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लाल किला में पराक्रम दिवस समारोह आयोजित

समाज का एक बड़ा वर्ग अवसरों और आवश्यकताओं से वंचित-मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लालकिला में पराक्रम दिवस समारोह में शामिल

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 24 January 2024 03:49:26 PM

narendra modi attends parakram diwas celebrations at red fort

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिला में पराक्रम दिवस समारोह में भाग लिया। उन्होंने भारत पर्व का शुभारंभ किया, जो गणतंत्र दिवस की झांकियों और सांस्कृतिक प्रदर्शनियों केसाथ देश की समृद्ध विविधता को प्रदर्शित करेगा। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय अभिलेखागार की प्रौद्योगिकी-आधारित इंटरैक्टिव प्रदर्शनी का अवलोकन किया, जिसमें नेताजी की तस्वीरें, पेंटिंग, किताबें और मूर्तियां प्रदर्शित की गई हैं। उन्होंने नेताजी के जीवन पर आधारित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय का नाटक भी देखा। उन्होंने आज़ाद हिंद फौज़ के एकमात्र जीवित वयोवृद्ध लेफ्टिनेंट आर माधवन को सम्मानित किया। गौरतलब हैकि पराक्रम दिवस स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दिग्गजों के योगदान का विधिवत सम्मान करने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप वर्ष 2021 से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर मनाया जाता है। पराक्रम दिवस की प्रधानमंत्री ने अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहाकि जो लालकिला कभी आज़ाद हिंद फौज के शौर्य और पराक्रम का साझी था, वह एकबार फिर नई ऊर्जा से भर गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृतकाल की प्रारंभिक अवधि को संकल्प के माध्यम से सिद्धि के उत्सव के रूपमें संदर्भित करते हुए इस क्षण को अभूतपूर्व बताया। उन्होंने अयोध्या में श्रीरामलला मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का स्‍मरण करते हुए कहाकि सम्पूर्ण विश्व ने भारत में वहां सांस्कृतिक चेतना जागृत होती देखी और प्राण प्रतिष्ठा की ऊर्जा और विश्वास को पूरी मानवता और दुनिया ने अनुभव किया। उन्होंने कहाकि नेताजी सुभाष की जयंती का पराक्रम दिवस समारोह 30 जनवरी को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि तक गणतंत्र दिवस समारोह का विस्तार करता है और अब 22 जनवरी का रामलला प्राण प्रतिष्ठा का शुभ उत्सव भी लोकतंत्र के इस उत्सव का एक हिस्सा बन गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि जनवरी के आखिरी कुछ दिन भारत की आस्था, सांस्कृतिक चेतना, लोकतंत्र और देशभक्ति केलिए प्रेरणादायक हैं। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के आयोजन में शामिल सभी लोगों की सराहना की। ध्यान रहेकि इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित बच्चों से बातचीत की थी। उन्होंने कहाकि जबभी मैं भारत की युवा पीढ़ी से मिलता हूं तो विकसित भारत के स्वप्न के प्रति मेरा विश्वास और दृढ़ हो जाता है, नेताजी सुभाष चंद्र बोस देश की इसी अमृत पीढ़ी केलिए महान आदर्श हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत पर्व का उल्लेख किया, जिसका उन्होंने शुभारंभ किया था। उन्होंने अगले 9 दिन में होने वाले कार्यक्रमों और प्रदर्शनों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहाकि भारत पर्व नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आदर्शों का प्रतिबिंब है, यह 'वोकल फॉर लोकल' अपनाने, पर्यटन को बढ़ावा देने, विविधता का सम्मान करने और 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' को नई ऊंचाई देने का 'पर्व' है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएनए के 75 साल पूरे होने पर लालकिले पर तिरंगा फहराने का स्मरण करते हुए कहाकि नेताजी का जीवन परिश्रम के साथ-साथ शौर्य का भी शिखर था। प्रधानमंत्री ने नेताजी के बलिदान को याद करते हुए कहाकि उन्होंने न सिर्फ अंग्रेजों का विरोध किया, बल्कि भारतीय सभ्यता पर सवाल उठाने वालों को भी उचित जवाब दिया। प्रधानमंत्री कहाकि नेताजी ने विश्व के समक्ष लोकतंत्र की जननी के रूपमें भारत की छवि प्रदर्शित की। पराधीनता की मानसिकता के विरोध में नेताजी के संघर्ष का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि आजके भारत की युवा पीढ़ी में जो नई चेतना और गौरव व्याप्त है, उसपर नेताजी को भी गर्व होगा, ये नई जागरुकता विकसित भारत के निर्माण की ऊर्जा बन गई है। उन्होंने कहाकि आज का युवा पंच प्राण को अपना रहा है और पराधीनता की मानसिकता से बाहर निकल रहा है। पीएम मोदी ने कहाकि नेताजी का जीवन और उनका योगदान भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है, उम्मीद हैकि इस प्रेरणा को हमेशा आगे बढ़ाया जाएगा, इसी विश्वास केसाथ प्रधानमंत्री ने पिछले 10 वर्ष में सरकार के प्रयासों और कर्तव्य पथ पर नेताजी की प्रतिमा स्थापित करके उचित सम्मान देने का उल्लेख किया जो प्रत्येक नागरिक को उनके कर्तव्य केप्रति समर्पण की याद दिलाता है।
नरेंद्र मोदी ने अंडमान और निकोबार के द्वीपों का नाम बदलने का भी उल्लेख किया, जहां आज़ाद हिंद फौज ने पहली बार तिरंगा फहराया था। प्रधानमंत्री ने नेताजी को समर्पित निर्माणाधीन एक स्मारक, लालकिले में नेताजी और आज़ाद हिंद फौज केलिए एक समर्पित संग्रहालय और पहलीबार नेताजी के नाम पर राष्ट्रीय आपदा राहत पुरस्कार की घोषणा की। उन्होंने कहाकि वर्तमान सरकार ने स्वतंत्र भारत में किसीभी अन्य सरकार की तुलना में आज़ाद हिंद फौज को समर्पित अधिक कार्य किए हैं तो मैं इसे हमारे लिए आशीर्वाद मानता हूं। भारत की चुनौतियों और नेताजी की गहन समझ के बारेमें प्रधानमंत्री ने एक लोकतांत्रिक समाज की नींव पर भारत के राजनीतिक लोकतंत्र को सुदृढ़ करने के विश्वास को याद किया। प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता के बाद नेताजी की विचारधारा पर हमले पर खेद व्यक्त किया, क्योंकि उन्होंने भारतीय लोकतंत्र में भाई-भतीजावाद और पक्षपात की बुराइयों का विरोध किया था, जिसके कारण से भारत का धीमा विकास हुआ। उन्होंने रेखांकित कियाकि समाज का एक बड़ा वर्ग अपने विकास केलिए अवसरों और बुनियादी आवश्यकताओं से वंचित है। उन्होंने राजनीतिक, आर्थिक और विकास नीतियों पर कुछ परिवारों के दबदबे पर ध्यान केंद्रित किया और कहाकि इससे देश की महिलाओं और युवाओं को कष्ट और भारी नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने उस समय महिलाओं और युवाओं के सामने आने वाली कठिनाइयों को याद किया और 'सबका साथ सबका विकास' की भावना पर जोर दिया, जिसे 2014 में उनकी सरकार के सत्ता में आने के बाद लागू किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्धन परिवारों के बेटे-बेटियों केलिए उपलब्ध प्रचुर अवसरों पर विश्वास व्यक्त करते हुए कहाकि पिछले 10 वर्ष के परिणाम सभी देख सकते हैं। प्रधानमंत्री ने वर्षों की लंबी प्रतीक्षा केबाद नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित होने का उल्लेख करते हुए भारत की महिलाओं के बीच इस बात को लेकर जागृत हुए आत्मविश्वास की ओर भी ध्यान आकर्षित कियाकि सरकार उनकी छोटी-छोटी आवश्यकताओं केप्रति संवेदनशील है। उन्होंने दोहराया कि अमृतकाल देश के राजनीतिक भविष्य को नया आकार देने का सुअवसर लेकर आया है। प्रधानमंत्री ने इन बुराइयों को समाप्त करने केलिए साहस व्यक्त करने की आवश्‍यकता पर बल देते हुए कहाकि युवा शक्ति और नारी शक्ति विकसित भारत की राजनीति को परिवर्तित करने में बड़ी भूमिका निभा सकती है और आपकी शक्ति देश की राजनीति को भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार की बुराइयों से मुक्त कर सकती है। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह समय रामकाज से राष्ट्रकाज केलिए स्‍वयं को समर्पित करने का है। उन्होंने राम के काम से राष्ट्र के काम तक, भारत से वैश्विक अपेक्षाओं को रेखांकित किया। उन्होंने कहाकि हमारा लक्ष्य वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है, हमारा लक्ष्य भारत को आर्थिक रूपसे समृद्ध, सांस्कृतिक रूपसे सुदृढ़ और रणनीतिक रूपसे सक्षम बनाना है, इसके लिए आवश्यक हैकि आगामी 5 वर्ष में हम विश्व की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनें और यह लक्ष्य हमारी पहुंच से दूर नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि पिछले 10 वर्ष में पूरे देश के प्रयासों और प्रोत्साहन से लगभग 25 करोड़ भारतीय निर्धनता से बाहर आए हैं, भारत आज उन लक्ष्यों को हासिल कर रहा है, जिन्हें पहले प्राप्त करने की कल्पना भी नहीं की जाती थी। प्रधानमंत्री ने रक्षा आत्मनिर्भरता केलिए पिछले 10 वर्ष के दौरान उठाए गए कदमों के बारेमें भी विस्तार से बताया। सैकड़ों गोला-बारूद और उपकरणों पर प्रतिबंध और एक जीवंत घरेलू रक्षा उद्योग के निर्माण का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत, जो कभी दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा आयातक था, अब विश्व के सबसे बड़े रक्षा निर्यातकों में शामिल हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आजका भारत दुनिया को 'विश्व मित्र' के रूपमें संयोजन में व्यस्त है और विश्व की चुनौतियों का समाधान प्रदान करने केलिए अग्रसर है। प्रधानमंत्री ने कहाकि जहां एक ओर भारत विश्व केलिए युद्ध से शांति की ओर का रास्ता बनाने की कोशिश कर रहा है, वहीं देश राष्ट्रीय हितों की रक्षा केलिए भी तैयार है। प्रधानमंत्री ने भारत और देशवासियों केलिए अगले 25 वर्ष के महत्व पर प्रकाश डाला और अमृतकाल के हर पल को राष्ट्रीय हितों केलिए समर्पित करने पर बल दिया। उन्होंने कहाकि हमें कड़ी मेहनत करनी चाहिए और हमें शौर्यवान बनना चाहिए, यह विकसित भारत के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है, पराक्रम दिवस हमें प्रत्येक वर्ष इस संकल्प की याद दिलाएगा। इस अवसर पर केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी, केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल, मीनाक्षी लेखी, केंद्रीय रक्षा और पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट, नेताजी सुभाषचंद्र बोस आईएनए ट्रस्ट के अध्यक्ष ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) आरएस चिकारा और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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