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वियनतियाने में आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक

'आसियान और हिंद-प्रशांत देशों के साथ भारत के संबंध सशक्त'

रक्षामंत्री ने वैश्विक शांति के लिए बौद्ध सिद्धांतों पर जोर दिया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 21 November 2024 05:29:23 PM

asean defence ministers meeting in vientiane

वियनतियाने/ नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लाओ पीडीआर के वियनतियाने में 11वें आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक प्लस फोरम में कहा हैकि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्रमें शांति और समृद्धि केलिए नौवहन और उड़ान की स्वतंत्रता, बिना बाधा के वैध वाणिज्य और अंतर्राष्ट्रीय कानून के पालन का पक्षधर है। आचार संहिता पर चर्चाओं पर उन्होंने कहाकि भारत एक ऐसी संहिता देखना चाहेगा, जो उन देशों के वैध अधिकारों और हितों को नुकसान न पहुंचाए, जो इन विचार-विमर्शों में पक्ष नहीं हैं। उन्होंने कहाकि संहिता अंतर्राष्ट्रीय कानून विशेष रूपसे संयुक्तराष्ट्र समुद्री कानून 1982 केसाथ पूरी तरह से सुसंगत होनी चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था केलिए चल रहे संघर्षों और चुनौतियों पर रक्षामंत्री ने कहाकि यह भाग्य हैकि 11वीं एडीएमएम-प्लस लाओ पीडीआर में आयोजित की जा रही है, जिसने अहिंसा और शांति के बौद्ध सिद्धांतों को आत्मसात किया है। उनका मानना थाकि अब समय आ गया हैकि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के बौद्ध सिद्धांतों को सभी द्वारा और अधिक निकटता से अपनाया जाए, क्योंकि दुनिया तेजीसे ब्लॉकों और शिविरों में बंट रही है, जिससे स्थापित विश्व व्यवस्था पर तनाव बढ़ रहा है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत हमेशा जटिल अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के समाधान केलिए संवाद का पक्षधर रहा है और इसका अभ्यास भी किया है। उन्होंने कहाकि खुले संवाद और शांतिपूर्ण बातचीत केप्रति यह प्रतिबद्धता सीमा विवादों से लेकर व्यापार समझौतों तक अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियों की एक विस्तृत श्रृंखला केप्रति भारत के दृष्टिकोण में स्पष्ट है, खुला संवाद विश्वास, समझ और सहयोग को बढ़ावा देता है तथा स्थायी साझेदारी की नींव रखता है। रक्षामंत्री ने कहाकि संवाद की शक्ति हमेशा प्रभावी साबित हुई है, जिसके ठोस परिणाम मिले हैं, जो वैश्विक मंच पर स्थिरता और सद्भाव में योगदान करते हैं। उन्होंने कहाकि भारत का मानना हैकि वैश्विक समस्याओं का वास्तविक, दीर्घकालिक समाधान तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब राष्ट्र रचनात्मक रूपसे जुड़ें, एक-दूसरे के दृष्टिकोण का सम्मान करें और सहयोग की भावना से साझा लक्ष्यों की दिशामें काम करें। रक्षामंत्री ने 21वीं सदी को एशियाई सदी बताते हुए कहाकि आसियान क्षेत्र हमेशा से आर्थिक रूपसे गतिशील है और व्यापार, वाणिज्य एवं सांस्कृतिक गतिविधियों से भरा है।
रक्षामंत्री ने कहाकि इस परिवर्तनकारी यात्रा के दौरान भारत इस क्षेत्र का एक विश्वसनीय मित्र बना हुआ है। उन्होंने 1927 में दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा के दौरान गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की एक उक्ति का संदर्भ देते हुए कहाकि 'मैं हर जगह भारत को देख सकता था, फिरभी मैं इसे पहचान नहीं पाया', यह कथन भारत और दक्षिण पूर्व एशिया केबीच गहरे और व्यापक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों का प्रतीक है। भारत सरकार की एक्ट ईस्ट नीति के एक दशक पूरे होने पर राजनाथ सिंह ने कहाकि आसियान और हिंद-प्रशांत देशों केसाथ भारत के संबंधों को सशक्त करने में इसका लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहाकि इस दृष्टिकोण ने राष्ट्र की नीति के आधार के रूपमें आसियान की महत्वपूर्ण भूमिका पर फिरसे बल दिया है। विश्व के विभिन्न भागों में प्राकृतिक आपदाओं पर रक्षामंत्री ने कहाकि यह जलवायु परिवर्तन के खतरों का स्मरण कराती हैं। उन्होंने कहाकि रक्षा क्षेत्रमें जलवायु परिवर्तन केप्रति लचीलापन मजबूत करने केलिए बहुहितधारक जुड़ाव की आवश्यकता है, जिसमें जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के प्रबंधन केलिए अभिनव समाधान विकसित करना शामिल है, इसमें कमजोर आबादी की रक्षा केसाथ हमारे रक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा भी शामिल है।
रक्षामंत्री ने जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा केलिए खतरों केबीच अंतर्संबंधों की समझ को गहरा करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने जलवायु परिवर्तन पर एडीएमएम प्लस रक्षा रणनीति विकसित करने का आह्वान किया। राजनाथ सिंह ने साझा प्राकृतिक संसाधन और इकोसिस्टम जो जीवन को बनाए रखने और ग्रह पर समृद्धि लाने केलिए आवश्यक हैं-ग्लोबल कॉमन्स की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने एकपक्षीय कार्रवाई का सहारा न लेकर न्यायपूर्ण और संतुलित तरीके से इन ग्लोबल कॉमन्स की सुरक्षा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि ये संसाधन अमूल्य पारिस्थितिक, आर्थिक और सामाजिक लाभ प्रदान करते हैं, जो राष्ट्रीय सीमाओं से परे हैं।उन्होंने 11वें एडीएमएम प्लस संयुक्त वक्तव्य में प्रासंगिक विषय चुनने केलिए 11वें एडीडीएम प्लस फोरम के अध्यक्ष लाओस के उप प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री जनरल चांसमोन चान्यालथ की सराहना की। एडीडीएम प्लस फोरम में 10 आसियान देश, आठ से अधिक देश और तिमोर लेस्ते शामिल थे।

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