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Friday 6 September 2013 10:22:11 AM
नई दिल्ली। सीबीआई को सौंपी जाने वाली फाइलों, कागजातों के संबंध में लोकसभा में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक वक्तव्य में कहा है कि सरकार कोयला आवंटन के बारे में चल रही जांच से संबंधित तथाकथित गुम फाइलों या कागजातों को ढूंढने का पूरा प्रयास कर रही है, जो सीबीआई ने मांगे हैं। उन्होंने इस समय यह कहना जल्दबाजी होगी कि कुछ कागजात वास्तव में गायब हो गए हैं। सीबीआई को मांगे गए ज्यादातर कागजात पहले ही सौंप दिए गए हैं, फिर भी इस वास्तविक स्थिति को नजरअंदाज करते हुए कुछ सदस्यों ने अपने आप ही यह निष्कर्ष निकाल लिया है कि मामले में कुछ गड़बड़ है और सरकार कुछ छिपा रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं सदन को यह आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार के पास छिपाने को कुछ भी नहीं है, मामले में चल रही जांच के साथ सहयोग करने की हमारी मंशा पर प्रश्न चिह्न नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि 1,50,000 से ज्यादा पन्नों के दस्तावेज सीबीआई को पहले ही दे दिए गए हैं, उन्हीं दिनों से जब सीएजी ने अपनी परफार्मेंस ऑडिट प्रक्रिया शुरू की थी, सरकार ने हमेशा सीएजी के साथ और बाद में सीबीआई के साथ पूर्ण सहयोग किया है, हम ऐसा भविष्य में भी करते रहेंगे और अगर मांगे जा रहे दस्तावेज वास्तव में गायब पाए जाते हैं, तो सरकार गहराई से जांच करके यह सुनिश्चित करेगी कि दोषी लोगों को सजा मिले।
उन्होंने कहा कि कोल ब्लॉक आवंटन का मामला न्यायालय के विचाराधीन है, देश का उच्चतम न्यायालय इन आवंटनों के सभी पहलुओं को देख रहा है। इसके अलावा, सीबीआई द्वारा की जा रही जांच की भी उच्चतम न्यायालय में नज़दीक से निगरानी की जा रही है, 29 अगस्त 2013 के आदेश में न्यायालय ने कहा है कि सीबीआई 5 दिनों के अंदर उन सभी कागजातों और दस्तावेजों की पूरी लिस्ट सरकार को देगी, जो अभी भी बकाया हैं और उसके बाद दो सप्ताह के अंदर सरकार सभी उपलब्ध कागजात सीबीआई को सौंप देगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार इन निर्देशों का अक्षरशः पालन करेगी और यह पूरा प्रयास करेगी कि मांगे हुए कागजात उच्चतम न्यायालय को निर्धारित समय-सीमा के अंदर ढूंढ़कर दे दिए जाएं, यदि सरकार इन कागजातों में कुछ को निर्धारित समय-सीमा के अंदर नहीं ढूंढ़ पाती है, तो जैसा कि न्यायालय का निर्देश है, सीबीआई को एक प्रतिवेदन भेज दिया जाएगा, ताकि वह उचित जांच कर सके। उन्होंने कहा कि इस स्थिति में मैं सदन के सदस्यों से यह अनुरोध करूंगा कि वह जल्दबाजी में कोई निष्कर्ष न निकालें और सदन की कार्यवाही सामान्य रूप से चलने दें।