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एचएएल और लार्सन से हुए रक्षा अनुबंध

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया को बढ़ावा

भारतीय सेना की मारक क्षमता में होगी और ज्यादा वृद्धि

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 1 March 2024 04:58:17 PM

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नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के एक भाग के रूपमें और मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देने केलिए आज एचएएल और मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड के साथ 39,125.39 करोड़ रुपये के पांच प्रमुख पूंजी अधिग्रहण अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने की उपस्थिति में अनुबंधों का आदान-प्रदान किया गया। इन पांच अनुबंधों में से एक अनुबंध मिग-29 विमान हेतु एयरो इंजन की खरीद केलिए मेसर्स हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड केसाथ और दो अन्य समझौते क्लोज इन वेपन सिस्टम की खरीद और हाईपावर रडार की खरीद हेतु मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड केसाथ किए गए। बाकी समझौते ब्रह्मोस मिसाइलों और भारतीय रक्षा बलों केलिए जहाज से संचालित ब्रह्मोस प्रणाली की खरीद केलिए मेसर्स ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड केसाथ हुए हैं।
रक्षा मंत्रालय ने दावा किया हैकि ये सौदे रक्षाबलों की स्वदेशी क्षमताओं को और ज्यादा सुदृढ़ बनाएंगे, विदेशी मुद्रा की बचत होगी और भविष्य में विदेशी मूल के उपकरण निर्माताओं पर निर्भरता भी कम हो जाएगी। मिग-29 विमानों हेतु आरडी-33 एयरो इंजन केलिए एचएएल केसाथ 5,249.72 करोड़ रुपये की लागत का अनुबंध किया गया है। इन एयरो इंजनों का उत्पादन एचएएल के कोरापुट डिवीजन में किया जाएगा। इन एयरो इंजनों से पुराने हो रहे मिग-29 बेड़े की परिचालन क्षमता को बनाए रखने केलिए भारतीय वायुसेना की आवश्यकताएं पूरा होने की उम्मीद हैं। एयरो इंजन का निर्माण रूसी ओईएम से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण लाइसेंस केतहत किया जाएगा। यह कार्यक्रम कई उच्च लागत वाले महत्वपूर्ण घटकों के स्वदेशीकरण पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो आरडी-33 एयरो इंजन के भविष्य की आवश्यकताओं और संपूर्ण देखभाल कार्यों केलिए देश में ही निर्मित सामग्री को बढ़ाने में मदद करेगा।
सीआईडब्ल्यूएस की खरीद केलिए मैसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड केसाथ 7,668.82 करोड़ रुपये की लागत से अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह सीआईडब्ल्यूएस देश के चुनिंदा स्थानों पर टर्मिनल एयर डिफेंस प्रदान करेगा। यह परियोजना भारतीय एयरोस्पेस, रक्षा और सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम सहित संबंधित उद्योगों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देगी। इससे पांच वर्ष की अवधि में लगभग 2,400 व्यक्ति रोज़गार सृजित किए जाएंगे। हाईपावर रडार की खरीद केलिए मैसर्स लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड केसाथ 5,700.13 करोड़ रुपये की लागत से अनुबंध पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं। यह उन्नत निगरानी सुविधाओं केसाथ आधुनिक सक्रिय एपर्चर चरणबद्ध सरणी आधारित एचपीआर केसाथ भारतीय वायुसेना के मौजूदा लंबी दूरी के रडार को बदल देगा। यह छोटे रडार क्रॉस सेक्शन लक्ष्यों का पता लगाने में सक्षम परिष्कृत सेंसर के एकीकरण केसाथ भारतीय वायुसेना की जमीनी वायुरक्षा क्षमताओं में काफी वृद्धि करेगा। इससे स्वदेशी रडार निर्माण प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि यह भारत में निजी क्षेत्र का निर्मित अपनी तरह का पहला रडार होगा। इस परियोजना की पांच वर्ष की अवधि में औसतन 1,000 व्यक्ति रोज़गार सृजित किया जाएगा।
ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद केलिए मेसर्स ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड केसाथ 19,518.65 करोड़ रुपये की लागत से अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इन मिसाइलों का उपयोग भारतीय नौसेना की लड़ाकू पोशाक और प्रशिक्षण आवश्यकताओं को पूरा करने केलिए किया जाएगा। इससे देश की संयुक्त उद्यम इकाई में नौ लाख मानव दिवस और सहायक उद्योगों एमएसएमई सहित लगभग 135 लाख मानव दिवस का रोज़गार सृजित होने की आशा है। जहाज द्वारा संचालित ब्रह्मोस प्रणाली की खरीद केलिए मैसर्स ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड केसाथ 988.07 करोड़ रुपये की लागत का अनुबंध भी किया गया है। यह प्रणाली विभिन्न फ्रंटलाइन युद्धपोतों पर लगाए गए समुद्री हमले के संचालन केलिए भारतीय नौसेना का प्राथमिक हथियार है। यह प्रणाली सुपरसोनिक गति पर पिनपॉइंट सटीकता केसाथ विस्तारित रेंज से भूमि या समुद्री लक्ष्यों पर प्रहार करने में सक्षम है। इस परियोजना से 7-8 वर्ष की अवधि में लगभग 60,000 श्रम दिवस रोज़गार सृजित होने की आशा है।

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