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Friday 24 November 2023 02:29:35 PM
मथुरा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मथुरा में संत मीराबाई की 525वीं जयंती पर आयोजित संत मीराबाई जन्मोत्सव में भाग लिया और संत मीराबाई के सम्मान में एक स्मारक टिकट और सिक्का जारी किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि संत मीराबाई की 525वीं जयंती केवल एक जयंती नहीं है, बल्कि भारत में प्रेम की संपूर्ण संस्कृति और परंपरा का उत्सव है, नर और नारायण, जीव और शिव, भक्त और भगवान को एक मानने वाली सोच का उत्सव। उन्होंने कहाकि मीराबाई ने भारत की चेतना को भक्ति और अध्यात्म से पोषित किया, उनकी स्मृति में आयोजित यह कार्यक्रम हमें भारत की भक्ति परंपरा के साथ-साथ भारत की वीरता और बलिदान की याद दिलाता है, क्योंकि राजस्थान के लोग भारत की संस्कृति एवं चेतना की रक्षा करते हुए एक दीवार की तरह अडिग रहे। उन्होंने एक प्रदर्शनी का अवलोकन किया और सांस्कृतिक कार्यक्रम देखा, जो संत मीराबाई की स्मृति में सालभर चलने वाले अनगिनत कार्यक्रमों की शुरुआत का प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने ब्रज भूमि और ब्रज के लोगों केबीच आने पर प्रसन्नता और आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस भूमि के दैवीय महत्व की व्यापक स्तुति की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भव्य काशी विश्वनाथ धाम, केदारनाथ धाम, श्रीराम मंदिर की आगामी तिथि का जिक्र करते हुए कहाकि विकास के इस दौर में मथुरा और ब्रज पीछे नहीं रहेंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि ब्रज क्षेत्र और देश में हो रहे बदलाव एवं विकास सिर्फ प्रणाली में बदलाव नहीं है, बल्कि राष्ट्र की पुनर्जागृत चेतना के बदलते स्वरूप का प्रतीक है। महाभारत इस बात का प्रमाण हैकि जहां भी भारत का पुनर्जन्म होता है, उसके पीछे निश्चित रूपसे भगवान श्रीकृष्ण का आशीर्वाद होता है। उन्होंने रेखांकित कियाकि देश अपने संकल्पों को पूरा करेगा और एक विकसित भारत का निर्माण करेगा। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त कीकि ब्रज के विकास केलिए उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद की स्थापना की गई है। उन्होंने कहाकि यह परिषद श्रद्धालुओं की सुविधा और तीर्थयात्रा के विकास केलिए काफी काम कर रही है। नरेंद्र मोदी ने दोहरायाकि पूरा क्षेत्र कान्हा की 'लीलाओं' से जुड़ा है। उन्होंने मथुरा, वृंदावन, भरतपुर, करौली, आगरा, फिरोजाबाद, कासगंज, पलवल, बल्लभगढ़ जैसे क्षेत्रों का उदाहरण दिया, जो विभिन्न राज्यों में हैं। उन्होंने बतायाकि भारत सरकार विभिन्न राज्य सरकारों केसाथ मिलकर इस पूरे क्षेत्र को विकसित करने का प्रयास कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान श्रीकृष्ण, राधा रानी, मीराबाई और ब्रज के संतों को नमन किया। प्रधानमंत्री ने मथुरा की सांसद हेमा मालिनी के अथक प्रयासों की सराहना करते हुए कहाकि उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में स्वयं को पूरी तरह से लीनकर दिया है। गुजरात केसाथ भगवान श्रीकृष्ण और मीराबाई के संबंधों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि यह उनकी मथुरा यात्रा को औरभी विशेष बनाता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि मथुरा के कन्हैया गुजरात आने केबाद द्वारकाधीश बन गए, संत मीराबाई, जो राजस्थान से थीं और मथुरा के गलियारों को प्यार और स्नेह से भर देती थीं, उन्होंने अपने अंतिम दिन गुजरात के द्वारका में बिताए थे। उन्होंने कहाकि गुजरात के लोगों को जब उत्तर प्रदेश में फैले ब्रज और राजस्थान में जाने का अवसर मिलता है तो वे इसे द्वारकाधीश का आशीर्वाद मानते हैं। नरेंद्र मोदी ने यह भी कहाकि वह 2014 में वाराणसी से सांसद बनने केबाद से वह उत्तर प्रदेश का हिस्सा बन गए हैं। प्रधानमंत्री ने बतायाकि 84 कोस का ब्रज मंडल उत्तर प्रदेश और राजस्थान दोनों का हिस्सा है। यह कहते हुए कि भारत युगों से नारी शक्ति के प्रति समर्पित रहा है, प्रधानमंत्री ने कहाकि यह ब्रजवासी ही हैं, जिन्होंने इस तथ्य को अन्य लोगों की तुलना में अधिक स्वीकार किया है। उन्होंने कहाकि कन्हैया की भूमि में हर किसी के स्वागत संबोधन और अभिनंदन की शुरुआत ‘राधे राधे’ से होती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस तथ्य को रेखांकित कियाकि श्रीकृष्ण का नाम तभी संपूर्ण होता है, जब उसके आगे राधा जुड़ जाए। उन्होंने राष्ट्रनिर्माण और समाज को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त करने में महिलाओं के योगदान का श्रेय इन आदर्शों को दिया। इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि मीराबाई एक आदर्श उदाहरण हैं प्रधानमंत्री ने उनका एक दोहा सुनाया और उसके अंतर्निहित संदेश को समझायाकि आकाश और पृथ्वी केबीच जो कुछ भी आता है वह अंततः समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहाकि मीराबाई ने उस कठिन समय में यह दिखायाकि एक महिला की आंतरिक शक्ति पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करने में सक्षम है, संत रविदास उनके गुरु थे, संत मीराबाई महान समाज सुधारक भी थीं। उन्होंने कहाकि यहां छंद आजभी हमें रास्ता दिखाते हैं, वह हमें रूढ़ियों से बंधे बिना अपने मूल्यों से जुड़े रहना सिखाती हैं। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भारत की अटूट भावना को उजागर किया और कहाकि जबभी भारत की चेतना पर हमला हुआ है या वे कमजोर हुईं हैं, देश के किसी हिस्से से एक जागृत ऊर्जा स्रोत हमेशा नेतृत्व करने केलिए उभरा है। उन्होंने कहाकि कुछ दिग्गज योद्धा बने तो कुछ संत, भक्ति काल के संतों अर्थात दक्षिण भारत के अलावर एवं नयनार संतों तथा आचार्य रामानुजाचार्य, उत्तर भारत के तुसलीदास, कबीरदास, रविदास तथा सूरदास, पंजाब के गुरु नानक देव, पूर्व में बंगाल के चैतन्य महाप्रभु, गुजरात के नरसिंह मेहता और पश्चिम में महाराष्ट्र के तुकाराम एवं नामदेव का उदाहरण दिया।
प्रधानमंत्री ने कहाकि उन्होंने त्याग का मार्ग अपनाया और भारत को भी गढ़ा, भले ही उनकी भाषाएं एवं संस्कृतियां एक-दूसरे से भिन्न थीं, लेकिन उनका संदेश एक ही था और उन्होंने अपनी भक्ति एवं ज्ञान से पूरे देश को एकजुट किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि मथुरा भक्ति आंदोलन की विभिन्न धाराओं का संगम स्थल रहा है। उन्होंने मलूक दास, चैतन्य महाप्रभु, महाप्रभु वल्लभाचार्य, स्वामी हरिदास और स्वामी हित हरिवंश महाप्रभु का उदाहरण देते हुए कहाकि इन महापुरुषों ने राष्ट्र में एक नई चेतना का संचार किया। उन्होंने कहाकि आज इस भक्ति यज्ञ को भगवान श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से आगे बढ़ाया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर अफसोस जतायाकि मथुरा को वह ध्यान नहीं मिला, जिसका वह हकदार था, क्योंकि भारत के गौरवशाली अतीत की भावना को न जानने-समझने वाले लोग गुलामी की मानसिकता से छुटकारा नहीं पा सके और ब्रज भूमि को विकास से वंचित रखा। प्रधानमंत्री ने कहाकि अमृतकाल के इस समय में देश पहलीबार गुलामी की मानसिकता से बाहर आया है, ऐतिहासिक लाल किले की प्राचीर से पंच प्रणों का संकल्प लिया गया है। कार्यक्रम में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक, मथुरा की सांसद हेमा मालिनी और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।