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Wednesday 22 May 2024 12:25:39 PM
नई दिल्ली। रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने कहा हैकि राष्ट्रीय सुरक्षा की शक्ति केवल उसके सैन्य पराक्रम में ही नहीं, बल्कि उसकी सांस्कृतिक विरासत को शक्ति के स्रोत के रूपमें उपयोग करने की क्षमता में भी निहित होती है। राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली में सेना के 'प्रोजेक्ट उद्भव' के हिस्से में 'भारतीय सामरिक संस्कृति के ऐतिहासिक पैटर्न' विषय पर आयोजित सेमीनार और प्रदर्शनी में रक्षा राज्यमंत्री ने 'प्राचीनकाल से स्वतंत्रता तक भारतीय सैन्य प्रणालियों के विकास, युद्ध और सामरिक विचारों का विकास' विषयक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया एवं 'उद्भव संकलन' और 'आल्हा उदल-बैलाड रेंडिशन ऑफ वेस्टर्न उत्तर प्रदेश' पुस्तक का भी विमोचन किया। रक्षा राज्यमंत्री ने प्रोजेक्ट उद्भव पहल केलिए भारतीय सेना और यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया की प्रशंसा की, जिसका उद्देश्य भारत की प्राचीन संस्कृति में अमूल्य अभिज्ञान की खोज केलिए देश के प्राचीन ग्रंथों और मौखिक परंपराओं का पता लगाना है।
रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने कहाकि भू-राजनीतिक परिदृश्य लगातार विकसित हो रहा है और हमारे सशस्त्र बलों केलिए अपने दृष्टिकोण में अनुकूलता एवं नवीनता होना अनिवार्य है। रक्षा राज्यमंत्री ने कहाकि भारत के प्राचीन ग्रंथों और परंपराओं की गहराई में जाकर उद्भव जैसी परियोजनाएं न केवल सामरिक संस्कृति की हमारी समझ को समृद्ध बनाती हैं, बल्कि अपरंपरागत युद्ध रणनीतियों, राजनयिक प्रथाओं और युद्ध में नैतिक विचारों में मूल्यवान अभिज्ञान भी उपलब्ध कराती हैं। अजय भट्ट ने देश की रक्षा ताकत को पहचानने के महत्व पर जोर देते हुए प्रोजेक्ट उद्भव पहल को ऐसे भविष्य केलिए मार्गदर्शक बताया, जहां भारत आत्मनिर्भर है और अपनी सांस्कृतिक विरासत में गहराई से निहित है। अजय भट्ट ने कहाकि आत्मनिर्भर भारत की भावना केवल भारतीय वस्तुओं के उत्पादन और उपभोग तकही सीमित नहीं है, बल्कि यह वर्तमान कार्यों और निर्णयों में भारतीय विचार एवं मूल्यों के सार को आत्मसात करने केलिए ईमानदार प्रयास भी है।
रक्षा राज्यमंत्री ने कहाकि विकसित भारत के लक्ष्य को तभी साकार किया जा सकता है, जब राष्ट्र समग्र रूपसे प्राचीन अतीत के अमूल्य ज्ञान को आत्मसात करे और इसे आधुनिक समय की महत्वाकांक्षाओं एवं नीतियों को आकार देने केलिए प्रासंगिक रूपसे लागू करे। अजय भट्ट ने सराहना कीकि प्रोजेक्ट उद्भव ने बौद्धिक स्तरपर नागरिक-सैन्य सहयोग को मजबूत करके शिक्षाविदों, विद्वानों, पेशेवरों और सैन्य विशेषज्ञों को एक साझा मंच पर लाकर 'संपूर्ण राष्ट्र' दृष्टिकोण को मजबूत किया है। उन्होंने कहाकि ये निष्कर्ष न केवल भारतीय सेना की सामरिक क्षमताओं को बढ़ाएंगे, बल्कि ये भारत के प्राचीन ज्ञान की असामयिक प्रासंगिकता के प्रमाण के रूपमें भी काम करेंगे। थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे भी कार्यक्रम में मौजूद थे। उन्होंने कहाकि प्रोजेक्ट उद्भव ने प्रसिद्ध भारतीय और पश्चिमी विद्वानों केबीच पर्याप्त बौद्धिक समावेश का पता लगाया है, जो उनके विचारों, दर्शन और दृष्टिकोण केबीच प्रतिध्वनि को दर्शाता है। उन्होंने कहाकि इस प्रयास ने भारत की जनजातीय परंपराओं, मराठा नौसेना विरासत और सैन्य हस्तियों विशेषकर महिलाओं के व्यक्तिगत वीरतापूर्ण कार्यों की खोज करके नए क्षेत्रों में अन्वेषण को प्रेरित किया है।
थलसेना अध्यक्ष जनरल मनोज पांडे ने कहाकि प्रोजेक्ट उद्भव में वेदों, पुराणों, उपनिषदों और अर्थशास्त्र जैसे उन प्राचीन ग्रंथों का गहन शोध किया गया है, जो परस्पर जुड़ाव, धार्मिकता और नैतिक मूल्यों में निहित हैं। जनरल मनोज पांडे ने कहाकि प्रोजेक्ट उद्भव में महाभारत महाकाव्य के युद्धों और मौर्य, गुप्त एवं मराठों के शासनकाल के दौरान प्रचलित रणनीतिक प्रतिभा का पता लगाया गया है, जिसने भारत की समृद्ध सैन्य विरासत को आकार प्रदान किया है। प्रदर्शनी में भारतीय सैन्य प्रणालियों के विकास और देश की सैन्य संस्कृति के दार्शनिक आधारों को स्पष्ट रूपसे चित्रित किया गया है, राष्ट्रीय संग्रहालय के समृद्ध संग्रह से कलाकृतियों, प्रिंटों, पांडुलिपियों और लघु चित्रों का उपयोग किया गया है। प्रदर्शनी सभी केलिए दस दिन तक खुली रहेगी। उद्भव संकलन को विशेष रूपसे सैन्य मामलों और सामान्य रूपसे शासनकला केलिए भारत के प्राचीन ज्ञान पर भावी विद्वत्ता और शिक्षा केलिए एक रिकॉर्ड बनाने केलिए डिज़ाइन किया गया है।
प्रोजेक्ट उद्भव संकलन में छह अध्याय और कई परिशिष्ट शामिल किए गए हैं, जिनमें आयोजित गतिविधियों और कार्यक्रमों के मुख्य निष्कर्षों और सारांशों को शामिल किया गया है। यह बादके अध्ययनों को आधार प्रदान करने केलिए भविष्य के अनुसंधान और विचार-विमर्श हेतु रास्ता भी प्रशस्त करता है। कार्यक्रम का समापन राज्य और युद्ध शिल्प पर देश के प्राचीन ज्ञान भंडार को पुनर्जीवित करने और उनका पुनर्मूल्यांकन करने केलिए 'सैन्य नैतिकता और संस्कृति की प्राचीन भारतीय परंपराओं' विषय पर पैनल चर्चा केसाथ हुआ। गौरतलब हैकि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने प्रोजेक्ट उद्भव को 21 अक्टूबर 2023 को भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव के दौरान लॉंच किया था। इस अवसर पर यूएसआई के उप महानिदेशक मेजर जनरल पीके गोस्वामी (सेवानिवृत्त), वरिष्ठ सेवारत सशस्त्रबल कर्मी, बुजुर्ग और शोध छात्र भी उपस्थित थे।