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Tuesday 02 July 2013 08:18:21 AM
नई दिल्ली/ देहरादून। उत्तराखंड राज्य में मूल सुविधाओं को हाल की तबाही के कारण व्यापक क्षति पहुंची है। भारी वर्षा, एकाएक बाढ़ आने और भूस्खलन के चलते वहां सरकारी इमारतों, सड़कों, पुलों आदि को भारी नुकसान हुआ है। इस सब की मरम्मत और पुनर्निर्माण के लिए अब बहुत बड़ी मात्रा में निधियों की जरूरत पड़ेगी। भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक से राज्य में मूल सुविधाओं के निर्माण के लिए विदेशी सहायता लेने का फैसला किया है। इन बहुउद्देशीय विकास बैंकों से मिले, ऋण को भारत सरकार और उत्तराखंड सरकार को सौंपा जाएगा। उन्हें ये निधियां 90 प्रतिशत अनुदान और दस प्रतिशत ऋण के रूप में मिलेंगी, क्योंकि उत्तराखंड विशेष वर्ग वाले राज्यों में आता है।
विशेष परिस्थितियों को देखते हुए एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक दोनों ने अनुमान जल्दी लगाने, परियोजना तैयार करने और उसे अनुमोदित करने की जरूरत का अनुरोध मान लिया है। इसके लिए एक बैठक आयोजित की गई है और दोनों बैंकों ने पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया है। राज्य की ज़रूरतों का मूल्याकंन करने और प्रस्ताव तैयार करने के लिएशक्तिकांत दास, अपर सचिव, आर्थिक मामलों के विभाग, वित्त मंत्रालय के नेतृत्व में एक ज्वाइंट मिशन जल्दी ही उत्तराखंड का दौरा करेगा और राज्य के अधिकारियों के साथ बातचीत करेगा।
उधर केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने उत्तराखंड में बाढ़ से बच्चों पर पड़ने वाले कुप्रभावों की समीक्षा की है। राज्य में बाढ़ के कारण बहुत से बच्चे बेघर और अनाथ हो गये हैं। इस प्रकार की क्षति का अनुमान लगाकर महिला और बाल विकास मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से इन बच्चों के पुनर्वास में मदद के लिए यह निर्णय लिया गया है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की अध्यक्ष कुशाल सिंह तथा महिला और बाल विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉक्टर विवेक जोशी उत्तराखंड के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेंगे और राज्य में बच्चों पर प्राकृतिक आपदा के प्रभाव का मूल्यांकन करेंगे। चाइल्ड लाइन, माउंटेन चिल्ड्रेन फाउंडेशन और देहरादून चाइल्ड लाइन जैसे कई गैर-सरकारी संगठन और नागरिक समाज संगठन प्रभावित क्षेत्रों में बेघर और अनाथ बच्चों के लिए कार्यरत हैं।
कृष्णा तीरथ ने वित्त मंत्री के पास यह प्रस्ताव भेजा है कि उत्तराखंड में बाढ़ से क्षतिग्रस्त आंगनवाड़ियों के निर्माण के लिए राज्य के हिस्से की धनराशि को माफ किया जाए। हाल में पुनर्गठित समन्वित बाल विकास परियोजना के अधीन राज्य में आंगनवाड़ियों के निर्माण पर संबंधित राज्य सरकार का 25 प्रतिशत हिस्सा निर्धारित किया गया है। मौजूदा वित्त वर्ष में 20,000 आंगनवाड़ी केंद्रों के निर्माण के लिए बजटीय प्रावधान किया गया है। बाढ़ के कारण उत्तराखंड की हाल की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, कृष्णा तीरथ ने वित्त मंत्री को पत्र लिखा है कि इन आंगनवाड़ी केंद्रों के पुनर्निर्माण, पुनर्स्थापन और मरम्मत के लिए राज्य सरकार की ओर से उसके हिस्से के रूप में 25 प्रतिशत धनराशि को माफ किया जाए। प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, प्रभावित क्षेत्र में कम से कम 30 आंगनवाड़ी केंद्र और एक बाल विकास परियोजना अधिकारी का कार्यालय पूरी तरह नष्ट हो गया है। समन्वित बाल विकास परियोजना का राज्यस्तरीय निदेशालय भी क्षतिग्रस्त हुआ है।