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Monday 12 February 2024 03:37:39 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनॉथ केसाथ वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए आज श्रीलंका-मॉरीशस में भी यूपीआई सेवाओं का शुभारंभ कर दिया है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहाकि हिंद महासागर क्षेत्र के तीन मित्र देशों केलिए आज एक विशेष दिन है, अपने ऐतिहासिक संबंधों को हम आधुनिक डिजिटल रूपसे जोड़ रहे हैं, ये हमारे लोगों के विकास केलिए हमारे कमिटमेंट का प्रमाण है। उन्होंने कहाकि फिनटेक कनेक्टिविटी के माध्यम से केवल क्रॉस बॉर्डर लेनदेन को ही नहीं, क्रॉस बॉर्डर संबंध को भी बल मिलेगा। उन्होंने कहाकि भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी यूपीआई अब भारत केसाथ साझेदारों को एकजुट करने का नया दायित्व निभा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना से क्रांतिकारी परिवर्तन आया है, हमारे छोटे से छोटे गांव में छोटे से छोटा व्यापारी भी डिजिटल पेमेंट्स कर रहे हैं, क्योंकि इसमें सुविधा केसाथ स्पीड भी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उल्लेख कियाकि पिछले वर्ष यूपीआई के जरिए रिकॉर्ड 100 बिलियन से ज्यादा लेनदेन हुए हैं, इनका मूल्य 2 लाख करोड़ रुपये यानि 8 ट्रिलियन श्रीलंका रुपये और 1 ट्रिलियन मॉरीशस रुपये से ज्यादा है। उन्होंने कहाकि जैम ट्रिनिटी यानि बैंक अकाउंट, आधार और मोबाईल फोन के माध्यम से हम लास्टमाइल डिलीवरी कर रहे हैं, इस सिस्टम से अबतक 34 लाख करोड़ रुपये यानि 400 बिलियन डॉलर से अधिक सीधे लाभार्थियों के बैंक अकाउंट में जमा किए जा चुके हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि कोविड महामारी के समय कोविन प्लेटफॉर्म के जरिए भारत में विश्व का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन प्रोग्राम चलाया गया। उन्होंने कहाकि टेक्नोलॉजी के उपयोग से ट्रांसपेरेंसी बढ़ रही है, भ्रष्टाचार खत्म हो रहा है, समाज में इंक्लूसिविटी बढ़ रही हैं और लोगों का सरकार में विश्वास बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत की नीति है-पड़ोस प्रथम। उन्होंने कहाकि हमारा मैरीटाइम विज़न है 'सागर' जिसका अर्थ है 'क्षेत्र में सभी केलिए सुरक्षा और विकास', हमारा लक्ष्य है पूरे क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और विकास। उन्होंने कहाकि भारत अपने विकास को अपने पड़ोसी मित्रों से अलग रखकर नहीं देखता।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत श्रीलंका केसाथ हर क्षेत्र में कनेक्टिविटी लगातार मजबूत कर रहा है, पिछले वर्ष राष्ट्रपति विक्रमसिंघे की भारत यात्रा के दौरान हमने एक विजन डॉक्यूमेंट अपनाया था, वित्तीय कनेक्टिविटी को बढ़ाना उसका एक प्रमुख हिस्सा था और ये खुशी की बात हैकि आज हमने इस संकल्प को पूरा कर लिया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि प्रधानमंत्री जगन्नाथ केसाथ भी पिछले साल व्यापक चर्चा हुई थी, जी-20 समिट में वे हमारे विशेष अतिथि थे। उन्होंने कहाकि मुझे विश्वास हैकि श्रीलंका और मॉरीशस के यूपीआई प्रणाली से जुडने से दोनों देशों को भी लाभ मिलेगा, डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन की गति तेज होगी, स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में शानदार बदलाव होंगे, हमारे देशों केबीच टूरिज़्म को बढ़ावा मिलेगा। प्रधानमंत्री ने विश्वास जतायाकि भारतीय पर्यटक भी यूपीआई वाले गंतव्यों को प्रमुखता देंगे, श्रीलंका और मॉरीशस में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों को और वहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी इसका विशेष लाभ होगा। नरेंद्र मोदी ने कहाकि खुशी हैकि एशिया में नेपाल, भूटान, सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात की खाड़ी केबाद अब मॉरीशस से रुपे कार्ड की अफ्रीका में शुरुआत हो रही है, इससे मॉरीशस से भारत आनेवाले लोगों को भी सुविधा होगी, हार्ड करेंसी खरीदने की जरूरत भी कम होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि यूपीआई और रुपे कार्ड व्यवस्था से हमारी अपनी करेंसी में रियलटाइम कम खर्च पर और सुविधाजनक तरीके से भुगतान होगा। उन्होंने कहाकि आनेवाले समय में हम क्रॉसबॉर्डर रैमिटंस यानि व्यक्ति से व्यक्ति पेमेंट फैसिलिटी की तरफ बढ़ सकते हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज का यह कार्यक्रम वैश्विक दक्षिण सहयोग की सफलता का प्रतीक है, हमारे संबंध मात्र लेन-देन के नहीं ये ऐतिहासिक संबंध है, इसकी ताकत हमारे लोगों से लोगों के बीच संबंध को मजबूती देते हैं। प्रधानमंत्री ने कहकि दस साल में हमने दिखाया हैकि कैसे हर संकट की घड़ी में भारत लगातार अपने पड़ोसी मित्रों केसाथ खड़ा रहता है, चाहे आपदा प्राकृतिक हो, हेल्थ संबंधी हो, इकॉनॉमिक हो या अंतर्राष्ट्रीय पटल पर साथ देने की बात हो, भारत फर्स्ट प्रत्युत्तर रहा है और आगे भी रहेगा। उन्होंने कहाकि भारत की जी-20 अध्यक्षता में हमने ग्लोबल साउथ की चिंताओं पर विशेष ध्यान दिया, भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर का लाभ ग्लोबल साउथ के देशों को पहुंचाने केलिए हमने सोशल इम्पैक्ट फंड भी स्थापित किया है। कार्यक्रम में भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर, श्रीलंका, मॉरीशस और भारत के केंद्रीय बैंक के गवर्नर भी शामिल हुए।