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Thursday 14 March 2024 05:53:05 PM
नई दिल्ली। भारत के राष्ट्रपति रहे रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में देश में एकसाथ चुनाव कराये जाने के संदर्भ में गठित उच्चस्तरीय समिति (एचएलसी) ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से आज राष्ट्रपति भवन में मुलाकातकर उन्हें 'एक राष्ट्र एक चुनाव' रिपोर्ट सौंपी। उल्लेखनीय हैकि उच्चस्तरीय समिति का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था। हितधारकों एवं विशेषज्ञों केसाथ व्यापक परामर्श करने और 191 दिन के शोध केबाद 18,626 पृष्ठों वाली यह रिपोर्ट तैयार की गई है। इस समिति में केंद्रीय गृहमंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ सुभाष सी कश्यप, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी सदस्य थे। समिति में कानून और न्याय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुनराम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य और डॉ नितेन चंद्रा एचएलसी के सचिव थे।
एक राष्ट्र एक चुनाव समिति ने इस रिपोर्ट में जानकारी दी हैकि उसने विभिन्न हितधारकों के विचारों को समझने केलिए व्यापक विचार-विमर्श किया है। इसमें 47 राजनीतिक दलों ने अपने विचार और सुझाव प्रस्तुत किए हैं, जिनमें से 32 ने एकसाथ चुनाव कराये जाने का समर्थन किया है। इस सिलसिले में कई राजनीतिक दलों ने एचएलसी केसाथ व्यापक चर्चा भी की। सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के समाचार पत्रों में प्रकाशित एक सार्वजनिक सूचना के प्रत्युत्तर में भारतभर से नागरिकों से 21,558 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं, जिनमें 80 प्रतिशत लोगों ने एकसाथ चुनाव का समर्थन किया है। भारत के चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और प्रमुख उच्च न्यायालयों के बारह पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, भारत के चार पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों, आठ राज्य चुनाव आयुक्तों और भारत के विधि आयोग के अध्यक्ष जैसे कानून विशेषज्ञों को समिति द्वारा व्यक्तिगत रूपसे बातचीत के लिए आमंत्रित किया गया था। भारत निर्वाचन आयोग की राय भी मांगी गई।
सीआईआई, फिक्की, एसोचैम जैसे शीर्ष व्यापारिक संगठनों और प्रख्यात अर्थशास्त्रियों से अलग-अलग चुनाव कराये जाने की स्थिति पर उसके आर्थिक प्रभावों पर विचार प्रस्तुत करने केलिए परामर्श लिया गया। उन सभी ने कहाकि अलग-अलग चुनाव कराये जाने से महंगाई बढ़ती है और अर्थव्यवस्था धीमी होती है, इस सिलसिले में एकसाथ चुनाव कराया जाना उचित होगा। इन निकायों ने समिति को बतायाकि एकसाथ चुनाव न होने के कारण आर्थिक विकास, सार्वजनिक व्यय की गुणवत्ता, शैक्षिक और अन्य परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इसके अलावा सामाजिक सद्भाव पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। सभी सुझावों और दृष्टिकोणों पर सावधानीपूर्वक विचार करने केबाद समिति ने एकसाथ चुनाव कराने केलिए दो चरणीय दृष्टिकोण की सिफारिश की है। पहले कदम के रूपमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं केलिए एकसाथ चुनाव होंगे। दूसरे चरण में नगरपालिकाओं और पंचायतों के चुनाव को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं केसाथ इस तरह से समन्वित किया जाएगाकि नगरपालिकाओं और पंचायतों के चुनाव लोकसभा के चुनाव होने के सौ दिनों के भीतर हो जाएं।
एकसाथ चुनाव समिति ने यहभी सिफारिश की हैकि तीनों स्तरों के चुनावों में उपयोग केलिए एकही मतदाता सूची और चुनावी फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) होना चाहिए। एकसाथ चुनाव कराये जाने की संभावनाओं की पड़ताल करने और संविधान के मौजूदा प्रारूप को ध्यान में रखते हुए समिति ने अपनी सिफारिशें इस तरह तैयार की हैंकि वे संविधान की भावना के अनुरूप हैं तथा उसके लिए संविधान में संशोधन करने की नाममात्र जरूरत है। सर्वसमावेशी विचार-विमर्श केबाद समिति ने निष्कर्ष निकालाकि इसकी सिफारिशों से मतदाताओं की पारदर्शिता, समावेशिता, सहजता और विश्वास में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। एकसाथ चुनाव कराने के पक्ष में प्राप्त जबरदस्त समर्थन से विकास प्रक्रिया और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा मिलेगा, हमारा लोकतांत्रिक ताना-बाना मजबूत होगा और भारत की आकांक्षाओं को साकार रूप प्राप्त होगा। विस्तृत रिपोर्ट onoe.gov.in/HLC-Report एवं अंग्रेजी रिपोर्ट ((https://onoe.gov.in/HLC-Report-en#flipbook-df_manual_book/1/), हिंदी रिपोर्ट (https://onoe.gov.in/HLC-Report-hi#flipbook-df_manual_book/1/), फ़्लायर इंग्लिश, फ़्लायर हिंदी FAQs पर उपलब्ध है।