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Friday 3 November 2023 05:01:37 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मेगा फूड इवेंट 'वर्ल्ड फूड इंडिया-2023' के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया है, जिसका आयोजन नई दिल्ली के प्रगति मैदान में बने भारत मंडपम में किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने स्वयं सहायता समूहों को मजबूत करने केलिए एक लाख से अधिक एसएचजी सदस्यों को बीज केलिए आर्थिक सहायता का वितरण और प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। मेगा फूड इवेंट का उद्देश्य भारत को 'दुनिया के खाद्य केंद्र' के रूपमें प्रदर्शित करना और 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूपमें मनाना है। प्रधानमंत्री ने प्रदर्शित प्रौद्योगिकी एवं स्टार्टअप मंडप और फूड स्ट्रीट की सराहना करते हुए कहाकि प्रौद्योगिकी और स्वाद का मिश्रण भविष्य की अर्थव्यवस्था का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने आजके बदलते परिप्रेक्ष्य में खाद्य सुरक्षा की प्रमुख चुनौतियों में से एकका उल्लेख करते हुए विश्व खाद्य भारत 2023 के महत्व को रेखांकित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि वर्ल्ड फूड इंडिया के परिणाम भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को 'सूर्योदय क्षेत्र' के रूपमें पहचाने जाने का एक बड़ा उदाहरण हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि 9 वर्ष में सरकार की उद्योग समर्थक और किसान समर्थक नीतियों के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र ने 50000 करोड़ रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया है। उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में पीएलआई योजना का उल्लेख करते हुए कहाकि यह उद्योग में नए उद्यमियों को बड़ी सहायता प्रदान कर रही है, फसल कटाई केबाद के बुनियादी ढांचे केलिए एग्री-इंफ्रा फंड के तहत हजारों परियोजनाओं पर कार्य चल रहा है, जिसमें लगभग 50000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश है, जबकि मत्स्य पालन और पशुपालन क्षेत्र में प्रसंस्करण बुनियादी ढांचे कोभी हजारों करोड़ रुपए के निवेश केसाथ प्रोत्साहित किया जा रहा है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरकार की निवेशक अनुकूल नीतियां खाद्य क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही हैं। प्रधानमंत्री ने बतायाकि 9 वर्ष में भारत के कृषि निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 13 प्रतिशत से बढ़कर 23 प्रतिशत हो गई है, जिससे निर्यातित प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में कुल मिलाकर 150 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज भारत कृषि उपज में 50000 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक के कुल निर्यात मूल्य के साथ 7वें स्थान पर है। उन्होंने कहाकि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है, जहां भारत ने अभूतपूर्व वृद्धि नहीं की हो और यह खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जुड़ी हर कंपनी और स्टार्ट-अप केलिए यह एक स्वर्णिम अवसर है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में तीव्र वृद्धि का कारण सरकार के निरंतर और समर्पित प्रयास रहे हैं। उन्होंने भारत में पहलीबार कृषि निर्यात नीति के निर्माण, राष्ट्रव्यापी लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचे के विकास, जिले को वैश्विक बाजारों से जोड़ने वाले 100 से अधिक जिलास्तरीय केंद्रों के निर्माण, मेगा फूड पार्कों की संख्या में 2 से बढ़कर 20 से अधिक और भारत की खाद्य प्रसंस्करण क्षमता 12 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 200 लाख मीट्रिक टन से अधिक हो गई है, जो 9 वर्ष में 15 गुना वृद्धि को दर्शाती है। प्रधानमंत्री ने भारत से पहलीबार निर्यात किए जा रहे उन कृषि उत्पादों का उदाहरण दिया, जिनमें हिमाचल प्रदेश से काले लहसुन, जम्मू और कश्मीर से ड्रैगन फ्रूट, मध्य प्रदेश से सोया दूध पाउडर, लद्दाख से कार्किचू सेब, पंजाब से कैवेंडिश केले, जम्मू से गुच्ची मशरूम और कर्नाटक से कच्चा शहद शामिल हैं।
भारत में शहरीकरण को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने किसानों, स्टार्ट-अप और छोटे उद्यमियों केलिए अनछुए अवसरों के सृजन का जिक्र करते हुए पैकेज्ड फूड की बढ़ती मांग की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने इन संभावनाओं का पूरा उपयोग करने केलिए महत्वाकांक्षी योजना की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भारत की विकास गाथा के तीन मुख्य स्तंभों-छोटे किसान, छोटे उद्योग और महिलाओं का उल्लेख किया। उन्होंने छोटे किसानों की भागीदारी और मुनाफा बढ़ाने केलिए एक मंच के रूपमें किसान उत्पादन संगठनों या एफपीओ के प्रभावी उपयोग की भी जानकारी दी। उन्होंने कहाकि हम भारत में 10 हजार नए एफपीओ बना रहे हैं, जिनमें से 7 हजार पहले ही बन चुके हैं। उन्होंने किसानों केलिए बढ़ती बाजार पहुंच और प्रसंस्करण सुविधाओं की उपलब्धता का उल्लेख करते हुए कहाकि लघु उद्योगों की भागीदारी बढ़ाने केलिए खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में लगभग 2 लाख सूक्ष्म उद्यमों का संगठित किया जा रहा है। उन्होंने कहाकि एक जिला एक उत्पाद जैसी योजनाएं भी छोटे किसानों और छोटे उद्योगों को नई पहचान दे रही हैं।
भारत में महिला नेतृत्व वाले विकास मार्ग का जिक्र करके प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था में महिलाओं के बढ़ते योगदान पर प्रकाश डाला, जिससे खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को लाभ हुआ है। उन्होंने कहाकि आज भारत में 9 करोड़ से अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं, हजारों वर्ष से भारत में खाद्य विज्ञान में महिलाओं का नेतृत्व रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत में भोजन की विविधता और खाद्य विविधता भारतीय महिलाओं के कौशल और ज्ञान का परिणाम है। उन्होंने कहाकि महिलाएं अचार, पापड़, चिप्स, मुरब्बा आदि कई उत्पादों का बाजार अपने घर से ही चला रही हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारतीय महिलाओं में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का नेतृत्व करने की नैसर्गिक क्षमता है। उन्होंने कहाकि महिलाओं केलिए हर स्तरपर कुटीर उद्योगों और स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने आज इस अवसर पर 1 लाख से ज्यादा महिलाओं को करोड़ों रुपये की प्रारंभिक वित्तीय सहायता प्रदान करने का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि भारत में जितनी सांस्कृतिक विविधता है, उतनी ही खान-पान विविधता भी है, भारत की खाद्य विविधता दुनिया के हर निवेशक केलिए एक लाभांश है। प्रधानमंत्री ने कहाकि दुनियाभर के खाद्य उद्योग को भारत की खाद्य परंपराओं से बहुत कुछ सीखना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत की दीर्घकालिक खाद्य संस्कृति उसकी हजारों वर्षों की विकास यात्रा का परिणाम है, पूर्वजों ने भोजन की आदतों को आयुर्वेद से जोड़ा था, आयुर्वेद में कहा गया है 'ऋत-भुक' यानी मौसम के अनुसार भोजन 'मित भुक' यानी संतुलित आहार और 'हित भुक' यानी स्वस्थ भोजन जैसी परंपराएं भारत की वैज्ञानिक समझ को दर्शाती हैं। उन्होंने दुनिया पर भारत से खाद्यान्न विशेषकर मसालों के व्यापार के निरंतर प्रभाव का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को दीर्घकालिक और स्वस्थ भोजन आदतों के प्राचीन ज्ञान को समझने और लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने स्वीकार कियाकि दुनिया 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूपमें मना रही है, बाजरा भारत के 'सुपरफूड बकेट' का हिस्सा है और सरकार ने इसकी पहचान श्रीअन्न के रूपमें की है। भले ही सदियों से अधिकांश सभ्यताओं में बाजरा को बहुत प्राथमिकता दी गई थी, लेकिन प्रधानमंत्री ने कहाकि यह पिछले कुछ दशकों में भारत सहित कई देशों में इसे भोजन से बाहर कर दिया गया, जिससे वैश्विक स्वास्थ्य, दीर्घकालिक खेती केसाथ ही अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है। प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के प्रभाव की तरह ही दुनिया के कोने-कोने में श्रीअन्न के पहुंचने का भरोसा जताते हुए कहाकि भारत की पहल पर दुनिया में श्रीअन्न को लेकर जागरुकता अभियान शुरू किया गया है।
नरेंद्र मोदी ने हालही में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत आनेवाले गणमान्य व्यक्तियों केलिए बाजरा से बने व्यंजनों और बाजार में बाजरा से बने प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की उपलब्धता काभी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने गणमान्य व्यक्तियों से श्री अन्न की हिस्सेदारी बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करने और उद्योग एवं किसानों के लाभ केलिए एक सामूहिक प्रारूप तैयार करने का आग्रह किया। नरेंद्र मोदी ने कहाकि जी20 समूह ने दिल्ली घोषणापत्र में दीर्घकालिक कृषि, खाद्य सुरक्षा और पोषण सुरक्षा पर जोर दिया है और खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े सभी भागीदारों की भूमिका का उल्लेख किया गया है। उन्होंने खाद्य वितरण कार्यक्रम को विविध खाद्य केंद्र के रूप में स्थापित करने और अंततः फसल कटाई केबाद के नुकसान को कम करने पर जोर दिया। उन्होंने प्रौद्योगिकी का उपयोग करके बर्बादी को कम करने पर भी बल दिया, उत्पादों के प्रसंस्करण को बढ़ाने का आग्रह किया, जिससे किसानों को लाभ हो और कीमतों में उतार-चढ़ाव को रोका जा सके। प्रधानमंत्री ने किसानों के हितों और उपभोक्ताओं की संतुष्टि के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि यहां निकाले गए निष्कर्ष दुनिया केलिए एक स्थायी और खाद्य-सुरक्षित भविष्य की नींव रखेंगे। उद्घाटन कार्यक्रम में केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पशुपति कुमार पारस, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल भी उपस्थित थे।