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Sunday 8 September 2024 06:53:11 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सभीसे कम से कम एक व्यक्ति को साक्षर बनाने का संकल्प लेने का आह्वान करते हुए कहा हैकि जब हम किसीको साक्षर बनाते हैं तो हम उसे स्वाधीन करते हैं, हम उस व्यक्ति को खुदको खोजने में मदद करते हैं, उसे सम्मान का एहसास कराते हैं, उसकी निर्भरता कम करते हैं, उसमें स्वतंत्रता और परस्पर निर्भरता पैदा करते हैं। उन्होंने कहाकि इससे व्यक्ति खुदकी मदद करने में सक्षम बनता है, यह सहयोग करने का एक सर्वोच्च पहलू है। उपराष्ट्रपति आज विज्ञान भवन नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहाकि किसी व्यक्ति को शिक्षित करके आप जो आनंद और खुशी प्रदान करते हैं, चाहे वह पुरुष हो, महिला हो, बच्चा हो या लड़की हो, वह असीम है, यह मानव संसाधन विकास में आपकी ओरसे की जा सकने वाली सबसे बड़ा सकारात्मक कार्य होगा।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सभीसे साक्षरता को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि हमें 100 प्रतिशत साक्षरता सुनिश्चित करने केलिए प्रतिबद्धता और जुनून केसाथ मिशन मोड में काम करना चाहिए और हर कोई एक-एक व्यक्ति को साक्षर बनाए, यह विकसित भारत केलिए एक अहम योगदान होगा। उन्होंने कहाकि शिक्षा एक ऐसी चीज है, जिसे कोई चोर आपसे छीन नहीं सकता, कोई सरकार इसे आपसे नहीं छीन सकती, न तो रिश्तेदार और न ही दोस्त इसे आपसे छीन सकते हैं, इसमें कोई कमी नहीं हो सकती, यह तबतक बढ़ती रहेगी, जब तक आप इसे साझा करते रहेंगे। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि यदि साक्षरता को जुनून केसाथ आगे बढ़ाया जाए तो भारत नालंदा और तक्षशिला की तरह शिक्षा के केंद्र के रूपमें अपनी प्राचीन स्थिति को पुनः प्राप्त कर सकता है। जिन राज्यों ने अभीतक नई शिक्षा नीति को नहीं अपनाया है उनसे अपील करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि वे अपने रुख पर पुनर्विचार करें। उन्होंने कहाकि यह नीति देश केलिए एक बड़ा बदलाव लाने वाली है, यह युवाओं को उनकी प्रतिभा और ऊर्जा का पूरा दोहन करने का अधिकार देती है, इसमें सभी भाषाओं को उचित महत्व दिया गया है।
उपराष्ट्रपति ने मातृभाषा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहाकि यह वह भाषा है, जिसमें हम सपने देखते हैं। उन्होंने कहाकि दुनिया में भारत जैसा कोई देश नहीं है, भाषा की संपन्नता के मामले में हम एक अद्वितीय राष्ट्र हैं, जहां कई भाषाएं हैं। राज्यसभा के सभापति के रूपमें अपने अनुभवों पर उन्होंने कहाकि वे संसद सदस्यों को 22 भाषाओं में बोलने का अवसर देते हैं, जब वे उन्हें उनकी भाषा में बोलते हुए सुनते हैं तो वे अनुवाद सुनते हैं, लेकिन उनकी शारीरिक भाषा उन्हें बता देती हैकि वे क्या कह रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने भारतीय संस्कृति में ऋषि परंपरा के गहन महत्व पर भी प्रकाश डाला और सभीसे आग्रह कियाकि वे छह महीने के भीतर कम से कम एक व्यक्ति को साक्षर बनाने का संकल्प लें, ताकि वर्षके अंततक हम दो व्यक्तियों को शिक्षित करने का लक्ष्य प्राप्त कर सकें। भारत की परिवर्तनकारी प्रगति की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि हरघर तक बिजली पहुंचाने जैसी उपलब्धियां अब एक वास्तविकता बन गई हैं, अब हमारा लक्ष्य सौर ऊर्जा से आत्मनिर्भरता हासिल करना है। उन्होंने हरघर में शौचालय और व्यापक डिजिटल कनेक्टिविटी जैसे उपायों पर जोर देते हुए ग्रामीण विकास की बात कही। उन्होंने बतायाकि कैसे दूरदराज गांवों में 4जी की पहुंच ने सेवा वितरण में क्रांति ला दी है, जिससे रोजमर्रा के काम और ज्यादा आसान हो गए हैं। इस अवसर पर शिक्षा राज्यमंत्री जयंत चौधरी, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।