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Wednesday 21 August 2024 01:25:48 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम की स्क्रीनराइटर्स लैब (फीचर्स) 2024 ने 21 राज्यों में से छह कुशल लेखकों और पटकथाओं का हिंदी, उर्दू, पहाड़ी, पंजाबी, असमिया, मलयालम, कोन्याक, अंग्रेजी और मैथिली सहित कई भाषाओं में चयन किया है। राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम (एनएफडीसी) को इस वर्ष 21 राज्यों से 150 से अधिक लेखकों के आवेदन प्राप्त हुए हैं, इनमें से विभिन्न शैलियों की 6 परियोजनाओं को एनएफडीसी की स्क्रीनराइटर्स लैब के 17वें संस्करण केलिए चुना गया। यह एनएफडीसी की भारत में मूल स्वरों को विकसित करने, पोषित करने और बढ़ावा देने की पहल है। ये छह पटकथा लेखक, विज्ञापन फिल्मों, लघु फिल्मों, उपन्यासकारों, वृत्तचित्रों और फीचर फिल्मों के फिल्म निर्माता भी हैं, जिन्होंने हिंदी, उर्दू, पहाड़ी, पंजाबी, असमिया, मलयालम, कोन्याक, अंग्रेजी और मैथिली सहित कई भाषाओं में पटकथाएं लिखी हैं।
एनएफडीसी फिल्म बाज़ार टीम का कहना हैकि एनएफडीसी में यह महसूस किया जाता हैकि एक अच्छी तरह से लिखी गई पटकथा सम्मोहक कहानी, आकर्षक चरित्र और सार्थक संवादों की आधारशिला रखती है, जो एक सफल फिल्म के आवश्यक तत्व हैं। एनएफडीसी न केवल अपने लेखकों को उनकी अनूठी कहानियों को बेहतर ढंग से विकसित करने केलिए प्रशिक्षित करने में सबसे आगे हैं, बल्कि फिल्म उद्योग के रुझानों और कार्यप्रणालियों को ध्यान में रखते हुए उन्हें फिल्म बाजार में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निर्माताओं एवं निवेशकों के सामने सफलतापूर्वक पेश भी कर रही है। तीन चरणों वाली गहन स्क्रीनराइटर्स लैब भारत के मूल स्वरों और कहानियों को विकसित करने केलिए एनएफडीसी लैब्स की मौजूदा पहल का हिस्सा है। चयनित प्रतिभागी भारत और दुनियाभर के प्रशंसित पटकथा विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में व्यक्तिगत बातचीत और समूह सत्रों के माध्यम से मौजूदा पटकथाओं को बेहतर बनाने केलिए 5 महीने के गहन कार्यक्रम में प्रसिद्ध सलाहकारों केसाथ मिलकर काम करते हैं।
घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों के उद्देश्य से एनएफडीसी की परियोजनाओं को फिल्म बाज़ार-2024 के दौरान एक विशेष रूपसे डिजाइन किए गए सत्र में निर्माताओं और निवेशकों के सामने पेश किया जाएगा। एनएफडीसी की स्क्रीनराइटर्स लैब-2024 केलिए चयनित 6 परियोजनाएं इस प्रकार हैं-मैथिली और हिंदी में अनुरित्ता के झा की पटकथा 'हवा मिठाई' (कैंडी फ्लॉस) में गांव का एक 6 वर्षीय लड़का टुंडू और उसका सबसे अच्छा दोस्त बुल्लू अपनी मां का प्यार दोबारा पाने केलिए भगवान हनुमानजी की कथा से प्रेरित होकर सूर्य को खाने केलिए एक दिल छू लेने वाली और काल्पनिक यात्रा पर निकल पड़े हैं। आकाश छाबड़ा की हिंदी, उर्दू, पहाड़ी और पंजाबी में पटकथा 'आई विल स्माइल इन सितंबर' में अपने जीवन में प्यार से अलग होने और उसके बाद हुए एक झगड़े में अपने सामने के दांत खोने केबाद पुरानी दिल्ली का एक युवा ब्रास बैंड वादक फिरसे प्रफुल्लित होकर अपने जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास करता है। अनम दानिश की अंग्रेजी और हिंदी में पटकथा 'कला काली' (द आर्ट ऑफ़ द डार्क) में दो भाई-बहन अपने दोस्तों केसाथ परिवार में हुई एक मौत की जांच करते हैं और उन्हें एक पीढ़ीगत अभिशाप का पता चलता है, जो उन पर मंडरा रहा है, वे अपने परिवार की काले जादू की परंपरा का उपयोग करके इसे समाप्त करने केलिए तैयार हैं। 'कोन्याक' उद्धव घोष की कोन्याक नागा और हिंदी एवं अंग्रेजी में पटकथा में सभ्यता के हाशिये पर नागालैंड की नैसर्गिक सुंदरता केबीच पौराणिक सिर-शिकारी जनजातियों केबीच एक प्राणघातक झगड़ा शुरू हो जाता है।
युवा योद्धा थुंगपांग कोन्याक भविष्यवाणियों के बोझ से दबे हुए और विश्वासघात से परेशान होकर अपने समुदाय की रक्षा करने और खोया सम्मान वापस पाने केलिए निरंतर पीछा करते हैं, वे अपने पुराने मित्र से नश्वर दुश्मन बने सांगबा का सामना करते हैं, क्योंकि अस्तित्व के क्रूर संघर्ष में भाई-भाई के खिलाफ हो जाता है। त्रिपर्णा मैती की असमिया, मलयालम और हिंदी में पटकथा 'मंगल-द होली बीस्ट' में एक हाथी के बच्चे के रूपमें कैद मंगल को प्यार और नुकसान दोनों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उसे इंसानों की दुनिया में शामिल किया जाता है। एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है, अनेक बदलाव के बाद वह अंततः एक श्रद्धेय देवता बन जाता है, जिसे भगवान के रूपमें पूजा जाता है। फिरभी वह जंजीरों में बंधा रहता है, जब तककि वह मुक्त होने का फैसला नहीं कर लेता। पीयूष की तो...निकल पड़ी (टू पी ऑर नॉट टू पी) पीयूष श्रीवास्तव की हिंदी पटकथा में 32 वर्षीय पीयूष को अपने ससुराल की पहली यात्रा में एक हास्य दुःस्वप्न का सामना करना पड़ता है, जब पैकिंग में हुई गलती के कारण उसके पास वयस्क डायपर नहीं होते हैं, जिससे उसकी बिस्तर गीला करने की शर्मनाक समस्या उजागर होने का खतरा रहता है। पीयूष को अपने रहस्य को छिपाए रखते हुए अपनी सहायक पत्नी की मदद से नए सामान खरीदने केलिए एक प्रफुल्लित करने वाली और दिल को छू लेने वाली यात्रा करनी होगी। पिछले एनएफडीसी स्क्रीनराइटर्स लैब से निकली पुरस्कार विजेता परियोजनाओं में लंच बॉक्स (रितेश बत्रा), लिपस्टिक अंडर माई बुरखा (अलंकृता श्रीवास्तव), दम लगा के हईशा (शरत कटारिया), तितली (कानू बहल), शब (ओनिर), ए डेथ इन द गुंज (कोंकणा सेन शर्मा), आइलैंड सिटी (रुचिका ओबेरॉय), बॉम्बे रोज़ (गीतांजलि राव) और चुस्किट (प्रिया रामसुब्बन), इन द बेली ऑफ ए टाइगर (सिद्धार्थ जटला), फायर इन द माउंटेंस (अजीतपाल सिंह) उल्लोझुक्कु (क्रिस्टो टोमी) जैसे कुछ नाम शामिल हैं।
इस वर्ष के सलाहकारों में एनएफडीसी स्क्रीनराइटर्स लैब (फीचर्स) के संस्थापक मार्टन रबार्ट्स (न्यूजीलैंड), क्लेयर डोबिन (ऑस्ट्रेलिया), रितेश शाह (भारत) शामिल हैं। मार्टन रबार्ट्स फिल्म उद्योग में 30 से अधिक वर्ष के अनुभव केसाथ हैं। मार्टन रबार्ट्स ने न्यूजीलैंड अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के महोत्सव निदेशक के रूपमें अपना वर्तमान पद संभाला। उन्होंने नीदरलैंड संग्रहालय में लगभग 5 वर्ष तक राष्ट्रीय फिल्म ‘आई’ में आई इंटरनेशनल का नेतृत्व किया। मार्टन रबार्ट्स ने इससे पहले मुंबई में एनएफडीसी इंडिया में विकास और प्रशिक्षण प्रमुख के रूपमें कार्य किया, जहां उन्होंने एनएफडीसी लैब की स्थापना की, जिनका कई अन्य फिल्मों के अलावा द लंच बॉक्स और तितली जैसी फिल्मों की सफलता में योगदान रहा। मार्टन रबार्ट्स 12 वर्ष तक एम्स्टर्डम में बिंगर फिल्म लैब के कलात्मक निदेशक थे, जिसमें माइकल रोस्कम की बुलहेड, जेनिफर केंट की पंथ हिट द बाबाडूक, फैबियो ग्रासाडोनिया और एंटोनियो पियाज़ा की कान्स-विजेता साल्वो और एडिना पिंटिली के 2018 गोल्डन बियर अवार्ड विजेता टच मी नॉट जैसी सफलताएं देखी गईं। मार्टन टोरिनो फिल्म लैब के सलाहकार बोर्ड के संस्थापक सदस्य थे, वे यूरोपीय फिल्म अकादमी के वोटिंग सदस्य हैं। उन्होंने यूरोपीय फिल्म प्रमोशन के बोर्ड में कार्य किया है और वे बर्लिनले (लघु फिल्म जूरी, जेनरेशन 14प्लस, टेडी अवार्ड्स) स्किप सिटी टोक्यो, एडिलेड फिल्म फेस्टिवल और गुआनाजुआतो फिल्म फेस्टिवल सहित फिल्म महोत्सव जूरी में नियमित रूपसे काम करते हैं।
क्लेयर डोबिन एक विश्व स्तरपर प्रसिद्ध स्क्रिप्ट संपादक, कार्यकारी निर्माता और रचनात्मक निर्माता हैं, जो विकास एजेंसियों, पटकथा लेखकों, निर्माताओं और निर्देशकों केसाथ सहयोग करती हैं। वह 2005 से प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय स्क्रिप्ट वर्कशॉप इक्विनोक्स यूरोप केलिए स्क्रिप्ट सलाहकार के रूपमें कामकर रही हैं। वे प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में जूरी सदस्य के रूपमें भाग ले रही हैं। वे इटली, यूक्रेन, भारत, नॉर्वे, दोहा, दुबई, ईरान, जर्मनी और न्यूजीलैंड जैसे विभिन्न स्थानों में अंतर्राष्ट्रीय पटकथा लेखन कार्यशालाओं का आयोजन और नेतृत्व भी कर रही हैं। वर्ष 1986 से 2000 तक क्लेयर डोबिन ने ऑस्ट्रेलिया की राष्ट्रीय स्क्रीन एजेंसी में वरिष्ठ कार्यकारी (रचनात्मक) का पद संभाला। वर्ष 2003 से 2019 केबीच क्लेयर डोबिन ने मेलबर्न इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (एमआईएफएफ) की अध्यक्षता की, उन पहलों की देखरेख की जिन्होंने एमआईएफएफ को उद्योग की आधारशिला बना दिया। उन्होंने एमआईएफएफ के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म वित्त बाजार केलिए धन जुटाया और एमआईएफएफ में प्रीमियर होने वाली 50 से अधिक ऑस्ट्रेलियाई फिल्मों में निवेश करके एमआईएफएफ प्रीमियर फंड की स्थापना की। क्लेयर डोबिन की उपलब्धियों में 2017 में ऑस्ट्रेलियाई फिल्म उद्योग की सेवाओं केलिए ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया (एएम) प्राप्त करना और 2019 में विक्टोरियन स्क्रीन उद्योग में उत्कृष्ट नेतृत्व केलिए जिल रॉब पुरस्कार प्राप्त करना शामिल है। वर्तमान में क्लेयर डोबिन कई फिल्मों केलिए कार्यकारी निर्माता के रूपमें सक्रिय रूपसे कार्यकर रहे हैं। वे न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय फीचर फिल्मों और टीवी श्रृंखलाओं की पटकथा संपादन कार्य में शामिल हैं।
रितेश शाह ने हिंदू कॉलेज से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक (1993-1996) किया और एमसीआरसी, जामिया मिल्लिया इस्लामिया से मास कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री हासिल की है। उन्होंने एक्ट वन आर्ट ग्रुप नई दिल्ली केसाथ एक नाटककार के रूपमें अपना करियर शुरू किया। उनके कार्यों में फ्रिंज पुरस्कार विजेता ओथेलो-ब्लैक एंड व्हाइट में एक नाटक शामिल है। रितेश शाह ने 1999 में टेलीविजन की ओर रुख किया। उनके टेलीविजन लेखन उपलब्धि में जोश, कश्मीर, कृष्णा अर्जुन और पुरस्कार विजेता श्रृंखला कगार शामिल हैं। रितेश शाह ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत कहानी और नमस्ते लंदन जैसी फिल्मों में संवाद लेखन से की और फिर डी-डे और एयरलिफ्ट जैसी फिल्मों में सहलेखन किया। उनकी एकल पटकथा और संवाद उपलब्धि में बीए पास, सिटीलाइट्स, फ़ोर्स जैसी फिल्में शामिल हैं, जो पिंक और रेड समीक्षकों द्वारा प्रशंसित हैं। रितेश शाह को बीए पास केलिए सर्वश्रेष्ठ कहानी और डी-डे केलिए सर्वश्रेष्ठ पटकथा केलिए फिल्मफेयर पुरस्कार केलिए नामांकित किया गया था, जिसके लिए उन्होंने ज़ी सिने अवार्ड्स नामांकन भी जीता। उन्होंने पिंक केलिए सर्वश्रेष्ठ संवाद केलिए फिल्मफेयर, जी सिने और स्टार स्क्रीन पुरस्कार जीते।