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Saturday 18 January 2025 06:35:04 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामित्व योजना केतहत आज वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए 10 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों के 230 से अधिक जिलों के 50000 से अधिक गांव में संपत्ति मालिकों को स्वामित्व कार्ड वितरित किए। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहाकि यह दिन भारत के गांवों और ग्रामीण क्षेत्रों केलिए ऐतिहासिक दिन है और उन्होंने लाभार्थियों को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने कहाकि पांच साल पहले स्वामित्व योजना की शुरुआत की गई थी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सकेकि गांव में रहनेवाले लोगों को उनके प्रॉपर्टी कार्ड मिलें। नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमारी सरकार ग्राम स्वराज को जमीनी स्तरपर लागू करने केलिए गंभीरता से कार्यरत है। उन्होंने इस बातपर प्रकाश डालाकि स्वामित्व योजना ने ग्राम विकास के नियोजन और क्रियांवयन में महत्वपूर्ण सुधार किया है, स्पष्ट मानचित्रों और आबादी वाले क्षेत्रों के ज्ञान केसाथ विकासकार्य की योजना सटीक होगी, जिससे खराब नियोजन के कारण होनेवाली बर्बादी और बाधाएं दूर होंगी। प्रधानमंत्री ने कहाकि पंचायत भूमि और चरागाह क्षेत्रों की पहचान सहित संपत्ति के अधिकार भूमि स्वामित्व पर विवादों को हल करेंगे, जिससे ग्राम पंचायतें आर्थिक रूपसे सशक्त होंगी। उन्होंने कहाकि संपत्ति कार्ड गांवों में आपदा प्रबंधन को बढ़ाएंगे, जिससे आग, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाओं के दौरान मुआवजे का दावा करना आसान हो जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उल्लेख कियाकि अलग-अलग राज्य प्रॉपर्टी के मालिकाना हक के प्रमाणपत्रों को कई नामों से पुकारते हैं जैसे-घरौनी, अधिकार अभिलेख, प्रॉपर्टी कार्ड, मालमत्ता पत्रक और आवासीय भूमि पट्टा। नरेंद्र मोदी ने कहाकि बीते 5 वर्ष में 1.5 करोड़ से ज्यादा लोगों को स्वामित्व कार्ड दिए गए हैं और आजके कार्यक्रम में 65 लाख से ज़्यादा परिवारों को ये कार्ड मिल चुके हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि स्वामित्व योजना केतहत अबतक गांवों में रहनेवाले करीब 2.25 करोड़ लोगों को उनके घरों केलिए कानूनी दस्तावेज मिल चुके हैं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि 21वीं सदी में जलवायु परिवर्तन, जल संकट, स्वास्थ्य संकट और महामारी सहित कई चुनौतियां हैं एवं दुनिया के सामने एक और बड़ी चुनौती संपत्ति के अधिकार और कानूनी संपत्ति के दस्तावेजों की कमी है। प्रधानमंत्री ने संयुक्तराष्ट्र के एक अध्ययन का हवाला दिया, जिससे पता चला हैकि विभिन्न देशों में कई लोगों केपास अपनी संपत्ति केलिए समुचित कानूनी दस्तावेज नहीं हैं, संयुक्तराष्ट्र ने इस बातपर जोर दिया हैकि ग़रीबी कम करने केलिए लोगों केपास संपत्ति के अधिकार होने चाहिएं। प्रधानमंत्री ने एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री के बारेमें बताया, जिन्होंने संपत्ति के अधिकारों की चुनौती पर एक किताब लिखी थी, उसमें बताया गया हैकि ग्रामीणों केपास स्वामित्व वाली छोटी संपत्ति अक्सर ‘मृत पूंजी’ होती है, इसका मतलब हैकि संपत्ति का इस्तेमाल लेन-देन केलिए नहीं किया जा सकता है और इससे परिवार की आय बढ़ाने में मदद नहीं मिलती है। उन्होंने गांवों में आधुनिक सुख-सुविधाओं की डिलीवरी बढ़ी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत संपत्ति के अधिकारों की वैश्विक चुनौती से अछूता नहीं है, लाखों-करोड़ों की संपत्ति होनेके बावजूद ग्रामीणों केपास अक्सर कानूनी दस्तावेजों की कमी होती है, जिससे विवाद होते हैं, यहां तककि शक्तिशाली व्यक्तियों द्वारा अवैध कब्जा भी किया जाता है। उन्होंने कहाकि कानूनी दस्तावेजों के बिना बैंक भी ऐसी संपत्तियों से दूरी बनाए रखते हैं। नरेंद्र मोदी ने उल्लेख कियाकि पिछली सरकारों ने इस मुद्दे को हल करने केलिए ठोस कदम नहीं उठाए और 2014 में उनकी सरकार ने स्वामित्व योजना के माध्यम से संपत्ति के दस्तावेजीकरण की चुनौती से निपटने का फैसला किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि कोईभी संवेदनशील सरकार अपने ग्रामीणों को इस तरह के संकट में नहीं छोड़ सकती। स्वामित्व योजना के बारेमें बताते हुए उन्होंने कहाकि इसमें ड्रोन का इस्तेमाल करके गांवों में घरों और जमीनों की मैपिंग करना और ग्रामीणों को आवासीय संपत्तियों के कानूनी दस्तावेज प्रदान करना शामिल है। उन्होंने कहाकि योजना के लाभ अब दिखाई देने लगे हैं, उन्होंने स्वामित्व योजना के लाभार्थियों से अपनी पिछली बातचीत का जिक्र किया। उन्होंने कहाकि अब उन्हें अपनी संपत्तियों केलिए बैंकों से सहायता मिलती है और उनकी संतुष्टि और खुशी स्पष्ट है। लाभार्थियों ने प्रधानमंत्री को बताया थाकि कैसे इस योजना ने उनके जीवन को बदल दिया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत में 6 लाख से ज्यादा गांव हैं, जिनमें से लगभग आधे गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। उन्होंने कहाकि कानूनी दस्तावेज मिलने केबाद लाखों लोगों ने अपनी संपत्ति के आधार पर बैंकों से लोन लिया और अपने गांवों में छोटे-मोटे व्यवसाय शुरू किए, इनमें से कई लाभार्थी छोटे और मध्यम किसान परिवार हैं, जिनके लिए ये संपत्ति कार्ड आर्थिक सुरक्षा की एक बड़ी गारंटी बन गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि दलित, पिछड़े और आदिवासी परिवार अवैध कब्जों व लंबे अदालती विवादों से सबसे अधिक प्रभावित हैं, लेकिन कानूनी प्रमाणीकरण केसाथ अब वे इस संकट से मुक्त हो जाएंगे। उन्होंने एक अनुमान का जिक्र कियाकि एकबार सभी गांवों में संपत्ति कार्ड जारी हो जाने पर इससे 100 लाख करोड़ रुपये से अधिक की आर्थिक गतिविधियां शुरू हो जाएंगी। प्रधानमंत्री ने कहाकि इससे देश की अर्थव्यवस्था में भी काफी बड़ी पूंजी जुड़ेगी। उन्होंने कहाकि किसानों केलिए भूमि विवाद आम बात है और भूमि का दस्तावेज प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण है, इसके लिए उन्हें अक्सर अधिकारियों के यहां चक्कर लगाने पड़ते हैं और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहाकि इन समस्याओं को कम करने केलिए भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया जारहा है। उन्होंने कहाकि स्वामित्व और भू-आधार गांव के विकास केलिए आधारभूत प्रणालियां हैं, भू-आधार भूमि को एक विशिष्ट पहचान प्रदान करता है, लगभग 23 करोड़ भू-आधार संख्याएं जारी की गई हैं, जिससे भूमि भूखंडों की पहचान करना आसान हो गया है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि 7-8 वर्ष में, लगभग 98 प्रतिशत भूमि रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया गया है और अधिकांश भूमि मानचित्र अब डिजिटल रूपसे उपलब्ध हैं। महात्मा गांधी की इस मान्यता पर जोर देते हुएकि भारत की आत्मा उसके गांवों में बसती है प्रधानमंत्री ने कहाकि एक दशक में इस दृष्टिकोण का सही मायने में कार्यांवयन हुआ है। उन्होंने विभिन्न जनकल्याणकरी योजनाएं गिनाईं। प्रधानमंत्री ने सुदूर सीमावर्ती गांवों में कनेक्टिविटी केलिए वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम के बारेमें बताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की निरंतरता पर प्रकाश डाला, जिसके तहत किसानों को लगभग 2.25 लाख करोड़ रुपये के दावे प्राप्त हुए हैं। उन्होंने डीएपी उर्वरक के बारेमें एक और निर्णय का जिक्र किया, जिसकी कीमतें वैश्विक स्तरपर बढ़ गई थीं। उन्होंने कहाकि सरकार ने किसानों के हित में किफायती उर्वरक सुनिश्चित करने केलिए हजारों करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। उन्होंने कहाकि पिछले एक दशक में किसानों को किफायती उर्वरक उपलब्ध कराने पर लगभग 12 लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए, जो 2014 से पहले के दशक में खर्च की गई राशि से लगभग दोगुना है। प्रधानमंत्री ने कहाकि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि केतहत किसानों के खातों में लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये अंतरित किए गए हैं, जो किसानों के कल्याण केलिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि हमने हर बड़ी योजना में महिला सशक्तिकरण को केंद्र में रखा है, जिससे विकसित भारत के निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को पहचाना जा सके। उन्होंने कहाकि बैंक सखी और बीमा सखी जैसी पहलों ने गांवों में महिलाओं केलिए नए अवसर प्रदान किए हैं, लखपति दीदी योजना ने 1.25 करोड़ से अधिक महिलाओं को लखपति बनाया है, स्वामित्व योजना ने महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को मजबूत किया है, कई राज्यों ने संपत्ति कार्ड पर उनके पतियों केसाथ-साथ पत्नियों का नाम भी शामिल किया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि पीएम आवास योजना के तहत ग़रीबों को दिए जानेवाले अधिकांश घर महिलाओं के नाम पर पंजीकृत हैं। उन्होंने कहाकि स्वामित्व योजना के ड्रोन महिलाओं को संपत्ति के अधिकार सुरक्षित करने में मदद कर रहे हैं, स्वामित्व योजना में मैपिंग का काम ड्रोन से की जा रही है और नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत गांव की महिलाएं ड्रोन पायलट बन रही हैं, कृषि में सहायता कर रही हैं और अतिरिक्त आय अर्जित कर रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहाकि स्वामित्व योजना ने ग्रामीणों को सशक्त बनाया है, इससे भारत में ग्रामीण जीवन में संभावित रूपसे बदलाव आया है। उन्होंने कहाकि जैसे-जैसे गांव और ग़रीब मजबूत होते जाएंगे, विकसित भारत की ओर यात्रा आसान होती जाएगी। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि स्वामित्व जैसी योजनाएं गांवों को विकास का मजबूत केंद्र बनाएंगी। कई राज्यों के राज्यपाल, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उपराज्यपाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के मुख्यमंत्री, केंद्रीय पंचायती राज मंत्री तथा मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह भी वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से इस कार्यक्रम में शामिल हुए। गौरतलब हैकि स्वामित्व योजना को प्रधानमंत्री ने ग्रामीण भारत की आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण केसाथ शुरू किया था, ताकि सर्वेक्षण केलिए नवीनतम ड्रोन तकनीक के माध्यम से गांवों में बसे हुए क्षेत्रों में घरों के मालिक परिवारों को 'अधिकारों का रिकॉर्ड' प्रदान किया जा सके। यह योजना संपत्तियों के मुद्रीकरण को सुगम बनाने और बैंक ऋण के माध्यम से संस्थागत ऋण उपलब्ध कराने, संपत्ति संबंधी विवादों को कम करने, ग्रामीण क्षेत्रों में संपत्तियों और संपत्ति कर के बेहतर मूल्यांकन की सुविधा प्रदान करने तथा व्यापक ग्रामस्तरीय योजना बनाने में भी मदद करती है। करीब 3.17 लाख से अधिक गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है, जिसमें लक्षित गांवों का 92 प्रतिशत हिस्सा शामिल है। अबतक 1.53 लाख से अधिक गांवों केलिए लगभग 2.25 करोड़ संपत्ति कार्ड तैयार किए जा चुके हैं। पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, त्रिपुरा, गोवा, उत्तराखंड और हरियाणा में यह योजना पूरी तरह से लागू हो चुकी है। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ड्रोन सर्वेक्षण पूरा हो चुका है।