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Friday 1 March 2024 01:51:27 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने एक भारत, श्रेष्ठ भारत पहल के तहत देश में पारसियों की विरासत का सम्मान करने केलिए भारत को परिभाषित करने वाले एकता, विविधता और समावेशिता के लोकाचार का दृष्टांत प्रस्तुत करते हुए दिल्ली पारसी अंजुमन में एक कार्यक्रम का आयोजित किया, जिसमें केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी मुख्य अतिथि थीं। कार्यक्रम का उद्देश्य पारसी समुदाय के प्रतिनिधियों केसाथ बातचीत करने केलिए व्यापक दृष्टिकोण अपनाकर पारसियों की विरासत का सम्मान करना था। स्मृति जुबिन ईरानी ने इस अवसर पर कहाकि अपनी उपलब्धियों और योगदान से पारसियों ने देश-दुनिया में वास्तव में 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के आदर्शों का उदाहरण प्रस्तुत किया है और भारत का सार उसकी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और विभिन्न समुदायों के सामंजस्यपूर्ण सहअस्तित्व में निहित है।
अल्पसंख्यक कार्य मंत्री स्मृति ईरानी ने कहाकि हमारे देश की अनेकता में एकता का कीर्तिगान करने केप्रति लक्षित एक भारत श्रेष्ठ भारत पहल के अंतर्गत अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने भारत में पारसी समुदाय के योगदान और विरासत को रेखांकित किया है। उन्होंने उल्लेख कियाकि जोरास्ट्रियन, जिन्हें पारसी भी कहा जाता है का भारत में लंबा और शानदार इतिहास रहा है, जो एक हजार साल से भी अधिक पुराना है। उन्होंने कहाकि जैसेकि देश विभिन्न समुदायों केबीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आपसी समझ को बढ़ावा देना जारी रखे हुए है, ऐसे में भारत में पारसी समुदाय की यात्रा से प्रेरणा लेने की जरूरत है, जो लचीलेपन, सहयोजन, अनुकूलनशीलता और उत्कृष्टता का शानदार उदाहरण है। स्मृति ईरानी ने विलुप्त होरही भाषाओं विशेषकर अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित भाषाओं के पुनरुद्धार और अन्य लुप्तप्राय भाषाओं के पुनरुद्धार पर भी जोर दिया। उन्होंने जियो पारसी योजना केतहत सहायता के तरीके के बारेमें जानकारी दी और पारसी संगठन के प्रतिनिधियों से इस योजना के बारेमें समुदाय को जागरुक करने का आग्रह किया। स्मृति ईरानी ने कहाकि युवा पारसियों को जातीय कौशल में प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है, अल्पसंख्यक मंत्रालय उन्हें वित्तीय सहायता और उद्यमिता अपनाने केलिए प्रोत्साहित करता है।
स्मृति ईरानी ने कहाकि जियो पारसी योजना ने देश में सबसे छोटे अल्पसंख्यक समूह के समग्र कल्याण केलिए केंद्र सरकार के प्रभावी कदमों को प्रदर्शित करने केलिए पारसी समुदाय के प्रतिनिधियों केसाथ बातचीत की सुविधा प्रदान की है, इसमें प्रमुख जानकारियां साझा की गईं, जिसमें जनसंख्या में गिरावट को रोकने से लेकर लुप्त हो रहीं भाषाओं को पुनर्जीवित करने तक विभिन्न सहायता सेवाओं पर प्रकाश डाला गया है। उन्होंने कहाकि सामूहिक रूपसे ये प्रयास अल्पसंख्यक समुदाय को मुख्यधारा में लाने और विकसित भारत के निर्माण केलिए सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हैं। इस अवसर पर मुंबई विश्वविद्यालय में 'द सेंटर फॉर अवेस्ता-पहलवी स्टडीज' की स्थापना केलिए एक समझौता हुआ। पारसियों की प्राचीन और पवित्र भाषा अवेस्ता-पहलवी पारसी समुदाय के सदस्यों की उपयोग में लाई जानेवाली प्राचीन भाषाओं में से एक है। इसका उपयोग पारसी धर्मग्रंथों में किया गया है, जो अपने अनुयायियों में मानवीय मूल्यों का समावेश करते हैं तथा उन्हें सहिष्णु और समाज के कानून का पालन करने वाला नागरिक बनाते हैं। स्मृति ईरानी ने कहाकि महान हिंद-ईरानी भाषा परिवारों की एक शाखा होने के नाते अवेस्ता-पहलवी का भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत से घनिष्ठ संबंध है।
स्मृति ईरानी ने कहाकि उल्लेख कियाकि केवल उच्च शिक्षा के एक विषय के रूपमें ही नहीं, बल्कि पारसी जोरास्ट्रियन संस्कृति की शिक्षाओं को संरक्षित करने हेतु इस भाषा को पुनर्जीवित करने की बढ़ती मांग और आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करते हुए मुंबई विश्वविद्यालय में भाषा केलिए पहले से मौजूद विभाग को 'द सेंटर फॉर अवेस्ता-पहलवी स्टडीज' की स्थापना के जरिए 21 वर्ष बाद पुनर्जीवित और विकसित करते हुए किया जानेवाला अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का यह अद्वितीय प्रयोग और पहल है। उन्होंने कहाकि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का लक्ष्य मुंबई विश्वविद्यालय के सहयोग से लगभग 11.20 करोड़ रुपये की धनराशि केसाथ प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम, डिप्लोमा पाठ्यक्रम और पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने केलिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की स्थापना करना है। कार्यक्रम में जियो पारसी योजना के दिशानिर्देश भी लॉंच किए गए। उन्होंने कहाकि राज्य सरकारों, पारसी संगठनों की भागीदारी के जरिए योजना के कार्यांवयन से समुदाय केबीच बेहतर पहुंच सुगम होगी और देशभर में योजना के कवरेज में सुधार होगा, यह योजना प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के जरिए लाभार्थियों को वित्तीय लाभ प्रदान करती है। इस आयोजन में श्रीजी पाक ईरानशाह अताश बेहराम उदवाड़ा के महायाजक वडा दस्तूरजी खुर्शीद दस्तूर, अल्पसंख्यक कार्य राज्यमंत्री जॉन बारला और देशभर के विभिन्न पारसी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।