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Saturday 26 August 2023 05:36:19 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राजधानी दिल्ली पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। चंद्रयान-3 मून लैंडर की सफल लैंडिंग के क्रम में इसरो टीम से मिलने केबाद प्रधानमंत्री बैंगलुरू से दिल्ली पहुंचे थे। उन्होंने इस अवसर पर कहाकि सितंबर के महीने में दिल्ली के लोग जी-20 शिखर सम्मेलन को सफल बनाकर हमारे वैज्ञानिकों की उपलब्धियों को नई ताकत दें। प्रधानमंत्री ने कहाकि आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन एक ऐसा अवसर है, जहां पूरा देश मेजबान है, लेकिन इसमें सबसे अधिक जिम्मेदारी दिल्ली की है, दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्होंने कहाकि दिल्ली को अतिथि देवो भव: की परंपरा का पालन करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह भारत के आतिथ्य सत्कार को दिखाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। उन्होंने कहाकि 5-15 सितंबर केबीच बहुत सारी गतिविधियां होंगी, दिल्ली के लोगों को होनेवाली असुविधा केलिए मैं अग्रिम माफी मांगता हूं, एक परिवार के रूपमें सभी गणमान्य व्यक्ति हमारे मेहमान हैं और हमें सामूहिक प्रयासों से अपने जी20 शिखर सम्मेलन को भव्य बनाना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका और ग्रीस की अपनी चार दिवसीय यात्रा केबाद स्वदेश वापसी पर पहले सीधे बैंगलुरू पहुंचे थे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रधानमंत्री का स्वागत किया और उनकी सफल यात्रा की उपलब्धियों और भारतीय वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण उपलब्धि पर खुशी जाहिर की। गर्मजोशी भरे स्वागत के जवाब में प्रधानमंत्री ने चंद्रयान-3 की सफलता केलिए लोगों के इस उत्साह केलिए आभार व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने इसरो टीम केसाथ अपनी बातचीत का उल्लेख किया और बतायाकि चंद्रयान-3 का मून लैंडर जिस बिंदु पर उतरा था, उसे अब शिव शक्ति के रूपमें जाना जाएगा। उन्होंने कहाकि शिव शक्ति हिमालय और कन्याकुमारी के संबंध का भी प्रतीक है। इसी तरह 2019 में चंद्रयान 2 ने जिस बिंदु पर अपने पदचिन्ह छोड़े थे, उसे अब तिरंगा कहा जाएगा। उन्होंने कहाकि तिरंगा हर चुनौती से निपटने की ताकत देता है। उन्होंने 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूपमें मनाने के निर्णय की भी जानकारी दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी यात्रा के दौरान वैश्विक समुदाय से भारत को मिली बधाइयां और बधाई संदेशों के बारेमें बताया। उन्होंने कहाकि उपलब्धियों और सफलताओं के आधार पर भारत का एक नया प्रभाव दिख रहा है और दुनिया उसे अहमियत दे रही है। पिछले 40 वर्ष में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली ग्रीस यात्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने ग्रीस में भारत केलिए प्यार और सम्मान के बारे में बताया और कहाकि एक तरह से ग्रीस यूरोप केलिए भारत का प्रवेश द्वार बन जाएगा और यूरोपीय संघ के साथ भारत के ठोस संबंधों केलिए एक मजबूत माध्यम होगा। प्रधानमंत्री ने विज्ञान में युवाओं की भागीदारी और बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि यह देखने की जरूरत हैकि सुशासन और आम नागरिकों के जीवन को सुगम बनाने केलिए अंतरिक्ष विज्ञान का कैसे लाभ उठाया जा सकता है। उन्होंने सेवा वितरण, पारदर्शिता और पूर्णता में अंतरिक्ष विज्ञान के दोहन के तरीकों को खोजने के काम में सरकारी विभागों को लगाने के अपने फैसले को दोहराया, इसके लिए आनेवाले दिनों में हैकाथॉन का आयोजन किया जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहाकि 21वीं सदी प्रौद्योगिकी पर आधारित है, हमें 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने केलिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मार्ग पर और अधिक मजबूती केसाथ आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहाकि नई पीढ़ी में वैज्ञानिक सोच पैदा करने के लिए चंद्रयान की सफलता से पैदा उत्साह को शक्ति में परिवर्तित करने की आवश्यकता है, इसके लिए 1 सितंबर से माइगोव पर एक क्विज प्रतिस्पर्धा का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहाकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में विज्ञान और प्रौद्योगिकी केलिए भी पर्याप्त प्रावधान हैं। आगामी रक्षाबंधन और चंद्रमा को धरती माता का भाई मानने की भारतीय परंपरा का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने रक्षा बंधन की शुभकामनाएं दीं और उम्मीद जताईकि इस त्योहार की खुशी से भरी भावना दुनिया को हमारी परंपराओं से परिचित कराएगी।