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Friday 13 October 2023 04:36:02 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली के यशोभूमि में 9वें जी-20 संसदीय अध्यक्ष शिखर सम्मेलन का समारोहपूर्वक उद्घाटन किया है, जिसकी मेजबानी भारतीय संसद भारत की जी-20 अध्यक्षता की व्यापक संरचना केतहत 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य केलिए संसद' की थीम केसाथ कर रही है। प्रधानमंत्री ने संसदीय अध्यक्षों को संबोधित करते हुए भारत के 140 करोड़ नागरिकों की ओर उनका स्वागत किया और कहाकि यह सम्मेलन विश्वभर की सभी संसदीय प्रथाओं का एक 'महाकुंभ' है। प्रधानमंत्री ने भारत की संसदीय परंपराओं में नागरिकों के अटूट विश्वास को रेखांकित किया और इसकी विविधता एवं जीवंतता को श्रेय दिया। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारे यहां हर धर्म के लोग हैं, सैकड़ों प्रकार के भोजन, रहन-सहन, भाषाएं और बोलियां हैं। उन्होंने बतायाकि भारत में लोगों को वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करने केलिए 28 भाषाओं में 900 से अधिक टीवी चैनल हैं, लगभग 200 भाषाओं में 33 हजार से अधिक विभिन्न समाचार पत्र प्रकाशित होते हैं और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर लगभग 3 बिलियन उपयोगकर्ता हैं। प्रधानमंत्री ने भारत में सूचना के विशाल प्रवाह और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के स्तरपर भी जोर दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि 21वीं सदी के विश्व में भारत की यही जीवंतता, अनेकता में एकता, हमारी सबसे बड़ी शक्ति है, यह जीवंतता हमें हर चुनौती से लड़ने और हर कठिनाई को मिलकर हल करने केलिए प्रेरणा देती है। विश्व की परस्पर जुड़ी प्रकृति का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि संघर्ष और टकराव से भरी दुनिया किसीके हित में नहीं है। उन्होंने कहाकि एक विभाजित दुनिया मानवता के समक्ष आनेवाली प्रमुख चुनौतियों का समाधान नहीं कर सकती है, यह समय शांति और भाईचारे का है, साथ मिलकर चलने का है, यह सबके विकास और खुशहाली का समय है। उन्होंने कहाकि हमें वैश्विक अविश्वास के संकट से उबरना होगा और मानवकेंद्रित सोच केसाथ आगे बढ़ना होगा, हमें विश्व को एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की भावना से देखना होगा। वैश्विक निर्णय लेने में व्यापक भागीदारी के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि इसके पीछे अफ्रीकी संघ को जी-20 में शामिल करने का प्रस्ताव था, जिसे सभी सदस्यों ने स्वीकार कर लिया। प्रधानमंत्री ने पी-20 के मंच पर समस्त अफ्रीका की भागीदारी पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने इस अवसर पर भारत द्वारा दशकों से झेले जारहे सीमापार आतंकवाद को रेखांकित किया, जिसमें हजारों निर्दोष लोग मारे गए और जा रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने लगभग 20 वर्ष पूर्व भारत की संसद पर हुए आतंकवादी हमले का स्मरण किया, जब संसद सत्र चल रहा था और आतंकवादी सांसदों को बंधक बनाकर उन्हें खत्म करने के इरादे से आए थे।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि ऐसी कई आतंकवादी घटनाओं से निपटने केबाद भारत आज यहां तक पहुंचा है, क्योंकि विश्व भी अब आतंकवाद की बड़ी चुनौती को महसूस कर रहा है। उन्होंने कहाकि आतंकवाद चाहे कहीं भी हो, किसीभी कारण से, किसीभी रूप में हो, यह मानवता के विरूद्ध है। उन्होंने ऐसी स्थिति से निपटने केलिए समझौता न करने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने उस वैश्विक पहलू की ओर भी ध्यान आकर्षित किया, जहां आतंकवाद की परिभाषा को लेकर कोई सहमति नहीं बन पाई है। उन्होंने इस बात को रेखांकित कियाकि कैसे आतंकवाद से मुकाबले केलिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आजभी संयुक्तराष्ट्र में आम सहमति की प्रतीक्षा कर रहा है। उन्होंने कहाकि मानवता के दुश्मन दुनिया के इस रवैये का लाभ उठा रहे हैं और विश्वभर की संसदों और प्रतिनिधियों से आतंकवाद के विरूद्ध इस लड़ाई में मिलकर काम करने के तरीके प्रस्तुत करने केलिए एकजुट होने की अपील की। उन्होंने यह रेखांकित करते हुएकि उपस्थित प्रतिनिधियों केपास विभिन्न देशों के संसदीय ढांचे का अनुभव है, आजके कार्यक्रम पर अत्यंत संतोष व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने भारत में त्योहारी सीजन का उल्लेख करते हुए कहाकि जी20 ने पूरे वर्ष त्योहारी उत्साह बनाए रखा, क्योंकि जी20 से संबंधित माहौल कई शहरों में व्याप्त था, जहां भारत की अध्यक्षता के दौरान जी20 से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किएगए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि इन समारोहों को चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग, एक सफल जी-20 शिखर सम्मेलन और पी-20 शिखर सम्मेलन जैसे कार्यक्रमों से और अधिक प्रोत्साहन मिला। उन्होंने कहाकि किसीभी राष्ट्र की सबसे बड़ी ताकत उसके लोग और उनकी इच्छा शक्ति होती है और यह शिखर सम्मेलन उसीके आयोजन का एक माध्यम है। प्रधानमंत्री ने कहाकि पी-20 शिखर सम्मेलन उस भूमि पर हो रहा है, जो न केवल लोकतंत्र की जननी के रूपमें जानी जाती है, बल्कि विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र भी है। विश्वभर की विभिन्न संसदों के प्रतिनिधियों के रूपमें प्रधानमंत्री ने बहस, विचार-विमर्श के महत्व को रेखांकित किया और अतीत में हुई ऐसी बहसों के सटीक उदाहरणों का उल्लेख किया। उन्होंने बतायाकि भारत के पांच हजार वर्ष पुराने वेदों, शास्त्रों में विधानसभाओं और समितियों का उल्लेख मिलता है, जहां समाज के कल्याण केलिए सामूहिक निर्णय लिए जाते थे। भारत के सबसे पुराने धर्मग्रंथ ऋग्वेद की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने एक संस्कृत श्लोक का पाठ किया जिसका अर्थ है 'हमें एकसाथ चलना चाहिए, एकसाथ बोलना चाहिए और हमारे विचार आपस में जुड़े होने चाहिए'। उन्होंने बतायाकि ग्रामीण स्तर से संबंधित मुद्दों का समाधान बहस में शामिल करने से किया गया, जो यूनानी राजदूत मेगस्थनीज केलिए अत्यंत कौतुहल का विषय बन गया था, जिन्होंने इसके बारेमें बहुत विस्तार से लिखा था।
प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु में 9वीं शताब्दी के एक शिलालेख काभी उल्लेख किया, जिसमें ग्राम विधानमंडलों के नियमों और संहिताओं के बारेमें विस्तार से बताया गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि 1200 साल पुराने शिलालेख में भी किसी सदस्य को अयोग्य ठहराने के नियमों का उल्लेख किया गया है। भारत में 12वीं शताब्दी से और मैग्ना कार्टा के अस्तित्व में आनेसे कई साल पूर्व से चली आरही अनुभव मंटपा परंपरा का जिक्र करते हुए उन्होंने बतायाकि चर्चाओं को प्रोत्साहित किया जाता था, जहां हर जाति, पंथ और धर्म के लोग अपने विचार व्यक्त करने केलिए स्वतंत्र थे। प्रधानमंत्री ने कहाकि जगतगुरु बसवेश्वर का आरंभ किया गया अनुभव मंटपा आजभी भारत को गौरवांवित करता है। उन्होंने रेखांकित कियाकि 5000 वर्ष प्राचीन धर्मग्रंथों से आजतक भारत की यात्रा न केवल भारत केलिए, बल्कि समस्त विश्व केलिए संसदीय परंपराओं की विरासत है। प्रधानमंत्री ने समय केसाथ भारत की संसदीय परंपराओं के निरंतर विकास और सदृढ़ीकरण पर चर्चा की। उन्होंने बतायाकि आजादी केबाद से भारत में 17 आम चुनाव और 300 से अधिक विधानसभा चुनाव हो चुके हैं, इस सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी निरंतर बढ़ रही है। उन्होंने कहाकि 2019 का आम चुनाव, जब उनकी पार्टी सत्ता में चुनी गई, मानव इतिहास की सबसे बड़ी चुनावी प्रक्रिया थी, क्योंकि 600 मिलियन मतदाताओं ने इसमें भाग लिया था। उन्होंने कहाकि उस समय 910 मिलियन पंजीकृत मतदाता थे, जो पूरे यूरोप की जनसंख्या से भी अधिक थी, इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं के बीच 70 प्रतिशत मतदान भारतीयों की संसदीय प्रथाओं में गहरी आस्था को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि 2019 के चुनाव में महिलाओं की रिकॉर्ड भागीदारी देखी गई। राजनीतिक भागीदारी के विस्तारित होते कैनवास का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि पिछले आम चुनाव में 600 से अधिक राजनीतिक दलों ने भाग लिया और 10 मिलियन सरकारी कर्मचारियों ने चुनाव के संचालन में काम किया और मतदान केलिए एक मिलियन मतदान केंद्र बनाए गए। उन्होंने चुनाव प्रक्रिया के आधुनिकीकरण पर बल दिया और कहाकि पिछले 25 वर्ष से ईवीएम के उपयोग से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता आई है, क्योंकि चुनाव परिणाम गिनती शुरू होने के कुछ घंटों के भीतर आ जाते हैं। उन्होंने बतायाकि अगले साल आम चुनाव में एक बिलियन लोग भाग लेंगे और उन्होंने प्रतिनिधियों को चुनाव प्रक्रिया का अवलोकन करने केलिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधियों को संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं केलिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के हाल के निर्णय की जानकारी दी। उन्होंने उन्हें यहभी बतायाकि स्थानीय स्व-सरकारी संस्थानों में 30 लाख से अधिक निर्वाचित प्रतिनिधियों में से लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत आज हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा दे रहा है, हमारी संसद में हाल में लिया गया निर्णय हमारी संसदीय परंपरा को और समृद्ध करेगा।
प्रधानमंत्री ने दोहरायाकि वैश्विक चुनौतियों से निपटने केलिए जनभागीदारी से बेहतर कोई माध्यम नहीं हो सकता। उन्होंने कहाकि उनका हमेशा से मानना रहा हैकि सरकारें बहुमत से बनती हैं, लेकिन देश सर्वसम्मति से चलता है, हमारी संसदें और यह पी-20 फोरम भी इस भावना को मजबूत कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि बहस और विचार-विमर्श से दुनिया को बेहतर बनाने के प्रयास निश्चित रूपसे सफल होंगे। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और अंतर-संसदीय संघ के अध्यक्ष डुआर्टे पाचेको भी उपस्थित थे। पी-20 शिखर सम्मेलन में जी-20 सदस्यों और आमंत्रित देशों की संसदों के अध्यक्षों ने भाग लिया है। जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी संघ के जी-20 का सदस्य बनने केबाद समस्त अफ्रीकी संसद ने भी पहलीबार पी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लिया है। सम्मेलन के दौरान विषयगत सत्र चार विषयों पर केंद्रित होंगे-सार्वजनिक डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से लोगों के जीवन में बदलाव, महिलाओं के नेतृत्व वाला विकास, एसडीजी में तेजी लाना और सतत ऊर्जा रूपांतरण। प्रकृति के साथ संयोजन में हरित और टिकाऊ भविष्य की दिशा में पहल पर विचार-विमर्श करने केलिए 12 अक्टूबर 2023 को लाईफ (पर्यावरण केलिए जीवनशैली) पर एक पूर्व शिखर सम्मेलन संसदीय फोरम का आयोजन भी किया गया था।