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Thursday 15 August 2013 08:28:03 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश को बस संबोधित भर किया और अपनी सरकार के नौ साल के गीत पर गीत गाते हुए, भारतीय जनता पार्टी का नाम लिए बिना उसपर हमला बोलते हुए देशवासियों से उसको 'खत्म' करने की अपील की। भाषण की शुरूआत उन्होंने उत्तराखंड में प्रलय और पनडुब्बी हादसे पर अफसोस और इन दोनों जगह मरनेवालों के प्रति श्रद्धांजलि से की। यूपीए सरकार की चलाचली की बेला में पाकिस्तान की नापाक हरकतों पर भी उन्होंने कोई दमदार बात नहीं कही, बल्कि घिसे-पिटे शब्दों में पाकिस्तान और यूपीए सरकार की विफलताओं और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों पर देश में भारी ग़ुस्से एवं निराशा को अनदेखा कर गए। प्रधानमंत्री के भाषण को पंद्रह अगस्त की नीरसता से भरी एक रस्म अदायगी से ज्यादा कोई भाव नहीं दिया जा सकता। देश में यूपीए-2 सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह का लालक़िले से शायद यह अंतिम भाषण था।
आइए! जानें कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 'प्रधानमंत्री के भाषण' में देश से क्या-क्या कहा-मेरे प्यारे भारतवासियों, भाइयों-बहनों और प्यारे बच्चों, आज यकीनन ही खुशी का दिन है, लेकिन आज़ादी के इस त्यौहार पर हमारे दिलों में इस बात का दर्द भी है कि उत्तराखंड के हमारे भाई-बहनों को करीब दो महीने पहले भारी तबाही का सामना करना पड़ा, हमारी संवेदना और सहानुभूति उन सभी परिवारों के साथ है, जिनको जान-माल का नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने उत्तराखंड की जनता को यह भरोसा दिलाया कि सरकार जल्द से जल्द लोगों के उजड़े हुए घर दोबारा बसाने और बर्बाद हुई संरचना को फिर से बनाने के लिए अपनी पूरी ताकत से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में कठिन परिस्थितियों में हमारी फौज़, अर्धसैनिक बलों और केंद्र और राज्य सरकार के तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों ने आम लोगों के साथ मिलकर, घिरे हुए लोगों को राहत पहुंचाने का जो काम किया, वह तारीफ के काबिल है। इसके लिए प्रधानमंत्री ने ख़ास तौर पर भारतीय वायुसेना, आइटीबीपी और एनडीआरएफ के उन अधिकारियों और जवानों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने दूसरों को बचाने में अपनी जान कुर्बान कर दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें बेहद अफसोस है कि कल एक दुर्घटना में हमने अपनी पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक को खो दिया है। इस हादसे में 18 बहादुर नौसैनिकों के शहीद होने की आशंका है। यह नुकसान इसलिए और भी दर्दनाक है क्योंकि अभी हाल में हमारी नेवी ने अपनी पहली परमाणु पनडुब्बी अरिहंत और एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत के रूप में दो बड़ी कामयाबियां हासिल की थीं। उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि दी तो साथ-साथ नेवी की सफलताओं के लिए मुबारकबाद भी दी। उन्होंने कहा कि 1947 में आज़ादी हासिल करने के अपने सफर पर अगर हम ग़ौर करें तो पाएंगे कि हर दस साल पर हमारे देश में बड़े बदलाव आए हैं। वर्ष 1950 के दशक में पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में भारत ने अपने पहले कदम रखे। देश में आटोमिक एनर्जी कमीशन, योजना आयोग और निर्वाचन आयोग जैसी संस्थाओं की स्थापना की गई, जिन्होंने आगे चलकर राष्ट्र निर्माण के काम में बहुत बड़ा योगदान दिया। पहली बार आम चुनाव कराए गए और देश के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए पहली पंचवर्षीय योजना बनाने का सिलसिला शुरू किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 1960 के दशक में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नए-नए उद्योग और कारखाने लगवाए, नई सिंचाई परियोजनाएं शुरू कीं और नए विश्वविद्यालय खोले। राष्ट्र निर्माण में विज्ञान और टैक्नोलॉजी के महत्व पर ज़ोर देकर उन्होंने इस प्राचीन देश को एक आधुनिक राष्ट्र के रूप में विकसित करने का काम शुरू किया। वर्ष 1970 के दशक में इंदिराजी ने हमारे राष्ट्र का आत्मविश्वास बढ़ाया। इस दौरान हमने अंतरिक्ष में अपना पहला उपग्रह छोड़ा। हरित क्रांति ने पहली बार हमें अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्रदान की। राजीव गांधी ने अगले दशक में तकनीकी और आर्थिक आधुनिकीकरण की प्रक्रिया शुरू की। इस दौरान सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हमारी प्रगति की नींव रखी गई। पंचायती राज संस्थाओं के महत्व पर ज़ोर दिया गया, जिसकी वजह से आगे चलकर इन संस्थाओं को मज़बूत और अधिकार संपन्न बनाने के लिए हमारे संविधान में संशोधन हुआ। साल 1991 में हमने नरसिम्हा राव के नेतृत्व में एक बहुत बड़े आर्थिक संकट का सामना बख़ूबी किया और देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए आर्थिक सुधारों को अपनाया। उस समय इन सुधारों का कई राजनैतिक दलों ने विरोध किया, लेकिन ये सुधार राष्ट्र हित में थे और इसीलिए बाद में आने वाली सभी सरकारों ने उनको जारी रखा। साल 1991 से लेकर आज तक सुधारों की ये प्रक्रिया आगे बढ़ती रही है।
मनमोहन सिंह ने कहा कि मेरा मानना है कि पिछला दशक भी हमारे देश के इतिहास में बहुत बड़े बदलावों का दशक रहा है। देश की आर्थिक समृद्धि जितनी इस दशक में बढ़ी है, उतनी पहले किसी दशक में नहीं बढ़ी। लोकतांत्रिक ताकतों को बढ़ावा मिला है और समाज के बहुत से वर्ग, विकास की प्रक्रिया से पहली बार जुड़े हैं। आम आदमी को नए अधिकार मिले हैं, जिनकी बदौलत उसकी सामाजिक और आर्थिक ताकत बढ़ी है। उन्होंने कहा कि मई 2004 में पहली यूपीए सरकार सत्ता में आई थी, तब से लेकर आज तक हमने एक प्रगतिशील और आधुनिक भारत बनाने के लिए लगन और ईमानदारी से काम किया है। हमने एक खुशहाल भारत की कल्पना की है। एक ऐसा भारत जो सदियों से चले आ रहे गरीबी, भूख और बीमारी के बोझ से मुक्ति पा चुका हो, जहां शिक्षा के उजाले से अज्ञानता और अंधविश्वास के अंधेरे दूर हो चुके हों। जहां सामाजिक समानता हो और सबको एक जैसे आर्थिक अवसर प्राप्त हों। जहां समाज के किसी भी तबके को अन्याय और शोषण का सामना न करना पड़े। हमने एक ऐसे भारत का सपना देखा है जहां नौजवानों को रोज़गार के ऐसे अवसर मिलें, जिनके जरिए वह राष्ट्र निर्माण के महान काम में योगदान कर सकें। हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की आवाज़ बुलंद करनी चाही है। हमने एक ऐसे राष्ट्र का निर्माण करना चाहा है, जिसे सारी दुनिया आदर और सम्मान के साथ देखे। इन सपनों को साकार करने के लिए हमने कई कदम उठाए हैं, लेकिन सफर लंबा है, अभी बहुत फासला और तय करना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अभी कुछ दिन पहले हमने खाद्य सुरक्षा कानून बनाने की दिशा में एक अध्यादेश जारी किया है। खाद्य सुरक्षा बिल अब संसद के सामने है और उम्मीद है, यह जल्द ही पास हो जाएगा। इस कानून का फायदा हमारे गांवों की 75 प्रतिशत और शहरों की आधी आबादी को पहुंचेगा। इसके तहत 81 करोड़ भारतीयों को 3 रुपये प्रति किलो चावल, 2 रुपये प्रति किलो गेहूं और 1 रुपये प्रति किलो मोटा अनाज मिल पाएगा। यह दुनिया भर में इस तरह का सबसे बड़ा प्रयास है। हम अपने किसानों की मेहनत की वजह से ही इस कानून को लागू कर पाए हैं। साल 2011-12 में हमारी अनाज पैदावार 25.9 करोड़ टन रही, जो एक रिकार्ड है। बिना तेज़ कृषि विकास के हम अपने गांवों में खुशहाली पहुंचाने का मक़सद हासिल नहीं कर सकते हैं। कई ऐसे राज्यों में जहां पहले अनाज की कमी रहती थी, आज उनकी अपनी ज़रूरत से ज़्यादा पैदावार हो रही है। उन्होंने यूपीए सरकार की उपलब्धियों का सिलसिलेवार जिक्र किया। उन्होंने स्वीकार किया कि हाल के महीनों में भारत की अर्थव्यवस्था में पिछले साल की विकास दर कम होकर 5% रह गई है और इस हालत में सुधार लाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि सिर्फ हमारा देश ही अकेला आर्थिक कठिनाईयों का सामना नहीं कर रहा है, पूरी विश्व अर्थव्यवस्था के लिए पिछला साल मुश्किल भरा रहा है। यूरोप के बड़े देशों में इस वक्त मंदी चल रही है, दुनिया भर में हर जगह निर्यात बाज़ारों की स्थिति में गिरावट आई है, सभी विकासशील देशों को मंदी का सामना करना पड़ा है, मेरा मानना है कि भारत में धीमे विकास का दौर बहुत दिन नहीं चलेगा, पिछले 9 साल में हमारी अर्थव्यवस्था में औसतन 7.9 प्रतिशत सालाना की बढ़ोत्तरी हुई है, विकास की यह रफ्तार अब तक किसी भी दशक में हुई प्रगति से कहीं ज्यादा है।
प्रधानमंत्री ने विदेश नीति की आलोचनाओं के बीच दावा किया कि आज दुनिया के देश एक दूसरे से जितना जुड़े हुए हैं, उतना पहले कभी नहीं रहे, हमने अपनी विदेश नीति के जरिए यह कोशिश की है कि भारत को इस बात का पूरा फायदा मिले। दुनिया की बड़ी ताकतों से पिछले 9 साल में हमारे संबंध लगातार सुधरे हैं। पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में स्थित दस आसियान राष्ट्रों के साथ हमारी 'Look East Policy' के अच्छे नतीजे सामने आए हैं, खासकर आर्थिक मामलों में। हमारी यह भी कोशिश रही है कि पड़ोसी देशों के साथ हमारी दोस्ती बढ़े, लेकिन पाकिस्तान के साथ रिश्ते बेहतर होने के लिए यह ज़रूरी है कि वह अपनी सरज़मीन और अपने नियंत्रण वाली ज़मीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किसी भी कार्रवाई के लिए न होने दे। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में भी स्थिति में सुधार हुआ है। वर्ष 2012 में और इस साल कुछ राज्यों में सांप्रदायिक हिंसा की चिंताजनक घटनाओं के बावजूद, सांप्रदायिक सद्भाव की दृष्टि से अच्छे गुजरे हैं। आतंकवादी और नक्सली हिंसा में भी कमी आई है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के संबंध में हमें लगातार सावधानी बरतने की ज़रूरत है, समय-समय पर हो रहे नक्सली हमलों को पूरी तरह रोकने में हम सफल नहीं हो पाए हैं, छत्तीसगढ़ में पिछली 25 मई को जो नक्सली हिंसा हुई, वह भारत के लोकतंत्र पर एक सीधा हमला था। भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर हाल में हमारे जवानों पर कायरतापूर्ण हमला किया गया। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हम हर मुमकिन कोशिश करेंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार के काम को ज़्यादा संवेदनशील, पारदर्शी और ईमानदार बनाने के लिए हमने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें से मैं सिर्फ दो का ज़िक्र यहां करना चाहूंगा। आरटीआई कानून के जरिए आम आदमी को अब सरकारी कामकाज के बारे में पहले से कहीं ज़्यादा जानकारी मिल रही है। इस कानून का इस्तेमाल एक बड़े पैमाने पर हर स्तर पर हो रहा है। यह कानून अक्सर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार को सामने लाता है और सुधार का रास्ता खोलता है, मुझे यकीन है कि आने वाले समय में आरटीआई की वजह से सरकारी कामकाज में और सुधार आएगा। संसद में लोकपाल बिल प्रस्तुत है। लोकसभा ने इसे पास कर दिया है और अब इस पर राज्यसभा विचार कर रही है। यह कानून हमारी राजनैतिक व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। भाजपा पर अपरोक्ष हमला करते हुए उन्होंने कहा कि एक आधुनिक, प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष देश में तंग और सांप्रदायिक ख्यालों की कोई गुंजाइश नहीं हो सकती। ऐसी सोच हमारे समाज को बांटती है और हमारे लोकतंत्र को कमज़ोर करती है, हमें इसे रोकना होगा, हमें अपनी संस्कृति की उन परंपराओं को मज़बूत करना होगा, जो हमें अन्य विचारधाराओं के प्रति सहनशील होना और उनका सम्मान करना सिखाती हैं। उन्होंने सभी राजनैतिक दलों, समाज के सभी वर्गों और आम जनता से इस दिशा में प्रयास करने की अपील भी की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें आज यह सोचना है कि आने वाले दस सालों में हम किस तरह का परिवर्तन चाहते हैं। पिछले दस सालों में जैसी प्रगति हमने की है, यदि हम उसे आगे भी जारी रखें तो वह वक्त दूर नहीं जब भारत को ग़रीबी, भूख, बीमारी और अशिक्षा से पूर्ण मुक्ति मिल जाएगी। हमारा भारत खुशहाल होगा और उसकी खुशहाली में सभी नागरिक बराबर के शरीक होंगे चाहे उनका धर्म, जाति, क्षेत्र, भाषा कुछ भी हो। इसके लिए हम सबको मिलकर देश में राजनैतिक स्थिरता, सामाजिक एकता और सुरक्षा का माहौल भी बनाना होगा। आइए, हम सब मिलकर एक ऐसा भारत बनाने के लिए अपने आपको फिर से समर्पित करें। जय हिंद!