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'अयुत्या भारतीय और थाई सभ्यता का प्रतीक'

बिहार के राज्यपाल का थाईलैंड के प्राचीन शहर अयुत्या का दौरा

भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या के नाम पर रखा 'अयुत्या'

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Saturday 24 February 2024 06:16:27 PM

bihar governor visits ancient city of ayutthaya in thailand

अयुत्या (थाईलैंड)। बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने आज थाईलैंड के प्राचीन शहर अयुत्या का दौरा किया है, जिसका नाम भारत में भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या के नामपर है। राज्यपाल ने कहाकि यह शहर भारतीय और थाई सभ्यता केबीच गहरे सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक संबंध को दर्शाता है, जिसे थाईलैंड के लोगों और सरकार ने संरक्षित कर रखा हुआ है। उन्होंने उल्लेख कियाकि बिहार राज्य का राज्यपाल होने के नाते, जो कई बौद्ध विरासतों और बोधगया का स्थान है, ऐतिहासिक शहर अयुत्या का दौरा करने का अवसर मिलना उनके लिए एक सम्मान है, वह भी ऐसे समय में जब भारत के अयोध्या शहर में नव और भव्य श्रीराम मंदिर का उद्घाटन किया गया है।
बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहाकि अयुत्या शहर में ये प्राचीन मंदिर, महल और खंडहर न केवल थाईलैंड के समृद्ध इतिहास और संस्कृति की गहरी समझ देते हैं, बल्कि हमें आधुनिक थाईलैंड की सांस्कृतिक जड़ों और विरासत की गहराई को समझने में भी मदद करते हैं। राज्यपाल ने कहाकि यह सुनिश्चित करने केलिए उपाय किए जाने चाहिएंकि भारत में लोग इस सांस्कृतिक जुड़ाव और दुनियाभर में भारतीय संस्कृति के प्रसार के बारेमें जागरुक हों। गौरतलब हैकि बिहार के राज्यपाल 22 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, जो थाईलैंड में 26 दिवसीय प्रदर्शनी केलिए तथागत भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों के पवित्र अवशेष ले गया है। ज्ञातव्य हैकि अयुत्या ऐतिहासिक शहर है, जो सुखोथाई केबाद सियामी साम्राज्य की दूसरी राजधानी थी। यह 14वीं से 18वीं शताब्दी तक फला-फूला, इस दौरान यह दुनिया के सबसे बड़े और सबसे महानगरीय शहरी क्षेत्रों में से एक बन गया, जो वैश्विक कूटनीति और वाणिज्य का केंद्र था।
अयुत्या शहर रणनीतिक रूपसे समुद्र से जोड़ने वाली तीन नदियों से घिरे एक द्वीप पर था। इस स्थान को इसलिए चुना गया, क्योंकि यह सियाम की खाड़ी के ज्वारीय क्षेत्र के ऊपर स्थित था, इससे अन्य देशों के समुद्री युद्धपोतों से शहर पर हमले को रोका जा सकता था। इस स्थान ने शहर को मौसमी बाढ़ से बचाने में भी मदद की। बर्मी सेना ने 1767 में अयुत्या शहर पर हमला किया और उसे तहस-नहस कर दिया। बर्मी सेना ने अयुत्या शहर को जला दिया और निवासियों को शहर छोड़ने केलिए मजबूर कर दिया, इसका पुनर्निर्माण उसी स्थान पर कभी नहीं किया गया और यह आजभी एक व्यापक पुरातात्विक स्थल के रूपमें जाना जाता है। कभी वैश्विक कूटनीति और वाणिज्य का महत्वपूर्ण केंद्र रहा अयुत्या अब पुरातात्विक महत्व का केंद्र है, जिसकी विशेषता ऊंचे प्रांग (अवशेष टावर) और विशाल अनुपात के बौद्ध मठों के अवशेष हैं, जो शहर के अतीत के आकार और इसकी वास्तुकला भव्यता का अंदाजा देते हैं। 

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