देश अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहाकि विश्व समुदाय को हमने लाइफ का अर्थ है पर्यावरण केलिए जीवनशैली का मंत्र दिया है। उन्होंने कहाकि असामान्य मौसम की घटनाएं सभीपर असर डालती हैं, लेकिन ग़रीब और वंचित वर्गों के लोगों पर उनका और अधिक प्रभाव पड़ता है, शहरों और पहाड़ी क्षेत्रों को जलवायु परिवर्तन की स्थितियों का सामना करने केलिए विशेष रूपसे सक्षम बनाने की आवश्यकता है।
राष्ट्रपति ने कहाकि लोभ की संस्कृति दुनिया को प्रकृति से दूर करती है और अब हमें यह एहसास हो रहा हैकि हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना चाहिए, आजभी अनेक जनजातीय समुदाय ऐसे हैं, जो प्रकृति के बहुत करीब और प्रकृति केसाथ सौहार्द बनाकर रहते हैं, उनके जीवनमूल्य और जीवनशैली जलवायु कार्रवाई के क्षेत्र में अमूल्य शिक्षा प्रदान करते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि जनजातीय समुदाय युगों से अपना अस्तित्व बनाए रखने के रहस्य को एक शब्द में ही व्यक्त कर सकते हैं, वह शब्द है-हमदर्दी। उन्होंने कहाकि जनजातीय समुदाय के लोग प्रकृति को माता समझते हैं तथा उसकी सभी संतानों अर्थात वनस्पतियों और जीव-जंतुओं केप्रति सहानुभूति रखते हैं, कभी-कभी दुनिया में हमदर्दी की कमी महसूस होती है, लेकिन इतिहास साक्षी हैकि ऐसे दौर केवल कुछ समय केलिए ही आते हैं, क्योंकि करुणा हमारा मूल स्वभाव है। राष्ट्रपति ने कहाकि उनका अनुभव हैकि महिलाएं हमदर्दी के महत्व को और अधिक गहराई से महसूस करती हैं और जब मानवता अपनी राह से भटकती है तो वे सही रास्ता दिखाती हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारे देश ने नए संकल्पों केसाथ अमृतकाल में प्रवेश किया है तथा हम भारत को वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, आइए हम सभी अपने संवैधानिक मूलकर्तव्य को निभाने का संकल्प लें तथा व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें, ताकि हमारा देश निरंतर उन्नति करते हुए कर्मठता तथा उपलब्धियों की नई ऊंचाइयां हासिल करे। राष्ट्रपति ने कहाकि हमारा संविधान हमारा मार्गदर्शक दस्तावेज है, संविधान की प्रस्तावना में हमारे स्वाधीनता संग्राम के आदर्श समाहित हैं, आइए हम अपने राष्ट्र निर्माताओं के सपनों को साकार करने केलिए सद्भाव और भाईचारे की भावना केसाथ आगे बढ़ें।

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