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Friday 8 September 2023 05:34:25 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा हैकि भारत दुनिया का नेतृत्व करने केलिए तैयार है। उन्होंने कहाकि भारत की जी20 की अध्यक्षता अंतरिक्ष में देश के गौरव के साथ मेल खाती है और जी20 सम्मेलन भारत में ऐसे समय में हो रहा है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया के सबसे बड़े नेता के रूपमें उभरे हैं। उन्होंने कहाकि भारत का झंडा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लहरा रहा है, पहलीबार कोई अंतरिक्ष यान चंद्रमा के सुदूर हिस्से पर उतरा है, दुनियाभर में कोविड टीकों की सराहना की जा रही है तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी में देश की उपलब्धियां, जिसमें अग्रणी अनुसंधान एवं विकास की सफलता की कहानी भी शामिल है।
राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन की थीम 'वसुधैव कुटुम्बकम्' की भावना के अनुरूप दुनिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' के मंत्र को स्वीकार करती है। जी20 सम्मेलन से पूर्व दूरदर्शन को दिए साक्षात्कार में डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि अंतरिक्ष क्षेत्र सहित भविष्य के किसीभी विज्ञान प्रयास केलिए दुनिया के सभी हितधारक देशों को एकसाथ आने की आवश्यकता होगी। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि अगर हमें इससे आगे जाना है तो हमें सामूहिक रूपसे आगे बढ़ना होगा, क्योंकि हम वैश्विक दुनिया का हिस्सा हैं, इसलिए आगे कोईभी विकास बहुत अधिक विस्तारित एकीकरण में होना चाहिए, यहांसे विकास की मुख्य विशेषता यह होगीकि यह काफी हदतक प्रौद्योगिकी संचालित होगा।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम अब दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष एजेंसियों के बराबर गति पर है, नासा चंद्रमा पर उतरने वाला पहला संस्थान हो सकता है, लेकिन यह भारत का चंद्रयान-1 था, जिसने संभावित साक्ष्य जुटाए, चंद्रमा पर पानी के अणु और अब चंद्रयान-3 पहलीबार चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा है। उन्होंने कहाकि चंद्रयान को दुनियाभर का वैज्ञानिक समुदाय देख रहा है, क्योंकि उन्हें उम्मीद हैकि वहांसे कुछ नए निष्कर्ष एकत्र किए जाएंगे, जिनमें से अधिकांश चंद्रयान-3 से हैं, क्योंकि यह एक अछूते क्षेत्र में चला गया है तो जाहिर है, वहां से आनेवाले इनपुट, निष्कर्ष सभी अंतरिक्ष एजेंसियों केसाथ-साथ उनकी भविष्य की परियोजनाओं और योजना के लिए भी उपयोगी होंगे। डॉ जितेंद्र सिंह ने याद दिलायाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल की संयुक्तराज्य अमेरिका यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित सभी समझौते प्रौद्योगिकी आधारित थे, इनमें आर्टेमिस समझौते से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन केलिए संयुक्त अभियान और भारत द्वारा सेमीकंडक्टर कंसोर्टियम पर हस्ताक्षर जैसे समझौते शामिल हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि इसरो ने 380 से अधिक विदेशी उपग्रह लॉंच किए हैं, यूरोपीय और अमेरिकी उपग्रहों को लॉंच करके क्रमशः 250 मिलियन यूरो और 170 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की कमाई की है। राज्यमंत्री ने कहाकि भारत की समग्र अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था आज लगभग $8 बिलियन की है, यानी वैश्विक बाज़ार हिस्सेदारी का 2 प्रतिशत, लेकिन पूरी दुनिया बढ़ी हुई गति को पहचान रही है और यही कारण हैकि 2040 तक पारंपरिकअनुमान के अनुसार $40 बिलियन का है, लेकिन बाद में हमारे पास एडीएल (आर्थर डी लिटिल) रिपोर्ट थी, जिसमें 2040 तक भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान लगाया गया है, इसलिए हमने बहुत तेजीसे बढ़ना शुरू कर दिया है, हम अभीभी खुदके मूल्यांकन में पारंपरिक हैं, लेकिन दूसरों का आकलन बहुत अधिक है, जिसका मतलब हैकि हम वास्तव में सही मुकाम तक आ गए हैं।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि अंतरिक्ष अनुप्रयोगों का उपयोग लगभग सभी क्षेत्रों में किया जा रहा है जैसे-स्मार्ट सिटी परियोजना, रेलवे ट्रैक और मानव रहित रेलवे क्रॉसिंग का प्रबंधन, सड़कें और इमारतें, टेलीमेडिसिन, शासन और सबसे महत्वपूर्ण स्वामित्व जीपीएस लैंड मैपिंग आदि। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नौ साल के कार्यकाल के दौरान भारत की आपदा क्षमताएं विश्वस्तरीय हो गई हैं और हम पड़ोसी देशों कोभी आपदा पूर्वानुमान प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि आपदा पूर्वानुमान और प्रबंधन में अंतरिक्ष अनुसंधान के अनुप्रयोगों ने अंतरिक्ष मिशनों में किए गए निवेश से अधिक बचाने में मदद की है।