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राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों का सम्मेलन

राज्यपाल केंद्र और राज्यों में समन्वय को बढ़ावा दें-राष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का भी सम्मेलन में संबोधन

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Friday 2 August 2024 06:13:12 PM

conference of governors at rashtrapati bhavan

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज राष्ट्रपति भवन में राज्यपालों के सम्मेलन का उद्घाटन किया। दो दिनी सम्मेलन में ऐसे कई विषयों पर चर्चा की जाएगी, जो न केवल केंद्र और राज्यों के संबंधों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि जनसाधारण केलिए कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण हैं। राष्ट्रपति ने उद्घाटन भाषण में कहाकि सम्मेलन की कार्यसूची में सम्मिलित विषय हमारे राष्ट्रीय लक्ष्यों की प्राप्ति केलिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि लोकतंत्र के सुचारू संचालन केलिए जरूरी हैकि विभिन्न केंद्रीय एजेंसियां सभी राज्यों में बेहतर समन्वय केसाथ काम करें। उन्होंने राज्यपालों को सलाह दीकि वे इस बारेमें सोचेंकि वे संबंधित राज्यों के संवैधानिक प्रमुख के रूपमें इस समन्वय को कैसे बढ़ावा दे सकते हैं। उन्होंने कहाकि सम्मेलन में होनेवाले विचार-विमर्श सभी केलिए एक समृद्ध अनुभव होंगे और उनके कामकाज में सहायक होंगे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस अवसर पर जिक्र कियाकि आपराधिक न्याय से संबंधित तीन नए कानूनों के लागू होनेसे देशमें न्याय व्यवस्था का एक नया युग शुरू हुआ है। उन्होंने कहाकि हमारी सोच में बदलाव इन कानूनों के नामों से स्पष्ट है-भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम। उन्होंने कहाकि इस नई सोच के अनुसार अब हमें दंड विधि एवं दंड प्रक्रिया को न्याय विधि एवं न्याय प्रक्रिया के रूपमें देखना है। राष्ट्रपति ने कहाकि गुणवत्तापूर्ण उच्चशिक्षा एक अमूर्त संपत्ति है, क्योंकि यह व्यक्तिगत विकास और सामाजिक परिवर्तन केसाथ-साथ नवाचार तथा आर्थिक प्रगति कोभी बढ़ावा देती है। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शैक्षणिक संस्थानों की मान्यता और मूल्यांकन प्रणाली में सुधार पर जोर दिया गया है। उन्होंने राज्यपालों से राज्य विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूपमें अपनी क्षमता में इस सुधार प्रक्रिया में योगदान देने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने कहाकि भारत सरकार ग़रीबों, सीमावर्ती क्षेत्रों, वंचित वर्गों और क्षेत्रों तथा विकास यात्रा में पीछे छूट गए लोगों के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने बतायाकि हमारी जनजातीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों में रहता है और उन्होंने राज्यपालों से इन क्षेत्रों के लोगों के समावेशी विकास को प्राप्त करने के तरीके सुझाने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहाकि यदि युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक और रचनात्मक कार्यों में लगाया जाए तो 'युवा विकास' और 'युवा-नेतृत्व विकास' को और गति मिलेगी। उन्होंने कहाकि 'मेरा भारत' अभियान इस उद्देश्य केलिए एक सुविचारित प्रणाली प्रदान करता है। उन्होंने कहाकि राज्यपालों को इस अभियान से जुड़े लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक युवा लाभांवित हो सकें। एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहाकि इससे विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के लोगों को एक-दूसरे को समझने और एक-दूसरे से जुड़ने का मौका मिला है। उन्होंने राज्यपालों से एकता की भावना को और मजबूत करने में योगदान देने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने कहाकि जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग जैसी चुनौतियों से निपटने केलिए अनेक प्रयास किए जारहे हैं और राज्यपाल ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान को बड़े पैमाने पर जनआंदोलन बनाकर इसमें योगदान दें। राष्ट्रपति ने कहाकि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर हम मिट्टी की उर्वरता और किसानों की आय बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहाकि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने केलिए राजभवन मिसाल कायम कर सकते हैं। राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त कियाकि राज्यपाल अपनी शपथ के अनुरूप जनता की सेवा और कल्याण में योगदान देते रहेंगे।
उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री ने भी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राज्यपालों की शपथ का उल्लेख किया और उनसे बीते दशक में सामाजिक कल्याण की योजनाओं तथा अभूतपूर्व विकास के बारेमें लोगों को जागरुक करने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यपालों से आग्रह कियाकि वे केंद्र और राज्य केबीच एक प्रभावी सेतु की भूमिका निभाएं तथा लोगों और सामाजिक संगठनों केसाथ इस तरहसे संवाद करेंकि वंचित लोगों को शामिल किया जा सके। उन्होंने कहाकि राज्यपाल का पद एक महत्वपूर्ण संस्था है, जो संविधान के ढांचे के भीतर राज्य के लोगों के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, खासकर आदिवासी क्षेत्रों के संदर्भ में। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सम्मेलन में होनेवाली चर्चाओं की रूपरेखा बताई तथा राज्यपालों से लोगों में विश्वास पैदा करने और विकास कार्यों को गति देने केलिए जीवंत गांवों और आकांक्षी जिलों का दौरा करने का आग्रह किया। सम्मेलन में अलग-अलग सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिसमें राज्यपालों के उपसमूह प्रत्येक एजेंडा आइटम पर विचार-विमर्श करेंगे। ऐसे सत्रों में केंद्रीय मंत्री और संबंधित मंत्रालयों के अधिकारी भी शामिल होंगे। उपसमूहों की टिप्पणियों और सुझावों को कल 3 अगस्त 2024 समापन सत्र के दौरान राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और प्रतिभागियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

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