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Thursday 16 November 2023 04:30:52 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने तीसरे ऑडिट दिवस समारोह पर भारत में ऑडिट व्यवस्था केलिए कार्यरत लगभग 45 हजार लोगों की टीम को बधाई देते हुए कहाकि आज के ही दिन यानी 16 नवंबर को वर्ष 1860 में भारत के प्रथम महालेखा परीक्षक को नियुक्त किया गया था, इस तरह देश की वर्तमान ऑडिट व्यवस्था के पीछे एक 160 वर्ष से भी लंबी अवधि की विरासत विद्यमान है। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक के नेतृत्व में सरकार के ऑडिट समुदाय ने अखंडता और मजबूत शासन प्रणाली निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्रपति ने इसके लिए पूर्ववर्ती ऑडिट कर्मचारियों एवं अधिकारियों की भी सराहना की। उन्होंने कहाकि भारत के लोग वर्ष 2047 तक विकसित भारत के निर्माण की दिशा में तेजीसे बढ़ना चाहते हैं, इस लक्ष्य को हासिल करने केलिए सीएजी समेत देश के सभी महत्वपूर्ण संस्थानों और समुदायों को योगदान देना होगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि उन्हें यह जानकर खुशी हुईकि सीएजी ने डेटा प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र की स्थापना सहित कई दूरदर्शी कदम उठाए हैं, जिसमें भविष्य के अनुरूप डिजिटल तकनीक और अन्य आधुनिक तरीकों का उपयोग किया जा रहा है। राष्ट्रपति ने कहाकि सीएजी की टीम से एक नियंत्रक और परीक्षक के रूपमें योगदान की उम्मीद की जाती है, जो देश की विकास यात्रा में साथी और मार्गदर्शक दोनों है। उन्होंने कहाकि भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में सीएजी टीम की अहम भूमिका होगी। राष्ट्रपति ने कहाकि आज की वैश्विक प्रतिस्पर्धा वाली बाजार प्रणाली का प्रभाव सभी संस्थानों और उद्यमों केलिए प्रासंगिक है, देश के सभी उद्यमों और गतिविधियों में नैतिकता के आधार पर प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता लगातार बढ़नी चाहिए। वित्तीय औचित्य और वैधता सुनिश्चित करते हुए त्वरित वृद्धि और विकास के राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधाओं को दूर करना सीएजी सहित सुशासन केलिए जिम्मेदार प्रत्येक संस्थान और व्यक्ति के प्रभावी योगदान की कसौटी है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस बात पर जोर दियाकि लेखा परीक्षकों को सुशासन के सूत्रधार के रूपमें माना जाना चाहिए, न कि आलोचकों के रूपमें। उन्होंने कहाकि उन्हें मार्गदर्शक माना जाना चाहिए, जिनकी जांच-पड़ताल हमें सही रास्ते पर चलना सिखाती है। राष्ट्रपति ने कहाकि ऑडिट के क्षेत्र में भी विश्व समुदाय में भारत की स्थिति अग्रणी है। उन्होंने कहाकि भारत की जी20 अध्यक्षता में महालेखा परीक्षक गिरीश चंद्र मुर्मु ने जी20 देशों के सर्वोच्च लेखापरीक्षा संस्थान की अध्यक्षता की, इसके लिए उन्हें बधाई दी और कहाकि भारत के सुप्रीम ऑडिट इंस्टीट्यूशंस-20 की अध्यक्षता में ब्लू इकोनॉमी और रिस्पॉन्सिबल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मुद्दों पर जोर देना भविष्य केलिए रोडमैप तैयार करने का एक अच्छा प्रयास है। राष्ट्रपति को यह जानकर खुशी हुईकि सीएजी अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहाकि सुप्रीम ऑडिट संस्थानों का मार्गदर्शन करना भारत के सीएजी संस्थान के सार्वजनिक क्षेत्र के ऑडिटिंग में वैश्विक नेता बने रहने के विजन के सर्वथा अनुरूप है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि बाह्य लेखा परीक्षक के रूपमें भारत के सीएजी ने संयुक्त राष्ट्र से जुड़े अनेक महत्वपूर्ण संस्थानों का ऑडिट किया है, अन्य अनेक प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय संस्थान ऑडिट केलिए भारत की सीएजी की टीम की सेवाएं प्राप्त करते हैं, यह सीएजी टीम की विश्वस्तरीय दक्षता का प्रमाण है। उन्होंने उल्लेख कियाकि हमारे संविधान निर्माताओं ने सुशासन और राष्ट्रनिर्माण के हित में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को विशेष अधिकार और दर्जा प्रदान किया, यह अधिकार संसदीय प्रणाली के तहत प्रदान किया गया, इस संदर्भ में बाबासाहब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के एक महत्वपूर्ण वक्तव्य का अक्सर उल्लेख किया जाता है-'मेरी राय हैकि यह गणमान्य व्यक्ति या अधिकारी संभवतः भारत के संविधान में सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी है। वह एक ऐसा व्यक्ति है, जो यह देखेगाकि संसद द्वारा पारित खर्च संसद द्वारा निर्धारित व्यय से अधिक न हो या उसमें भिन्नता न हो।'
राष्ट्रपति ने कहाकि बाबासाहब के इस वक्तव्य में यह भी ध्यान देने योग्य बात हैकि संसद का निर्णय सर्वोपरि है, जनता की आकांक्षाओं को परिलक्षित करता है। उन्होंने कहाकि आज हमारे देशवासी वर्ष 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण की दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं और सीएजी सहित देश के सभी महत्वपूर्ण संस्थानों और समुदायों को इस लक्ष्य को प्राप्त करने में अपना योगदान देना है। द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई हैकि सीएजी डेटा प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र सहित भविष्य के अनुरूप डिजिटल प्रौद्योगिकी तथा अन्य आधुनिक पद्धतियों का उपयोग कर रहा है और भविष्य केप्रति यह सजगता उपयोगी सिद्ध होगी।