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Friday 3 November 2023 12:48:36 PM
नई दिल्ली। भारत चुनाव आयोग के पिछले कुछ वर्ष में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से चुनावों के सफलतापूर्वक प्रबंधन और संचालन केसाथ मतदाताओं की भागीदारी में जबर्दस्त वृद्धि के बावजूद, चिंता का एक विषय यह भी हैकि 910 मिलियन में से लगभग 297 मिलियन मतदाता ऐसे थे, जिन्होंने लोकसभा चुनाव-2019 में अपना मतदान नहीं किया। मतदान प्रतिशत 67.4 प्रतिशत था। आयोग ने इसे सुधार की चुनौती के रूपमें लिया है और इसी संदर्भ में शैक्षणिक संस्थानों में पाठ्यचर्या और पाठ्येतर पहल के एक अंग के रूपमें विद्यालय और महाविद्यालय के छात्र जल्दही चुनाव प्रक्रिया में मतदाता के तौरपर अपनी भविष्य की भूमिका और कर्तव्यों के बारेमें जानेंगे। निर्वाचन आयोग और शिक्षा मंत्रालय केबीच चुनावी साक्षरता समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह समझौता एक ऐसे संस्थागत प्रारूप के विकास पर बल देता है, जो स्कूल और कॉलेज शिक्षा प्रणाली में चुनावी साक्षरता को औपचारिक रूपसे शामिल करेगा। समझौता ज्ञापन का उद्देश्य स्कूलों और कॉलेजों में निर्वाचन आयोग की प्रमुख व्यवस्थित मतदाता शिक्षा और चुनावी भागीदारी का विस्तार करना है।
चुनाव में मतदाताओं की सार्वभौमिक और प्रबुद्ध भागीदारी को प्रोत्साहित करना है। सतत चुनावी और लोकतंत्र शिक्षा के एक महत्वपूर्ण पहलू के रूपमें शहरी और युवा मतदाताओं केबीच उदासीनता जैसे मुद्दों काभी समाधान निकालना है। भावी मतदाताओं को चुनावों में अधिक सक्रिय रूपसे भाग लेने, जिम्मेदार नागरिकता को बढ़ावा देने और प्रबुद्ध और कर्तव्यनिष्ठ नागरिकों के साथ हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करने केलिए प्रेरित करना है। चुनावी साक्षरता समझौता ज्ञापन में संरचित पाठ्यचर्या, सह-पाठयक्रम और पाठ्येतर गतिविधियां शामिल हैं, जो भविष्य और नए मतदाताओं को अधिक चुनावी भागीदारी केलिए तैयार करने और लोकतंत्र को मजबूत करने में मदद करेंगे। युवा सोच का ध्यान आकर्षित करते हुए उन्हें हर चुनाव में उनके मतदान के महत्व और मूल्य के बारेमें शिक्षित करना महत्वपूर्ण है। चुनावी साक्षरता समझौते की मुख्य विशेषताएं हैं जैसे-सभी स्कूलों में कक्षा 6 से 12 तकके पाठ्यक्रम में मतदाता शिक्षा और चुनावी साक्षरता को व्यवस्थित रूपसे शामिल करना। सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों के अनुरूप पाठ्यचर्या प्रारूप तैयार किया जाएगा और तदनुसार शामिल किया जाएगा।
एनसीईआरटी चुनावी साक्षरता पर सामग्री शामिल करने केलिए अपनी पाठ्यपुस्तकों को प्रस्तुत और अद्यतन करेगी तथा राज्य शिक्षा बोर्डों एवं अन्य बोर्डों कोभी इसका पालन करने की सलाह देगा। कक्षाओं में चुनावी साक्षरता को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने केलिए शिक्षकों के उन्मुखीकरण और प्रशिक्षण पर जोर देना। स्कूलों और कॉलेजों में चुनावी साक्षरता क्लब स्थापित करने केलिए राज्य शिक्षा विभागों के भीतर जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देना। यह विद्यार्थियों केबीच मतदाता जागरुकता को बढ़ावा देने केलिए विभिन्न गतिविधियों को प्रोत्साहित करने केसाथ उन्हें देश की चुनावी प्रणाली से परिचित कराएगा। इसके अलावा उन्हें मतदाता के रूपमें पंजीकृत होने और हर चुनाव में बेहतर तरीके से सजग रहने और नैतिक दृष्टिकोण केसाथ उत्साहपूर्वक भाग लेने केलिए प्रोत्साहित करना है। समझौता ज्ञापन में 18 वर्ष की आयु होने केबाद प्रत्येक छात्र को मतदाता पहचानपत्र सौंपने के ईसीआई के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने केलिए एक मजबूत तंत्र विकसित करना शामिल है। प्रत्येक अर्हता तिथि 17+ वर्ष की आयु (प्रत्येक कैलेंडर वर्ष की 1 जनवरी, 1 अप्रैल, 1 जुलाई और 1 अक्टूबर) और मतदाता सूची के वार्षिक सारांश पुनरीक्षण के दौरान योग्य और भावी छात्रों के ऑनलाइन पंजीकरण केलिए एक संस्थागत प्रारूप तैयार करना।
वयस्क साक्षरता और बुनियादी शिक्षा के पाठ्यक्रम में चुनावी साक्षरता को शामिल करते हुए आजीवन शिक्षण केलिए चुनावी प्रक्रियाओं पर केंद्रित शैक्षिक सामग्री तैयार करना। मतदाता शिक्षा सामग्री के नियमित प्रदर्शन और पूरे वर्ष सतत चुनावी और लोकतंत्र शिक्षा गतिविधियों के संचालन केलिए प्रत्येक वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में एक कमरे को 'लोकतंत्र कक्ष' के रूपमें नामित करें। एक समर्पित लोकतंत्र कक्ष छात्रों को पूरे वर्ष लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के विभिन्न पहलुओं को सीखने, चर्चा करने और उनमें भाग लेने केलिए एक मंच प्रदान करेगा। विश्वविद्यालय स्तर की राजनीति में सक्रिय रूपसे भाग लेने केलिए विश्वविद्यालय के छात्रों केबीच महत्वपूर्ण दृष्टिकोण, संचार और नेतृत्व कौशल विकसित करना, जिसमें सूचित चर्चाएं और परस्पर संवाद में शामिल होना। सीईडीई में भाग लेने वाले छात्रों केलिए उच्च अध्ययन हेतु सामग्री उपलब्ध करना। स्थायी आधार पर मानक रैंप, सुलभ शौचालय, उचित प्रकाश और बिजली प्रदान करना।
चुनावी साक्षरता समझौते का उद्देश्य युवाओं और प्रथम मतदाताओं केबीच ज्ञान के अंतर को दूर करते हुए उनको सशक्त बनाना है। भारत दुनिया की सबसे युवा आबादी में से एक है और चुनावी प्रक्रिया केप्रति युवाओं की उदासीनता के परिणामस्वरूप संभावित रूपसे वयस्कों की भावी पीढ़ी मतदान करने में झिझक महसूस करती है। इस तरह की उदासीनता एक संपन्न लोकतंत्र की कार्यक्षमता पर महत्वपूर्ण रूपसे प्रभाव डाल सकती है, इसलिए शैक्षणिक संस्थानों के माध्यम से युवाओं में चुनावी साक्षरता जगाने के दीर्घकालिक दृष्टिकोण से यह समझौता किया गया है। इस पहल से शहरी और युवाओं की उदासीनता को दूर करने के चुनाव आयोग के प्रयास में सहायता मिलने की आशा है, जिससे अगले आम चुनावों में बेहतर चुनावी भागीदारी हो सकेगी।