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Tuesday 27 February 2024 11:31:55 AM
नई दिल्ली। आयुर्वेद के माध्यम से किशोरियों के पोषण में सुधार केलिए आयुष मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एक समझौता किया है। विज्ञान भवन नई दिल्ली में मिशन उत्कर्ष केतहत पांच जिलों में आयुर्वेद हस्तक्षेपों का उपयोगकर किशोरियों में एनीमिया नियंत्रण केलिए सार्वजनिक स्वास्थ्य केतहत यह साझा पहल की गई है। समझौता ज्ञापन पर केंद्रीय आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए। दोनों मंत्रालयों ने संयुक्त रूपसे निर्णय लिया हैकि पहले चरण में पांच राज्य के पांच आकांक्षी जिले असम-धुबरी, छत्तीसगढ़-बस्तर, झारखंड-पश्चिमी सिंहभूम, महाराष्ट्र-गढ़चिरौली, राजस्थान-धौलपुर में किशोरियों (14-18 वर्ष) में एनीमिया की स्थिति में सुधार लाने पर ध्यान दिया जाएगा।
आयुष मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने एनीमिया की प्रवृत्ति वाले जिलों जहां एनीमिया का औसत प्रसार लगभग 69.5 प्रतिशत है में लगभग 95000 किशोरियों के पोषण में सुधार के उद्देश्य से यह समझौता किया है। इसमें पांच जिलों के लगभग 10000 आंगनवाड़ी केंद्रों को शामिल किया जाएगा। आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इस अवसर पर कहाकि दोनों मंत्रालय भारत को एनीमिया मुक्त बनाने केलिए सहयोग कर रहे हैं। सर्बानंद सोनोवाल ने दोहरायाकि प्रमुख प्रदर्शन संकेतक को राष्ट्रीय औसत तक लाने के लक्ष्य केसाथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लॉंच किया गया मिशन उत्कर्ष इन आकांक्षी जिलों में शुरू कर दिया गया है। स्मृति ईरानी ने इस बातपर जोर दियाकि आईसीएमआर जैसे संस्थानों से प्राप्त प्रमाणों से समर्थित आयुष प्रणाली शुरू करने से एनीमिया से निपटने का किफायती समाधान मिलेगा, जिससे दुनिया अबतक अनभिज्ञ थी। उन्होंने कहाकि किफायती होने केसाथ 95000 लाभार्थियों केसाथ शुरुआत और समयबद्ध परिणाम, वैश्विक स्तरपर चिकित्सा समुदायों को अध्ययन और चिंतन करने के अवसर प्रदान करेगा, जिससे यह कदम वैश्विक महत्व की पहल बन जाएगा।
आयुष मंत्रालय में सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहाकि किशोरावस्था में एनीमिया के कारण शारीरिक और मानसिक क्षमता कम हो जाती है तथा कार्य और शैक्षिक प्रदर्शन में एकाग्रता कम हो जाती है, लड़कियों में यह भविष्य में सुरक्षित मातृत्व केलिए भी एक बड़ा ख़तरा प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहाकि भारत में चिकित्सा की पारंपरिक प्रणालियां प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था में स्वास्थ्य देखभाल का अभिन्न अंग हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव इंदीवर पांडे ने कहाकि बच्चों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं में कुपोषण की चुनौती से निपटना महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्राथमिक उद्देश्यों में से एक है, जिसके लिए हम सक्षम आंगनबाडी और पोषण योजना का संचालन कर रहे हैं। उन्होंने बतायाकि यह योजना देशभर में 13.97 लाख आंगनबाड़ियों के सहयोग से संचालित की जा रही है। उन्होंने कहाकि 14 से 18 वर्ष के आयु वर्ग की लड़कियों पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि 18 वर्ष केबाद जब उनकी शादी होती है तो वे भविष्य में स्वस्थ बच्चों को जन्म दे सकती हैं। उन्होंने कहाकि आयुष विभाग केसाथ हमने पोषण माह और पोषण पखवाड़ा केसाथ 2.7 करोड़ से अधिक आयुष आधारित गतिविधियां संचालित की हैं।
केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद केपास इस क्षेत्र में अच्छे अनुभव हैं। नैदानिक परीक्षणों के संचालन के अलावा आयुर्वेद से एनीमिया नियंत्रण पर राष्ट्रीय अभियान जैसी सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल देश के 13 राज्यों में 323 स्वास्थ्य केंद्रों पर आयोजित की गई और गर्भिनी परिचर्या केलिए आयुर्वेदिक हस्तक्षेपों की प्रभावशीलता के संबंध में गढ़चिरौली जिले के पीएचसी में बहुस्तरीय परिचालन अध्ययन, जिसके परिणामस्वरूप हीमोग्लोबिनस्तर में परिवर्तन होता है, सीसीआरएएस द्वारा पहले ही सफलतापूर्वक कार्यांवित किया जा चुका है। इस दौरान प्रोफेसर रवि नारायण आचार्य महानिदेशक केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद, पुष्पा चौधरी टीम लीड प्रजनन मातृ बाल और किशोर स्वास्थ्य डब्ल्यूएचओ और डॉ राजीव बहल महानिदेशक आईसीएमआर भी उपस्थित थे।