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Wednesday 10 July 2013 01:25:13 PM
नई दिल्ली। खेलों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार लाने के लिए लाए जा रहे खेल विधेयक की मूल रूपरेखा को संशोधित करने के लिए न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल की अध्यक्षता में गठित कार्यकारी समूह ने बुधवार को युवा मामलों एवं खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को संशोधित रूपरेखा सौंप दी। सरकार कुछ समय से खेलों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार लाने के बारे में विचार करती रही है, ताकि खेल प्रबंधन को अधिक जिम्मेदारीपूर्ण बनाया जा सके। इसे ध्यान में रखते हुए एक विधेयक की रूपरेखा तैयार की गई तथा 30 अगस्त 2011 को कैबिनेट के समक्ष इसे पेश किया गया। सरकार ने 14 अक्टूबर 2011 को इस विधेयक की रूपरेखा को सार्वजनिक कर दिया, साथ ही सभी राष्ट्रीय खेल संघों को यह रूपरेखा भेज दी गई, ताकि इस पर उनकी राय ली जा सके।
युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय ने न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक की संशोधित रूपरेखा तैयार करने के लिए एक कार्यकारी समूह का गठन किया था। कार्यकारी समूह में कई गणमान्य खिलाड़ी जैसे अभिनव बिंद्रा तथा वीरेन रसकिन्हा, खेल प्रशासक तथा कानूनी विशेषज्ञ शामिल हैं। इस कार्यकारी समूह की संशोधित रूपरेखा न्यायमूर्ति मुकुल मुदगल ने 10 जुलाई 2013 को युवा मामलों एवं खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को प्रदान की। आम जनता तथा अन्य समूह (जिनके हित इससे जुड़े हैं) अपनी राय मंत्रालय की वेबसाइट www.yas.nic.in पर दे सकते हैं, जहां इस विधेयक को सार्वजनिक किया गया है। एक प्रति भारतीय ओलंपिक संघ को भी भेजी गई है।
राष्ट्रीय खेल विकास विधेयक 2013 के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं-ओलंपिक चार्टर के अनुसार कार्य करने, अंतरराष्ट्रीय बहु खेल महोत्सवों के लिए बोली का उत्तरदायित्व, शिकायतों को सुनने की आंतरिक व्यवस्था, नियमित रूप से राष्ट्रीय खेलों को आयोजित कराना, आरटीआई के तहत खिलाड़ी आयोग की स्थापना तथा संसद को रिपोर्ट देने की जिम्मेदारी जैसे कार्य राष्ट्रीय ओलंपिक समिति को सौंपे गए हैं। एक खेल अपील प्राधिकरण की स्थापना करने का प्रस्ताव रखा गया है, जिसमें भारत के प्रधान न्यायाधीश अथवा उनके द्वारा नामांकित न्यायमूर्ति, सचिव, खेल विभाग तथा अध्यक्ष, राष्ट्रीय ओलंपिक समिति शामिल होंगे। एक नैतिक आयोग की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया है, जो अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के नियमों एवं सिद्धांतों के अनुसार (जो कि भारत के संविधान के भी अनुरूप हों) नैतिक नियमों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगा।
खेल चयन आयोग का गठन होगा, जो राष्ट्रीय ओलंपिक समिति, राष्ट्रीय खेल संघ तथा खिलाड़ी आयोगों के साफ-सुथरे चुनावों को सुनिश्चित करेगा। राष्ट्रीय खेल संघों की दोहरी कार्यप्रणाली प्रस्तावित की गई है। वे सभी खेल संघ जिन्हें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से अनुदान की आवश्यकता होती है, उन्हें सरकार से आधिकारिक मान्यता प्राप्त करनी होगी। अंतरराष्ट्रीय खेल समारोहों में भारत का प्रतिनिधित्व करने तथा किसी संघ द्वारा 'भारत' या 'भारतीय' का इस्तेमाल करने के लिए संघ को अध्याय-4 (खेलों में अनैतिक आचरण) तथा अध्याय-9 (सूचना का अधिकार अधिनियम) के मानकों पर खरा उतरना होगा। सभी आधिकारिक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय खेल संघों को अपने सहयोग ज्ञापन/सहयोग नियम अथवा उप नियमों में प्रावधान करने होंगे।
पदाधिकारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 70 वर्ष होगी। खिलाड़ी आयोगों द्वारा नामांकित खिलाड़ियों को संघ की कार्यकारी निकाय की निर्णय प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। संघ के कार्यकारी निकाय में खिलाड़ियों की कुल संख्या कुल मताधिकार के 25 प्रतिशत से कम नहीं होगी। सुनिश्चित करना होगा कि सामान्य निकाय में दोनों लिंगों का प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से कम नहीं होगा। जिस व्यक्ति के विरुद्ध दंड प्रक्रिया संहिता (भाग 228) के तहत आपराधिक आरोप लगे हों, वह एनओसी या नएसएफ के चुनाव नहीं लड़ सकता। कोई व्यक्ति जिसने एनएसएफ या एनओसी के कार्यकारी निकाय में पदधारी के रूप में लगातार दो वर्ष तक सेवा दी हो, वह चुनाव के लिए खड़ा हो सकता है। अध्यक्ष 12 वर्ष के लिए पद पर बने रह सकता है।