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'जनरल बिपिन रावत भावी पीढ़ियों के प्रेरणास्रोत'

रक्षामंत्री ने टोंस ब्रिज स्कूल में किया आदमकद प्रतिमा का अनावरण

'मोदी सरकार सेना के सशक्तिकरण और सम्मान के लिए प्रतिबद्ध'

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Tuesday 13 February 2024 12:17:40 PM

defense minister unveils life-size statue at tons bridge school

देहरादून। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने देहरादून के टोंस ब्रिज स्कूल में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया और पुष्पांजलि अर्पित करके उन्हें साहसी सैनिक और नेकदिल इंसान बताया, जो आनेवाली पीढ़ियों केलिए हमेशा प्रेरणास्रोत रहेंगे। रक्षामंत्री ने इस दौरान आयोजित कार्यक्रम में कहाकि हमारे लिए मूर्तियां प्रेरणा का केंद्र होती हैं, वह मूर्ति यदि जनरल बिपिन रावत की हो तो यहां के छात्रों केलिए तथा आसपास के निवासियों केलिए इससे अधिक प्रेरणादायी भला और क्या हो सकता है। रक्षामंत्री ने कहाकि बिपिन रावत भलेही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन इस मूर्ति के माध्यम से हम उनकी छवि को देख पा रहे हैं, हम उन्हें अपने बीच महसूस कर पा रहे हैं। उन्होंने कहाकि बिपिन रावत भारत के उस सैन्य परंपरा का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसमें हम यह मानते हैंकि एक सैनिक भलेही जन्म कहीं भी ले, लेकिन वह पूरे राष्ट्र की सुरक्षा केलिए तत्पर रहता है, वह सिर्फ उस क्षेत्र काही सैनिक नहीं होता, बल्कि पूरे भारतवर्ष को अपना क्षेत्र समझता है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि जनरल बिपिन रावत का उदाहरण जब देखते हैं तो उनका जन्म उत्तराखंड में हुआ, कश्मीर में उन्हें गोली लगी, सेना में रहते हुए उन्होंने भारत के उत्तरी सीमा केसाथ-साथ उत्तर पूर्वी सीमा में भी सेवाएं दीं और दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से उनका जब देहांत हुआ तो उस दिन भी वह राष्ट्र सेवा केही किसी कार्य हेतु भारत के दक्षिणी हिस्से में जा रहे थे, उनका पूरा जीवन भारत के अलग-अलग क्षेत्रों को समर्पित रहा, उनका जन्म भले उत्तराखंड में हुआ, लेकिन देश के सभी क्षेत्रों से उनका बराबर संबंध रहा। रक्षामंत्री ने कहाकि निश्चित रूपसे जनरल बिपिन रावत का जाना राष्ट्र केलिए अपूरणीय क्षति है, उनकी कमी को तो हम कभी नहीं भर पाएंगे, लेकिन जाते-जाते भी वह हमें एक बहुत बड़ी सीख दे गएकि जब वह इस दुनिया से गए तो जाते हुए भी वह ऑन ड्यूटी थे, जाते हुए भी वह राष्ट्र सेवा का ही कार्य कर रहे थे, उनका अंतिम पल तक ऑन ड्यूटी रहना, उनकी निष्ठा और राष्ट्र केप्रति उनके प्रेम की भावना को दिखाता है। राजनाथ सिंह ने कहाकि जनरल बिपिन रावत ने नियंत्रण रेखा एवं वास्तविक नियंत्रण रेखा केपास भारतीय सेना की कार्यपद्धति को और अधिक सशक्त बनाने केलिए प्रेरित किया, विशेषकर जब वह सेना प्रमुख थे तथा बादमें जब चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बने। रक्षामंत्री ने कहाकि जनरल बिपिन रावत देश की सैन्य परंपरा के सच्चे साधक थे, जिसमें एक सैनिक अपनी जान की परवाह किए बिना ही राष्ट्र की सुरक्षा केलिए समर्पित रहता है।
राजनाथ सिंह ने जनरल बिपिन रावत के जीवन के अंतिम क्षणों को याद करते हुए कहाकि उनका बलिदान 'लड़ते-लड़ते मरो' मुहावरे के सही अर्थ को दर्शाता है। उन्होंने कहाकि एक सरकार के रूपमें हमारा भी यह हमेशा प्रयास रहता हैकि हम अपने सैनिकों की गरिमा को बनाए रखें तथा राष्ट्र की सुरक्षा में जो उनका योगदान है, उसे स्मरण करें। रक्षामंत्री ने कहाकि आज यदि भारत लगातार विकास कर रहा है, दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है तो इसका एक महत्वपूर्ण कारण यहभी हैकि हमारे सैनिक पूरी दृढ़ इच्छा शक्ति केसाथ देश की सुरक्षा कर रहे हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि सीडीएस के रूपमें जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति भारत के सैन्य इतिहास में एक महत्वपूर्ण सुधार था, इस पद का सृजन ही सेनाओं के सशक्तिकरण और उनके सम्मान केप्रति नरेंद्र मोदी सरकार के संकल्प को दिखाता है। रक्षामंत्री ने कहाकि सैनिकों की गरिमा को बनाए रखना और उनके योगदान का सम्मान करना सरकार का कर्तव्य है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम अपने सैनिकों के साहस और बलिदान का सम्मान कर रहे हैं। रक्षामंत्री ने कहाकि एक तरफ जहां सरकार सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक हथियारों/ उपकरणों से लैस कर रही है, वहीं दूसरी ओर उसने बहादुर योद्धाओं को सच्ची श्रद्धांजलि देने केलिए नई दिल्ली में राष्ट्रीय समर स्मारक का निर्माण भी किया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने स्कूल परिसर के अंदर जनरल बिपिन रावत की प्रतिमा स्थापित करने के विचार की सराहना करते हुए कहाकि इसका उद्देश्य सशस्त्र बलों की वीरता की कहानियों को बच्चों तक ले जाना और उनमें देशभक्ति एवं समर्पण का भाव उत्पन्न करना है। उन्होंने कहाकि हमारे समाज और संस्कृति में प्रतिमाओं का महत्वपूर्ण स्थान है, यह हमारी समृद्ध विरासत का हिस्सा है, जो भविष्य केलिए प्रेरणा का भी काम करता है। राजनाथ सिंह ने कहाकि स्कूल न केवल शिक्षा प्रदान करते हैं, बल्कि विद्यार्थियों के व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं। उन्होंने कहाकि हर बच्चा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम तथा जनरल बिपिन रावत जैसे महान व्यक्तियों से सीख सकता है और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सकता है। उन्होंने जिक्र कियाकि उत्तराखंड, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली, कालू महरा, भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत जैसे अनेक स्वतंत्रता सेनानियों की जन्मभूमि है, वर्तमान में हम देखें तो भारत की सेना में हमें उत्तराखंड के युवाओं की बड़ी संख्या देखने को मिलती है, ऐसे में यह सिर्फ देवभूमि नहीं है, मेरे अनुसार इस भूमि को वीरभूमि कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी उपस्थित थे। 

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