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Friday 3 January 2025 04:00:05 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने नेशनल बुक ट्रस्ट की 'जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख: सातत्य और सम्बद्धता का ऐतिहासिक वृत्तांत' पुस्तक का विमोचन किया। अमित शाह ने कहाकि शासकों को खुश करने केलिए लिखे गए इतिहास से निजात पाने का समय आ गया है, हमारे इतिहासकारों को भारत के इतिहास को आत्मविश्वास, प्रमाणों, तथ्यों एवं हज़ारों साल पुराने सांस्कृतिक दृष्टिकोण से लिखना चाहिए और दुनिया के सामने गौरव केसाथ रखना चाहिए। उन्होंने कहाकि आज देश स्वतंत्र है और यहां ऐसा शासन भी है, जो देश पहले एवं सर्वोपरि जैसे विचारों से चल रहा है। नई दिल्ली में पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष और पुस्तक के संपादक प्रोफेसर रघुवेंद्र तंवर सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। गृहमंत्री ने कहाकि नेशनल बुक ट्रस्ट ने इस पुस्तक के माध्यम से लंबे समय से देश मे चल रहे मिथक को तथ्यों और प्रमाणों के जरिए तोड़कर सत्य को ऐतिहासिक दृष्टि से प्रस्थापित करने का काम किया है। उन्होंने कहाकि एक मिथक थाकि भारत कभी एक थाही नहीं और भारत की आज़ादी की कल्पना ही बेईमानी है और बहुत सारे लोगों ने इस असत्य को स्वीकारा। उन्होंने कहाकि दुनिया के सभी देशों का अस्तित्व जियोपॉलिटिकल है, लेकिन सिर्फ भारत दुनिया का एकमात्र देश है, जो जियोकल्चर है और जिसकी सीमा संस्कृति से बनी है। गृहमंत्री ने कहाकि कश्मीर से कन्याकुमारी और बंगाल से गुजरात तक हमारा भारत संस्कृति से जुड़ा हुआ है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि भारत की व्याख्या वो लोग नहीं कर सकते, जिनके मन में देश की व्याख्या जियोपॉलिटिकल देश के रूपमें है, बल्कि भारत को वही समझ सकते हैं, जिनके मन में जियोकल्चर देश की कल्पना है। उन्होंने कहाकि भारत को समझने का प्रयास तभी सच्चा हो सकता है, जब हम देशों की जियोकल्चर परिभाषा को समझें। उन्होंने कहाकि जबतक हमारे इतिहास और इसका अनुसंधान करने वाली संस्थाएं इस थ्योरी को ऐतिहासिक तथ्यों केसाथ दुनिया के सामने नहीं रखेंगी, तबतक कोई भारत को नहीं समझ सकेगी। उन्होंने कहाकि भारत को समझने केलिए भारतीय दृष्टिकोण से देश को जोड़ने वाले तत्वों को समझना होगा। अमित शाह ने कहाकि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के इतिहास केसाथ भी यही हुआ, कई तथ्यों को तोड़ मरोड़कर कश्मीर और लद्दाख की मीमांसा करना बेईमानी है। उन्होंने कहाकि स्मृतिभ्रंश से दूषित इतिहासकार ही ऐसा कर सकते हैं, क्योंकि जिनकी स्मृति में हमारा गौरवशाली इतिहास है, वो ऐसी गलती नहीं कर सकते। अमित शाह ने कहाकि इस पुस्तक से ये बात सिद्ध हो गई हैकि भारत के हर हिस्से में मौजूद संस्कृति, भाषाएं, लिपियां, आध्यात्मिक विचार, तीर्थ स्थलों की कलाएं, वाणिज्य और व्यापार हजारों साल से कश्मीर में उपस्थित थे और वहीं से देश के कई हिस्सों में पहुंचे।
अमित शाह ने कहाकि यह पुस्तक प्रमाणित करती हैकि देश के कोने-कोने में बिखरी हुई हमारी समृद्ध विरासत हजारों वर्ष से कश्मीर में उपस्थित थी, पुस्तक में लगभग 8 हज़ार साल पुराने ग्रंथों में से कश्मीर का जिक्र निकालकर शामिल किया गया है। गृहमंत्री ने कहाकि कश्मीर पहले भी भारत का अविभाज्य अंग था, आजभी है और हमेशा रहेगा। उन्होंने कहाकि कोई भी कानून की धारा इसे भारत से अलग नहीं कर सकती, कश्मीर को भारत से अलग करने का प्रयास किया भी गया था, लेकिन समय ने उस धारा को ही हटा दिया। उन्होंने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार कश्मीर के इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने केलिए दृढ़ संकल्पित है और जो हम खो चुके हैं, उसे जल्द ही प्राप्त कर लेंगे। गृहमंत्री ने कहाकि इस पुस्तक और प्रदर्शनी में कश्मीर, लद्दाख, शैव और बौद्ध धर्म का संबंध बहुत अच्छे तरीके से बताया गया है, लिपि, ज्ञान प्रणाली, आध्यात्म, संस्कृति और भाषाओं को बहुत अच्छे तरीके से प्रमाणित किया गया है। पुस्तक के अंदर एक प्रकार से बौद्ध धर्म की नेपाल से काशी होकर बिहार तक और वहां से कश्मीर होकर अफगानिस्तान तक की पूरी यात्रा बताई गई है। उन्होंने कहाकि बौद्ध धर्म के अंदर तथागत भगवान गौतम बुद्ध केबाद परिष्कृत किए गए सिद्धांतों का जन्मस्थान भी कश्मीर था और आजके बौद्ध धर्म के विद्यमान बौद्ध धर्म के सिद्धातों की जन्मभूमि भी कश्मीर ही थी।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि द्रास, लद्दाख की मूर्तिकला, स्तूपों की चर्चा और चित्र, आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए मंदिरों के खंडहरों के चित्र और जम्मू कश्मीर में संस्कृत के उपयोग का राजतरिंगिणी में वर्णन आदि का कश्मीर का 8 हज़ार साल का इतिहास पुस्तक में एक पात्र में गंगा समाहित करने जैसा बहुत बड़ा प्रयास हुआ है। उन्होंने कहाकि इतिहास बहुत व्यापक और कटु होता है, 150 साल का एक कालखंड आया जब कुछ लोगों के इतिहास का मतलब दिल्ली के दरीबे से बल्लीमारान और लुटियंस से जिमखाना तक सिमट कर रह गया था। उन्होंने कहाकि इतिहास यहां बैठकर नहीं लिखा जाता, बल्कि लोगों केबीच में जाकर उन्हें समझना पड़ता है। अमित शाह ने कहाकि सभ्यता की रचना और उसके संरक्षण व संवर्धन का कश्मीर और लद्दाख केंद्र था और इस बात के अनेक उदाहरण इस पुस्तक में हमें मिलते हैं। उन्होंने कहाकि कश्मीर हमेशा से अनेक मतों को संभालने वाला उदार चरित्र वाला प्रदेश है। गृहमंत्री ने कहाकि भाषाओं की विविधता, जो भारत की एक बहुत बड़ी ताकत है, उसकी अनुभूति भी कश्मीर में होती है। उन्होंने कहाकि 2 संघशासित प्रदेश बनाकर दोनों की अधिकृत भाषाओं का समावेश कर भाषाओं को नई आयु देने का काम किया गया है, हिंदी, अंग्रेज़ी और संस्कृत को नकारा भी नहीं है, लेकिन इनके साथ-साथ इतनी अल्प संख्या में बोली जानेवाली कश्मीरी, बाल्टी, डोगरी, लद्दाखी और जंस्कारी भाषाओं को शासन की भाषा बनाया गया है।
अमित शाह ने कहाकि कश्मीर की छोटी से छोटीसी आबादी में बोली जानेवाली मूल कश्मीरी भाषा को हमें स्थान देना है और उसे जीवित रखना है। गृहमंत्री ने कहाकि कश्मीर हमेशा से कट्टरपथियों, लूट-खंसोट करने वालों और राज्य का विस्तार करने के घृणित विचार वाले आक्रांताओं का शिकार रहा है। अमित शाह ने कहाकि धारा 370 और 35ए कश्मीर को देश केसाथ एक होनेसे रोकने वाले व्यवधान थे, जिसे 5 अगस्त 2019 को समाप्त कर आज़ादी केबाद के इतिहास का एक कलंकित अध्याय समाप्त करने का काम किया गया और वहीं से कश्मीर का देश के बाकी हिस्सों केसाथ विकास का अध्याय शुरू हुआ। गृहमंत्री ने कहाकि धारा 370 खत्म होने केबाद कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं में कमी हुई है और ये सिद्ध करता है कि धारा 370 आंतकवाद की पोषक थी। उन्होंने कहाकि कश्मीर में पथराव की 2018 में 2100 घटनाएं हुईं, जबकि 2023 में एक भी घटना नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि 25 हज़ार से अधिक पंच, सरपंच, तहसील पंचायत और ज़िला पंचायत के सदस्य चुनाव जीतकर आए और अपने क्षेत्र का विकास कर रहे हैं, जिससे वहां लोकतंत्र की जड़ें गहरी हुई हैं। अमित शाह ने कहाकि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में 33 साल में सबसे अधिक रिकॉर्ड मतदान हुआ। उन्होंने कहाकि अब यहां उद्योग आ रहे हैं और 2 करोड़ 11 लाख पर्यटक भी आए हैं। उन्होंने कहाकि 2023 में 324 सीरीयल्स या फिल्मों का फिल्मांकन यहां हुआ है, 33 साल बाद कश्मीर घाटी में थियेटर में नाइट शो चला है, ताजिया का जुलूस निकला है और श्रीनगर के लाल चौक पर कृष्ण जन्माष्टमी की झांकी देखने को मिली है। उन्होंने कहाकि आज दुनिया का सबसे बड़ा रेलवे आर्च ब्रिज, एशिया की सबसे बड़ी सुरंग, केबल स्टे रेल ब्रिज कश्मीर में हैं।
गृहमंत्री ने कहाकि कश्मीर में आईआईटी, आईआईएम, 2 एम्स, 9 सरकारी मेडिकल कॉलेज, 2 नर्सिंग संस्थान, 2 राज्य के कैंसर संस्थान, 8 महाविद्यालय बन चुके हैं और 24 बन रहे हैं। उन्होंने कहाकि 59 कॉलेजों को मान्यता दी गई है, हाईवे टनल का निर्माण हो रहा है। अमित शाह ने पिछली सरकारों से पूछाकि इस सबका 10 प्रतिशत भी उनके 70 साल के शासन में क्यों नहीं हुआ और इसका हिसाब उन्हें देश व कश्मीर की जनता को देना चाहिए। उन्होंने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार ने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण प्राप्त किया है, बल्कि इसके इकोसिस्टम को भी घाटी से पूरी तरह समाप्त करने का काम किया है। उन्होंने कहाकि मोदी सरकार के प्रयासों के कारण कश्मीर फिरसे एकबार हमारे भू-सांस्कृतिक राष्ट्र भारत का अभिन्न अंग बनकर पूरे देश केसाथ विकास के रास्ते पर चल रहा है और वहां लोकतंत्र स्थापित हुआ है। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि जो कुछभी हमने गंवाया है, उसे हम जल्द ही प्राप्त कर लेंगे। उन्होंने कहाकि न सिर्फ भौतिक विकास, बल्कि कश्मीर की सांस्कृतिक ऊंचाइयों और चिरपुरातन गौरव कोभी हम जल्द प्राप्त करेंगे। अमित शाह ने कहाकि इतिहास के उन अमर पन्नों को सृजितकर जमीन पर उतारने का काम भी कश्मीर की जनता करेगी। गृहमंत्री ने कहाकि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा थाकि जम्मू कश्मीर सिर्फ भारत का अंग नहीं है, बल्कि भारत की आत्मा का अभिन्न हिस्सा है और इस पुस्तक ने ये सिद्ध कर दिया हैकि इस बात को अब कोई नहीं नकार सकता।