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Friday 23 February 2024 01:10:32 PM
बैंकॉक। तथागत भगवान गौतम बुद्ध के चार पवित्र पिपराहवा अवशेष सहित उनके दो शिष्य अरहाता सारिपुत्र और अरहाता मौदगल्यायन के अवशेष 22 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल केसाथ 26 दिवसीय प्रदर्शनी केलिए थाईलैंड के बैंकॉक पहुंच चुका है, जिसका नेतृत्व बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार कर रहे हैं। प्रतिनिधिमंडल में कुशीनगर एवं औरंगाबाद के सम्मानित भिक्षु, लद्दाख के संस्कृति मंत्रालय व मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारी, राष्ट्रीय संग्रहालय के क्यूरेटर, कलाकार और विद्वान शामिल हैं। प्रदर्शनी का आयोजन विदेश मंत्रालय, थाईलैंड में भारतीय दूतावास, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ, राष्ट्रीय संग्रहालय, मध्य प्रदेश सरकार के सहयोग से किया जा रहा है। बैंकॉक सैन्य हवाई अड्डे पर पवित्र अवशेषों का थाईलैंड की सरकार में संस्कृति मंत्री सर्मसाक पोंगपनित, थाई अधिकारियों और भिक्षुओं ने श्रद्धापूर्ण हार्दिक स्वागत किया। इन पवित्र अवशेषों का स्वागत सैन्य हवाई अड्डे पर शुभ मंत्रोच्चार समारोह और उत्साहपूर्ण आतिथ्य प्रदर्शन केसाथ किया गया।
भारत सरकार में केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार और प्रतिनिधिमंडल केसाथ सर्मसाक पोंगपनित एवं थाई अधिकारियों ने पवित्र अवशेषों को सैन्य हवाई अड्डे से बैंकॉक में राष्ट्रीय संग्रहालय में सुरक्षित रखने केलिए ले गए, फिर इन्हें बैंकॉक के सनम लुआंग पवेलियन में तैयार एक भव्य मंडप में स्थापित किया गया, जहां श्रद्धालु माखा बुचा दिवस से अपनी श्रद्धा अर्पितकर सकते हैं। केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार और थाईलैंड की सरकार के संस्कृति मंत्री सर्मसाक पोंगपनित ने बैंकॉक के राष्ट्रीय संग्रहालय में पवित्र अवशेषों को रखे जाने पर एक प्रेस कॉंफ्रेंस भी की। केंद्रीय मंत्री ने कहाकि भारत और थाईलैंड केबीच समान राष्ट्रीय हितों एवं प्राथमिकताओं के आधार पर मजबूत, बहुआयामी और द्विपक्षीय संबंध हैं एवं महान बौद्ध धर्म में सन्निहित भगवान बुद्ध का शाश्वत संदेश भारत और थाईलैंड केबीच सबसे महत्वपूर्ण एवं अटूट कड़ी है। डॉ वीरेंद्र कुमार ने आशा व्यक्त कीकि पवित्र अवशेषों से भारत-थाईलैंड केबीच मित्रता व स्नेह का रिश्ता और ज्यादा मजबूत होगा, इससे हम दोनों देशों केबीच द्विपक्षीय संबंधों में एक नए और गौरवशाली अध्याय की शुरुआत करेंगे।
थाईलैंड के संस्कृति मंत्री ने भारत सरकार की ओर से पवित्र अवशेषों को प्रदर्शनी केलिए भेजने के थाईलैंड की सरकार के अनुरोध को स्वीकार करने पर प्रसन्नता और आभार व्यक्त किया। थाईलैंड के धार्मिक कार्य विभाग और राष्ट्रीय संग्रहालय ने थाईलैंड राष्ट्रीय संग्रहालय में पवित्र अवशेषों केलिए एक प्रदर्शनी समझौता भी किया, जिसपर थाईलैंड के धर्म कार्य विभाग के महानिदेशक चियापोन सुक-आईम और संस्कृति मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय संग्रहालय में अतिरिक्त महानिदेशक आशीष गोयल ने हस्ताक्षर किए। इस दौरान केंद्रीय मंत्री डॉ वीरेंद्र कुमार, थाईलैंड के संस्कृति मंत्री सर्मसाक पोंगपनित, डायरेक्टर ऑफ मोरल एंड एथिकल प्रोमोशन ब्यूरो एक्टिंग फोर डिप्टी डायरेक्टर-जनरल ऑफ रिलीजन अफेयर्स थाईलैंड थिटिमा सुफापुकैक और भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय में संयुक्त सचिव अमिता प्रसाद साराभाई उपस्थित थे। प्रदर्शनी समझौते पर हस्ताक्षर 75 वर्ष के भारत और थाईलैंड केबीच राजनयिक संबंधों में एक और प्रगति है। ये अवशेष संस्कृति मंत्रालय के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखे गए 20 विशेष अवशेषों में से हैं, इनमें से चार को थाईलैंड ले जाया गया है।
भगवान बुद्ध के दो सम्मानित शिष्य अराहत सारिपुत्र और अराहत मौदगल्यायन के पवित्र अवशेषों, जिन्हें वर्तमान में सांची रखा गया है कोभी थाईलैंड ले जाया गया है और पहलीबार एकसाथ प्रदर्शित किए जाएंगे। इन अवशेषों को राजकीय अतिथि का दर्जा देते हुए भारतीय वायुसेना के विमान में ले जाया गया है। प्रदर्शनी कार्यक्रम के तहत पूरे थाईलैंड में कई स्थानों का दौरा शामिल है, जिससे भक्तों और उत्साही लोगों को समान रूपसे इन प्रतिष्ठित अवशेषों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का अवसर प्राप्त हो सके-सनम लुआंग पवेलियन बैंकॉक में 22 फरवरी से 3 मार्च, हो कुम लुआंग रॉयल राजप्रुक चियांग माई में 4 से 8 मार्च, वाट महा वानाराम उबोन रतचथानी में 9 से 13 मार्च और वाट महाथाट औलुएक क्राबी में 14 से 18 मार्च। इन पवित्र अवशेषों को 19 मार्च को थाईलैंड से उनके संबंधित स्थानों तक वापस ले जाया जाएगा और इसके साथही थाईलैंड में एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक रूपसे समृद्ध प्रदर्शनी का समापन होगा।