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Wednesday 6 September 2023 11:42:51 AM
नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं वर्षगांठ पर दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित 'वेदों में निहित भारतीय ज्ञान परंपरा और सर्वोत्तम जीवन मूल्यों' विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा हैकि भारतीय ज्ञान परंपरा दुनिया की सबसे पुरानी और यह स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और विश्व शांति के सिद्धांतों को स्वीकार करती है। राजनाथ सिंह ने इस तथ्य को रेखांकित किया हैकि वेदों में जलवायु परिवर्तन सहित दुनिया के सामने आनेवाली कई चुनौतियों का समाधान विद्यमान है। उन्होंने बतायाकि वेद प्रकृति की पूजा और पर्यावरण संरक्षण और वनीकरण जैसी प्रथाओं पर जोर देते हैं। उन्होंने कहाकि वेदों का सबसे प्रमुख पहलू दीर्घजीवन है यानी यह सनातन है, हालांकि एक वर्ग है, जो वेदों और उसके मूल्यों पर हमला कर रहा है, ऐसे प्रयास निरर्थक साबित हो सकते हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने यह उल्लेख करते हुएकि लोकतंत्र को अक्सर पश्चिम देशों द्वारा दुनिया को दी गई शासन प्रणाली माना जाता है कहाकि लोकतांत्रिक मूल्यों की जड़ें वैदिक काल से पाई जाती हैं, जहां 'सभा' और 'समिति' जैसी प्रतिनिधि प्रणालियां मौजूद थीं। राजनाथ सिंह ने कहाकि वैदिक काल महिला सशक्तिकरण का काल था, क्योंकि महिलाओं को पुरुषों के समान ही अधिकार प्राप्त थे। उन्होंने कहाकि वैदिक काल की ऐसी महिलाओं के कई उदाहरण हैं, जिन्होंने भारतीय ज्ञान परंपरा में योगदान दिया है। भारतीय संस्कृति की शक्ति को रेखांकित करते हुए रक्षामंत्री ने कहाकि इतिहास में हमारी संस्कृति कई हमलों के बावजूद गर्व केसाथ विकसित हुई है, इसका कारण वैदिक मूल्य और प्राचीन ज्ञान परंपरा है, जिसपर यह आधारित है।
राजनाथ सिंह ने ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान लोगों के सामाजिक जागृति में स्वामी दयानंद सरस्वती के योगदान के बारेमें भी चर्चा की। उन्होंने कहाकि स्वामी दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज और वेदों की ओर लौटो के अपने आह्वान के माध्यम से भारत के पुनर्जागरण में बहुत बड़ा योगदान दिया। रक्षामंत्री ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति और शिक्षक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भी उनकी जयंती पर स्मरण किया, जिसे शिक्षक दिवस के रूपमें देशभर में मनाया जाता है। राजनाथ सिंह ने कहाकि डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने राजनीति के अतिरिक्त शिक्षा और दर्शन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने कहाकि शिक्षक दिवस का दिन उनकी विद्वता, उनके दार्शनिक योगदान और राष्ट्र केलिए उनकी उपलब्धियों को श्रद्धांजलि देने का दिन है।