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त्रिपुरा की शांति समृद्धि पर ऐतिहासिक समझौता

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में सरकार से त्रिपक्षीय समझौते

'ये समझौते उग्रवादमुक्त, विवादमुक्त और हिंसामुक्त नॉर्थईस्ट का सपना'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 2 March 2024 04:55:21 PM

historic agreement on peace, prosperity of tripura

नई दिल्ली। भारत सरकार, त्रिपुरा सरकार और स्वदेशी प्रगतिशील क्षेत्रीय गठबंधन (टीआईपीआरए), जिसे त्रिपुरा मोथा के नाम से जाना जाता है और अन्य स्टेक होल्डर्स केबीच आज नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की मौजूदगी में त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इस अवसर पर अमित शाह ने कहाकि आज त्रिपुरा का ऐतिहासिक दिन है, इस समझौते से हमने इतिहास का सम्मान, गलतियों में सुधार और आज की वास्तविकता को स्वीकार करते हुए तीनों में सामंजस्य कर भविष्य की ओर देखने का काम किया है। उन्होंने कहाकि इतिहास को कोई बदल नहीं सकता, लेकिन ग़लतियों से सीखकर आजकी वास्तविकताओं को ध्यान में रखकर हम आगे ज़रूर बढ़ सकते हैं। अमित शाह ने कहाकि त्रिपुरा मोथा और सभी जनजातीय पार्टियों ने इस दिशा में बहुत कंस्ट्रक्टिव भूमिका निभाई है।
केंद्रीय गृहमंत्री ने कहाकि त्रिपुरा सरकार ने इसके लिए शुरू से बहुत प्रयास किए हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के स्वप्न में त्रिपुरा भी अपने योगदान और हिस्से के प्रति कटिबद्ध होगा और एक विकसित त्रिपुरा के रूपमें आगे बढ़ेगा। गृहमंत्री ने कहाकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उग्रवादमुक्त, विवादमुक्त और हिंसामुक्त नॉर्थईस्ट की कल्पना को साकार करने का प्रयास किया है, लगभग 10 हज़ार लोग हथियार छोड़कर मेनस्ट्रीम में आए हैं और इसीके कारण आज नॉर्थईस्ट में विकास का माहौल बना है। अमित शाह ने कहाकि चाहे ब्रू-रियांग समझौता हो या सीमाओं का समझौता, इनकी शुरूआत त्रिपुरा से ही हुई थी और अब ये समझौता भी त्रिपुरा का ही हो रहा है। उन्होंने कहाकि 2019 में एनएलएफटी (एसडी), 2020 में ब्रू और बोडो समझौते, 2021 में कार्बी-आंगलोंग, 2022 में आदिवासी समझौता और असम-मेघालय सीमा समझौता, 2023 में असम अरुणाचल सीमा समझौता, दिमासा समझौता, यूएनएलएफ और उल्फा समझौता हुआ।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि मोदी सरकार ने कुल 11 अलग-अलग समझौतों के माध्यम से सीमाओं, पहचान, भाषा, संस्कृति केलिए संघर्ष कर रहे लोगों केसाथ बातकर संघर्ष समाप्त करने की दिशा में काम किया है। उन्होंने कहाकि इस समझौते के साथही आज त्रिपुरा एक विवादमुक्त त्रिपुरा की ओर बढ़ा है। गृहमंत्री ने कहाकि त्रिपुरा के अधिकारों केलिए अब उसको संघर्ष नहीं करना पड़ेगा, भारत सरकार दो कदम आगे बढ़कर सभीके अधिकारों की रक्षा हो, इस प्रकार का तंत्र विकसित करेगी। समझौते में त्रिपुरा के मूल निवासियों के इतिहास, भूमि और राजनीतिक अधिकारों, आर्थिक विकास, पहचान, संस्कृति और भाषा से संबंधित सभी मुद्दों को सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने पर सहमति बनी। इसके साथही सम्माननीय समाधान सुनिश्चित करने केलिए मुद्दों से संबंधित पारस्परिक सहमति वाले बिंदुओं पर निर्धारित समयसीमा में अमल केलिए एक संयुक्त कार्य समूह/ समिति के गठन पर भी सहमति बनी।
त्रिपुरा समझौते पर अमल केलिए सहायक माहौल बनाए रखने केलिए सभी स्टेक होल्डर्स के बीच समझौता लागू होने के दिन से किसी भी प्रकार के विरोध/ आंदोलन का सहारा नहीं लेने पर भी सहमति बनी है। टीआईपीआरए की ओर से इसके संस्थापक प्रद्युत देब बर्मा और अन्य ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते पर हस्ताक्षर के दौरान त्रिपुरा के मुख्यमंत्री प्रोफेसर माणिक साहा, केंद्रीय गृह मंत्रालय और त्रिपुरा सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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