Saturday 1 June 2024 06:36:53 PM
दिनेश शर्मा
लोकसभा चुनाव-2024 केलिए भी 'नरेंद्र मोदी' को फिर प्रचंड जनादेश मिलना तय है! आम चुनाव में देश का मिजाज और एग्जिट पोल की तस्वीर तो यही है। भाजपानीत एनडीए के तीन सौ सत्तर से चार सौ के पार जाने के दावे में वाकई में दम है! लोकसभा चुनाव में कश्मीर से कन्याकुमारी तक एड़ी से चोटी तक जोर लगाकर 'नरेंद्र मोदी' के खिलाफ चिल्लाता इंडी अलायंस औंधेमुंह धड़ाम हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे चुनाव में विपक्षी इंडी गठबंधन का निशाना ही नहीं रहे हैं बल्कि वे देश की बढ़ती वैश्विक और आर्थिक शक्ति और उसमें दुनियाभर की गहरी दिलचस्पी का केंद्र भी हैं। वे खासतौर से पाकिस्तान और चीन सहित कुछ यूरोपीय और मुस्लिम देशों की गहरी चिंता का कारण हैं, जिनके भारत विरोधी एजेंडे नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से नाकाम होते रहेंगे। 'नरेंद्र मोदी' को फिरसे मौका देकर पिछलीबार की अपेक्षा कम हुए मतदान और नकारात्मक विश्लेषणों, इंडी गठबंधन के नेताओं के अतिउत्साही कुतर्कों का देश की जनता ने करारा जवाब दिया है। भाजपा गठबंधन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मविश्वास इसबार 400 के पार यूंही नहीं सेट था, वह सटीक तथ्यों पर आधारित था, जिसमें उन्हें नारी शक्ति से सुसज्जित 140 करोड़ देशवासियों के मन की बात पता थी और केंद्र और राज्यों की भाजपा सरकारों ने उनके लिए जो महत्वाकांक्षी कार्य किए हैं, उनका विपक्षी इंडी के पास तोड़ नहीं है।
देश की जनता का यह जनादेश चार जून को सामने आ जाएगा, जिसका भाजपानीत एनडीए में जश्न मनाने की आज शाम से ही तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। इंडी अलायंस के नरेंद्र मोदी विरोध के सारे अभियान जिस तरह इस लोकसभा चुनाव के प्रचार में देखने को मिले हैं, उनसे देश की जनता, न्यायपालिका और चुनाव आयोग के भी कान खड़े हो गए हैं। चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों से चुनाव में सेना और धर्म विरुद्ध मुद्दे नहीं उठाने को कहना पड़ा। चुनाव आयोग को भविष्य में राजनीतिक दलों के सार्वजनिक आचरण पर अपनी नीतियों की सिरे से समीक्षा करनी चाहिए, क्योंकि इस लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल जैसे कुछ संवेदनशील राज्यों में क़ानून व्यवस्था और चुनाव के पुख्ता प्रबंधों के बावजूद जो मार-धाड़ और आग़जनी देखी गई या इंडी अलायंस ने राष्ट्रीय मुद्दों पर कूटरचित भ्रम पैदा किए। इंडी अलायंस के नेताओं ने देश की जनता को भरमाने और गुमराह करने केलिए ख़तरनाक हथकंडे अपनाए और कभी भी पूरे न हो सकने वाले 'खटाखट' झूंठे वादे उछाले, जिनको देशवासियों ने सिरे से नकार दिया है और नरेंद्र मोदी और भाजपा को ही फिरसे अपनी पसंद बनाया है। देश ने देखा कि लोकतांत्रिक तरीके से देश की नई सरकार बनाने चला यह चुनाव किस तरह सारी मर्यादाएं लांघकर लाक्षागृहों षडयंत्रों और गाली-गलौच तक पहुंच गया। इंडी अलायंस के घटकों कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, टीएमसी, आरजेडी और आम आदमी पार्टी के नेताओं और उनके विघटनकारी, मुस्लिम तुष्टिकरण, सामाजिक सद्भाव में आग़ लगाने वाले ज़हरीले भ्रामक एजेंडों को आखिर जनता ने स्वीकार नहीं किया।
दिल्ली और बिहार में इंडी गठबंधन के जहरीले चुनाव प्रचार का एनडीए गठबंधन ने जबरदस्त मुकाबला किया है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके नेताओं के कांग्रेस से गठबंधन के बावजूद भाजपा के खिलाफ सारे अभियान विफल दिखाई दिए हैं। पंजाब में भी आम आदमी पार्टी हिचकोले खा रही है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा, यूपी, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में भाजपा की लहर दिख रही है। जहां तक बिहार का सवाल है तो यहां पर इंडी अलायंस के घटक आरजेडी नेता लालू यादव उनके पुत्र तेजस्वी यादव, कांग्रेस ने जो अराजकता मचाई उसको जदयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार, लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान आदि ने एनडीए में आकर तगड़ा झटका दिया है। बड़बोले बाप-बेटे लालू यादव और तेजस्वी यादव को बिहार की जनता ने अच्छा सबक सिखाया है। बिहार ने इनकी अपराधजनित मुस्लिम तुष्टिकरण और जातीय राजनीति को खारिज किया है। उत्तर प्रदेश में भी सपा और कांग्रेस गठबंधन का बुरा हाल होते दिखाई दिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खटाखट जुमले की हवा निकल गई है। उत्तर प्रदेश में इन दोनों का मुस्लिम तुष्टिकरण सर चढ़कर बोला है, जिसका सपा और कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ। यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी में इंडी गठबंधन के मनसूबों की हवा निकालकर रख दी। जहांतक बसपा का प्रश्न है तो वह लगभग सभी सीटों पर पीछे तो दिखाई दे रही है, लेकिन उसका भाजपा गठबंधन को बड़ा लाभ मिलता दिखाई दिया है। माना जाता हैकि यदि उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस गठबंधन के साथ बसपा अध्यक्ष मायावती आ गईं होती तो यह भाजपा गठबंधन केलिए मुश्किल सामना होता।
इंडी अलायंस और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज शाम इंडी के सहयोगी दलों के नेताओं केसाथ बैठक की और मीडिया के सामने आकर दावा कियाकि इंडी अलायंस 295 से ज्यादा लोकसभा सीट जीत रहा है, लेकिन वह इस दावे का कोई विश्वसनीय आधार नहीं बता पाए। इसके अतिरिक्त मीडिया चैनलों और चुनाव सर्वेक्षण एजेंसियों के दावे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से बिल्कुल उलट हैं। कोई भी एग्जिट पोल उनके दावे से सहमत नहीं है, बल्कि कुल मिलाकर सभी एग्जिट पोल का बहुमत का दावा नरेंद्र मोदी और भाजपानीत एनडीए के पक्ष में है। भाजपा अकेले अपने दम पर केंद्र में फिर से अपनी सरकार बनाती नज़र आ रही है। हर चुनाव में देखा गया हैकि विकास का मुद्दा तात्कालिक मुद्दों से पीछे रह जाता है, कमोबेश इसमें भी ऐसा देखने को मिला। जैसे-इंडी गठबंधन के नेताओं द्वारा अपने ही देश भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक ख्याति को नष्ट करना, सनातन धर्म पर भयानक हमला, राज्यों की ग़ैर भाजपाई सरकारों द्वारा पिछड़ों के हिस्से का मुसलमानों को तुष्टिकृत आरक्षण, संविधान खत्म करने के नाम पर जनता को भाजपा के खिलाफ भड़काना-उकसाना, राज्य सरकारों के भ्रष्टाचार, 'कांग्रेस की भारत जोड़ो' और 'न्याय यात्रा' कोई काम नहीं आई, जबकि एनडीए को भारत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक ख्याति, राष्ट्रीय सुरक्षा, देश की उच्च विकास दर, राष्ट्रवाद, अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण, काशी में बाबा विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार, मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर की भी मुक्ति की पहल, कश्मीर से धारा 370 समाप्त करने, तीन तलाक, नागरिकता क़ानून, उत्तराखंड राज्य में समान नागरिक संहिता लागू होना, माफियाओं और भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई, महिला आरक्षण, महिलाओं के अनेक आत्मनिर्भर स्वावलंबी कल्याणकारी कार्यक्रमों से चुनाव में निर्णायक बढ़त बनाने में बड़ी कामयाबी मिली है।
लोकसभा चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्टार प्रचारक के रूपमें देश पर ज़बर्दस्त जादू चला है। वे पश्चिम बंगाल में मूल बंगालियों का आत्मबल जगाने में और उन्हें घुसपैठियां मुसलमानों के विरुद्ध खड़ा करने में सफल रहे। इसीके परिणामस्वरूप पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का साम्राज्य उलट-पलट होने को है। इस लोकसभा चुनाव में भी उन्हें बीजेपी के हाथों पहले से भी बड़ी पराजय का सामना होता दिख रहा है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, पूर्वोत्तर राज्य असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा जैसे भाजपा के स्टार प्रचारकों ने चुनाव प्रचार में इंडी अलायंस के छक्के छुड़ाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चुनावों में सबसे ज्यादा मांग रही है और वे जहां भी गए, उनको सुनने केलिए भीड़ उमड़ पड़ी। उत्तर प्रदेश में माफियाओं और अपराधियों पर उनके प्रहार की प्रचंड लोकप्रियता का जलवा देखा गया। उन्होंने यूपी में इंडी अलायंस को टिकने नहीं दिया है। देशभर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की जनसभाओं में जनसमूह ने विश्वास जगाया कि देश में तीसरी बार फिर मोदी सरकार का आना तय है। जनसमूह केबीच उनका राष्ट्रवाद, आतंकवाद, भ्रष्टाचार, इंडी गठबंधन पर फोकस जबर्दस्त नोटिस किया गया। पश्चिम बंगाल, ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार पूर्वोत्तर राज्यों में उनकी कड़ी मेहनत रंग ला रही है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जहां-जहां चुनाव सभाएं संबोधित कीं, वहां पर उनका भी अच्छाखासा असर देखने को मिला।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का न केवल उत्तर प्रदेश में, बल्कि खासतौर से अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड सहित कई राज्यों में जादू चला। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ कई प्रचंड चुनावी सभाएं कीं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने राज्य में कॉमन सिविल कोड लागू कर भाजपा केलिए माहौल बना दिया। इसी प्रकार असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस्लामिक घुसपैठियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाईयां कीं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का चुनाव प्रचार उत्तर भारत में इंडी गठबंधन पर भारी दिखाई दिया है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रिजेश पाठक और केशवप्रसाद मौर्य ने अपने राज्य में ताबड़तोड़ चुनाव सभाएं कीं। इन नेताओं की राज्य के बाहर दिल्ली उत्तराखंड में भी मांग रही। हैदराबाद में असदुद्दीन ओवैसी के सामने भाजपा प्रत्याशी के रूपमें चुनाव लड़ीं तेज़तर्रार राष्ट्रवादी भाजपा नेत्री डॉ माधवी लता यूं तो हैदराबाद में चुनाव लड़ रही थीं, लेकिन वहां उनके चुनाव प्रचार का असर उत्तर भारत में भी देखा गया। उत्तर भारत में कई जगहों पर डॉ माधवी लता की भी मांग हुई। लोकसभा चुनाव की दृष्टि से भाजपा नेतृत्व का राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी नेतृत्व परिवर्तन का फॉर्मूला हिट गया है। देश के दक्षिणी राज्यों में गुजरात स्वीप कर रहा है तो आंध्रप्रदेश में इस बार कमल खिलने जा रहा है। कर्नाटक में भी भाजपा गठबंधन को सफलता मिल रही है। चुनाव में सबसे ऊपर भाजपा का कार्यकर्ता रहा, जिसने देशभर में बूथों पर भाजपा गठबंधन के 400 के पार लक्ष्य को सफलतापूर्वक अंजाम देने में खून पसीना एक किया है। इस प्रकार यह लोकसभा चुनाव कई मायनों में याद रखा जाएगा। देशवासियों को तीसरी बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार मुबारक!