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Saturday 2 March 2024 01:26:05 PM
नई दिल्ली। भारत निर्वाचन आयोग ने आगामी लोकसभा चुनाव और हाल में संपन्न चुनावों में राजनीतिक प्रचार से जुड़े विमर्श के गिरते स्तरों की विभिन्न प्रवृत्तियों और मामलों पर गौर करते हुए सभी राजनीतिक दलों को सार्वजनिक प्रचार में मर्यादा और अत्यधिक संयम बनाए रखने तथा चुनाव प्रचार को मुद्दा आधारित बहस के स्तर तक लेजाने केलिए परामर्श जारी किया है। चुनाव आयोग ने चुनाव के दौरान स्टार प्रचारकों और उम्मीदवारों को भी उल्लंघनों के ऐसे मामले के संबंध में चेतावनी दी है, जिन्हें आदर्श आचार संहिता से बचने केलिए पहले से ज्ञात तरीकों का पालनकर अंजाम दिया जाता है। निर्वाचन आयोग एमसीसी के ऐसे किसीभी अप्रत्यक्ष उल्लंघन का आकलन परामर्श के अनुसार करेगा, ताकि आगामी चुनावों में समय और सामग्री के संदर्भ में दिए जानेवाले नोटिसों में उचित आधार बदलाव किया जा सके। लोकसभा के आम चुनाव और चार राज्य विधानसभाओं के आम चुनाव केलिए चुनाव के सभी चरण और भौगोलिक क्षेत्र दोहराए गए अपराधों को निर्धारित करने का आधार होंगे।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीतने का समान अवसर प्रदान करने केबीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए इस परामर्श में कहा गया हैकि चुनाव आयोग पिछले कुछ दौर के चुनावों से आत्मसंयम का दृष्टिकोण यह मानते हुए अपना रहा हैकि उसका नोटिस प्रत्याशी या स्टार प्रचारक केलिए नैतिक निंदा का काम करेगा। आयोग के आदेशों को स्पष्ट रूपसे निषेधों की बजाए चुनाव प्रचार की गतिविधियों में न्यूनतम व्यवधान सुनिश्चित करने केलिए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है। हालांकि नैतिक निंदा जैसे एमसीसी नोटिस का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करके चर्चा के स्तर को नियंत्रित रखने के उद्देश्य को गलत नहीं समझा और अगले चुनाव चक्र में दोहराया नहीं जा सकता। इसके अतिरिक्त परामर्श में स्वीकार किया गया हैकि सूचना प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के उभरते परिदृश्य ने पूर्व एमसीसी और 48 घंटे की मौन अवधि केबीच की रेखाओं को धुंधलाकर दिया है, जिससे प्रचार के कई चरणों और यहां तककि असंबद्ध चुनावों में भी सामग्री का लगातार प्रसार हो रहा है।
राजनीतिक दलों, उम्मीदवारों और स्टार प्रचारकों केलिए परामर्श में जारी दिशा निर्देश है-मतदाताओं की जाति/ सांप्रदायिक भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जाएगी। ऐसी कोईभी गतिविधि करने का प्रयास नहीं किया जाएगा, जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ा सकती है या परस्पर वैमनस्य पैदा कर सकती है या विभिन्न जातियों, समुदायों, धार्मिक, भाषाई समूहों केबीच तनाव पैदा कर सकती है। राजनीतिक दल और नेता मतदाताओं को गुमराह करने के उद्देश्य से झूंठे वक्तव्य, तथ्यात्मक आधार के बिना बयानबाजी नहीं करेंगे। असत्यापित आरोपों या विकृतियों के आधार पर अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना से बचना चाहिए। अन्य दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं के निजी जीवन के किसीभी ऐसे पहलू की आलोचना नहीं की जानी चाहिए, जिसका सार्वजनिक गतिविधियों से कोई संबंध न हो। प्रतिद्वंद्वियों का अपमान करने केलिए निजी हमले नहीं किए जाएंगे। चुनाव प्रचार या चुनाव अभियान केलिए किसीभी मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे या किसीभी पूजा स्थल का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। भक्त और देवता केबीच संबंधों का उपहास करने वाले या दैवीय निंदा के सुझाव देने वाले संदर्भ नहीं दिए जाने चाहिएं।
राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को ऐसे किसीभी कार्य, कार्रवाई या कथन से बचना चाहिए, जिसे महिलाओं के सम्मान और गरिमा के प्रतिकूल माना जा सकता है। मीडिया में असत्यापित एवं भ्रामक विज्ञापन नहीं दिए जाने चाहिएं। समाचार आइटम की आड़ में विज्ञापन नहीं दिए जाने चाहिएं। प्रतिद्वंद्वियों की निंदा और अपमान करनेवाले सोशल मीडिया पोस्ट या ऐसे पोस्ट जो दुर्भावनापूर्ण हों या जो गरिमा के प्रतिकूल हों, उन्हें पोस्ट या साझा नहीं किया जाना चाहिए। चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों, उनके नेताओं और उम्मीदवारों से आदर्श आचार संहिता और कानूनी ढांचे के दायरे में रहने का आग्रह किया है। इस बात पर जोर दिया गया हैकि एमसीसी के किसीभी प्रकार के सरोगेट या अप्रत्यक्ष उल्लंघन और चुनाव प्रचार के स्तर को गिराने के सरोगेट साधनों से आयोग कड़ी कार्रवाई से निपटेगा। गौरतलब हैकि जन प्रतिनिधित्व कानून-1951 की धारा 77 के तहत स्टार प्रचारक के रूपमें नामित राजनीतिक दल के नेता महत्वपूर्ण राजनीतिक रैलियों के दौरान भाषण देते हैं, इसकी व्याख्या सामंजस्यपूर्ण और उद्देश्यपूर्ण विधान के ढांचे के भीतर करना आवश्यक है, क्योंकि आदर्श आचार संहिता और कानून के वैधानिक प्रावधान एकदूसरे के पूरक हैं, इसलिए धारा 77 के विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए चुनाव अभियानों के दौरान स्टार प्रचारक उच्चतम नैतिक मानकों को बनाए रखने की जिम्मेदारी भी वहन करते हैं।