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Monday 27 November 2023 04:11:34 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा हैकि संसद लोकतंत्र की आत्मा है और संविधान संसद के विशेष अधिकार क्षेत्र में है। उन्होंने कहाकि देश की संविधान सभा का संदेश स्पष्ट हैकि संसद ही संविधान की निर्माता है, उच्चतम न्यायालय संसद के अधिकार पर अपना कोई निर्णय नहीं दे सकता, इसी तरह उच्चतम न्यायालय हमारे लिए कानून नहीं बना सकता, वह हमारा क्षेत्र है। उपराष्ट्रपति का यह बयान उस समय आया है, जब विभिन्न मामलों पर संसद और उसके अधिकारों एवं सुप्रीम कोर्ट में बड़ा कौन है की खटपट चली आ रही है। यह तनातनी उस समय ज्यादा मुखर दिखती है, जब सुप्रीमकोर्ट संसद की सर्वोच्चता की उपेक्षा करता हुआ और देश के सीईओ की तरह एक्ट करता दिखाई पड़ता है। उन्होंने कहाकि संसद की संप्रभुता राष्ट्र की संप्रभुता का पर्याय है और यह अखंडनीय है। उपराष्ट्रपति नई दिल्ली में विधि और न्याय मंत्रालय के संविधान दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद के विशिष्ट क्षेत्र में किसीभी तरह की घुसपैठ को संवैधानिक भटकाव और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रतिकूल बताया और कहाकि लोकतंत्र उस समय बेहतर रूपसे पोषित होता है, जब राज्य के सभी अंग यानी कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका सद्भाव, अनुबद्धता एवं एकजुटता से कार्य करते हैं। उपराष्ट्रपति ने कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका में टकराव की धारणा की जगह सहयोगात्मक चर्चा का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि इन संस्थानों केबीच उत्पन्न मतभेदों का उत्कृष्ट राजनीतिज्ञता कौशल के जरिए समाधान किया जाना चाहिए, न कि किसी सार्वजनिक रुख या रणनीतिक धारणा पैदा की जाए। उपराष्ट्रपति ने इन संस्थानों के लोगों केबीच समन्वय केलिए एक व्यवस्थित तंत्र होना जरूरी बताया। उपराष्ट्रपति ने कहाकि अवलोकन या अन्य तरीके से सार्वजनिक क्षेत्र में आने वाला कोई भी पतन हमारे लिए सुखद नहीं होगा। उपराष्ट्रपति ने कहाकि कानून और संविधान की व्याख्या करनेवाले संवैधानिक प्रावधान एक छोटी सी दरार है, जो बाधा नहीं बन सकते, जिनके बारेमें हमें काफी चिंतित रहना होगा।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने खुदको न्यायपालिका का एक सिपाही बताया और कहाकि देश के लाखों लोगों की तरह न्यायिक स्वतंत्रता मुझे भी काफी प्रिय है, हम एक मजबूत न्यायपालिका चाहते हैं और मैं बिना किसी विरोधाभास के डर के कह सकता हूंकि हमारी न्यायपालिका विश्व की सर्वश्रेष्ठ न्यायपालिकाओं में से एक है। उन्होंने उच्चतम न्यायालय की ई-कमेटी की पहल की भी सराहना की, जिसने प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर प्रणाली को अधिक जनकेंद्रित बनाया, पारदर्शिता एवं दक्षता को प्राथमिकता दी और सभी केलिए न्याय तक पहुंच बढ़ाई। उपराष्ट्रपति ने स्वतंत्रता केबाद के भारत के इतिहास में आपातकाल की घोषणा को 'सबसे काला कालखंड' बताया। उपराष्ट्रपति ने इसे संवैधानिक सार और भावना का अपमानजनक उल्लंघन एवं संविधान को अपवित्र करने वाला बताया। उपराष्ट्रपति ने संविधान को हमारे लोकतंत्र का आधार बताया। उन्होंने कहाकि संविधान दिवस इसके संस्थापकों को कृतज्ञता और श्रद्धा की भावना केसाथ स्मरण करने के क्षण के रूपमें कार्य करता है। उन्होंने संविधान के मूल मूल्यों केलिए अपनी निष्ठा की पुष्टि करने का आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने समावेशी और टिकाऊ विकास केलिए महिला सशक्तिकरण के महत्व को रेखांकित किया। उपराष्ट्रपति ने हालही में महिला आरक्षण विधेयक के पारित होने की सराहना की, जो संसद और राज्य विधानमंडलों में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण प्रदान करेगा। उपराष्ट्रपति ने सांसदों से लोकतंत्र के मंदिरों में व्यवधान या गड़बड़ी को नहीं, बल्कि बहस, संवाद, चर्चा और विचार-विमर्श को अपना हथियार बनाने का अनुरोध किया। इस अवसर पर केंद्रीय विधि और न्याय राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, भारत के अध्यक्ष न्यायाधीश अरुण कुमार मिश्रा, उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी, भारतीय विधि आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता, अटॉर्नी जनरल (महान्यायवादी) आर वेंकटरमणी और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।