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Monday 9 September 2013 09:47:23 AM
नई दिल्ली। भारत को मलिन बस्ती मुक्त बनाने के दृष्टिकोण से राजीव आवास योजना (आरएवाई) का शुभारंभ शीघ्र किया जाएगा। आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री गिरिजा व्यास ने आज एक संवाददाता सम्मलेन में इसकी घोषणा की। इसकी शुरूआत के बाद 2013-2022 की अवधि के दौरान इस योजना के क्रियान्वयन चरण को मिशन मोड के तहत चलाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि सरकार ने हाल ही में तीन योजनाओं को मंजूरी दी है। इस वर्ष 2013-2022 अवधि के दौरान मिशन मोड में केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) राजीव आवास योजना के क्रियान्वयन चरण आगे जारी रखना साथ ही भागीदारी के तहत परिवर्तित किफायती आवास योजना को आरएवाई के मौलिक भाग में शामिल कर इस योजना को आगे भी जारी रखना शामिल है। योजना आयोग ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान आरएवाई के क्रियान्वयन के लिए 32,230 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। शहरी गरीबों के आवास के लिए ब्याज सब्सिडी योजना (आईएसएचयूपी) को आगे जारी रखना साथ ही इस योजना का पुन:नामकरण राजीव ऋण योजना करना शामिल है, जिसे केवल केंद्रीय क्षेत्र योजना के तहत लागू किया जाएगा।
बारहवीं पंचवर्षीय योजना में लगभग 6,405 करोड़ रूपए के आवंटन के जरिए केंद्र प्रायोजित स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (एसजेएसआरवाई) का राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के रूप में पुनर्गठन किया जाएगा। योजनाओं की जानकारी देते हुए गिरिजा व्यास ने कहा कि आरएवाई में दो दृष्टिकोण अपनाएं जाएंगे-औपचारिक प्रणाली में मौजूदा झुग्गियों को शामिल करना साथ ही उन्हें आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना, जैसा कि शहर के अन्य हिस्सों में उपलब्ध है। शहरी गरीबों के लिए किफायती आवास समूह की योजना तैयार करने के अलावा उनकी सुविधा के लिए नीतियों में आवश्यक बदलाव कर औपचारिक प्रणाली की असफलताओं को दूर करना शामिल है।
क्रियान्वयन चरण के दौरान आरएवाई के तहत देश के सभी नगरों, शहरों एवं शहरी जमाव को शामिल किया जाएगा। शहर के विकास, शहर में झुग्गियों एवं अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अल्पसंख्यक जनसंख्या के अलावा समाज के अन्य कमजोर एवं पिछड़े वर्गों की प्रधानता को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकता वाले महत्वपूर्ण जिला मुख्यालयों, धार्मिक नगरों, धरोहर एवं पर्यटक स्थलों का चयन राज्यों द्वारा केंद्र सरकार के परामर्श से किया जाएगा। पांच लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगरों, शहरों एवं शहरी जमाव के परियोजना लागत का 50 प्रतिशत, पांच लाख से कम जनसंख्या पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 75 प्रतिशत तथा जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तराखंड जैसे विशेष दर्जे वाले राज्यों में 80 प्रतिशत सहायता केंद्र सरकार से उपलब्ध कराई जाएगी।
झुग्गियों में रहने वाले लोगों को दीर्घकाल के लिए गिरवी योग्य, नवीकरणीय योग्य, पट्टा अधिकार प्रदान करना। फ्लोर स्पेस इंडेक्स का 15 प्रतिशत या रहने योग्य इकाईयों का 35 प्रतिशत आरक्षित रखना इनमें से जो भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए अधिक हो। शहरी गरीबों को बुनियादी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए निगम बजट का 25 प्रतिशत आरक्षित रखना। झुग्गियों में रहने वाले एवं शहरी गरीबों की समस्याओं के निराकरण के लिए निगम संवर्ग की स्थापना आरएवाई का हिस्सा है। आरएवाई के तहत दो चरणों वाली क्रियान्वयन रणनीति अपनाई जाएगी, जिसमें एक 'संपूर्ण शहर' आधार पर झुग्गी मुक्त शहर कार्य योजना (एसएफसीपीओएएस) तैयार करना तथा दूसरा 'संपूर्ण झुग्गी' आधार पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करना है। चयनित शहरों को अपनी योजना तैयार करने में मदद दी जाएगी, जो कि यूएलबी का संपूर्ण कार्य योजना है, जिसमें अनुमानित निवेश लागत तथा प्राथमिकता के आधार पर मौजूदा झुग्गियों में सुधार और विकास के अलावा अगले 10-15 वर्षों के लिए शहरी गरीबों के लिए आधारभूत नागरिक अवसंरचना एवं सामाजिक सुविधा युक्त आवास उपलब्ध कराना शामिल है।
डॉ व्यास ने कहा कि झुग्गी मुक्त शहर कार्य योजना में प्राथमिकता के आधार पर झुग्गियों के लिए शहरों द्वारा आवासीय विशेष परियोजना रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसके बाद एकीकृत 'संपूर्ण झुग्गी' दृष्टिकोण के तहत चयनित झुग्गियों में आवास, आधारभूत नागरिक संरचना एवं सामाजिक सुविधा उपलब्ध कराना है। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के विभिन्न परिचालन पहलुओं के लिए अलग से विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किए जा रहे हैं। भागीदारी के तहत किफायती आवास योजना पर गिरिजा व्यास ने कहा कि इसे आरएवाई के साथ जोड़ा गया है, जिसका उद्देश्य किफायती आवास समूहों में वृद्धि करना है। यह योजना जो राष्ट्रीय शहरी आवास एवं पर्यावास नीति 2007 के अनुसरण में सभी के लिए किफायती आवास मुहैया कराने के लिए 2009 में शुरू की गई थी, उसे 2011 में आवास एवं शहरी गरीबी मंत्रालय के कार्यबल की अनुशंसा पर पुन: संशोधित किया गया।
संशोधित योजना में विभिन्न प्रकार की भागीदार के तहत किफायती आवास योजना में आवास एवं भीतरी विकास खंडों के लिए 21-40 वर्ग मीटर आकार के प्रति आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) या कम आय समूह (एलआईजी) वाले आवासीय इकाईयों के लिए 75,000 रुपए की सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी। इस परियोजना में न्यूनतम 250 किफायती आवासीय इकाईयों (डीयू) के आकार वाले होंगे, जिसमें ईडब्ल्यूजी, एलआईजी, मध्यम आय वर्ग एवं उच्च आय वर्ग के साथ-साथ व्यावसायिक परिसर जिसमें कम से कम फ्लोर स्पेस इंडेक्स का 60 प्रतिशत 60 वर्ग मीटर से अधिक वाले आवासीय इकाई क्षेत्रों के लिए आरक्षित रहेगा। परियोजना में ईडब्ल्यूएस वर्ग (21-27 वर्ग मीटर) के लिए आवासीय इकाईयों की संख्या 35 प्रतिशत आवश्यक रूप से आरक्षित रखना होगा। यह योजना सभी नगरों, शहरों एवं शहरी जमाव विशेषकर राजीव आवास योजना के तहत शामिल शहरों में लागू होगी।
राजीव ऋण योजना शत प्रतिशत केंद्र प्रायोजित योजना है और यह देश के सभी शहरी क्षेत्रों पर लागू होगी। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत ईडब्लूएस एवं एलआईजी वर्ग वालों को अपने आवासों के निर्माण या मौजूदा आवासों के विस्तार के लिए दिए जाने वाले ऋण पर 5 प्रतिशत (500 आधार बिंदु) की ब्याज सब्सिडी उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है। ऋण की ऊपरी सीमा ईडब्लूएस के लिए 5 लाख रुपये तथा एलआईजी के लिए 8 लाख रुपये होगी, हालांकि ब्याज सब्सिडी 5 लाख रूपये की राशि पर ही उपलब्ध होगी। ऋण की अवधि सामान्यतः15 वर्ष के लिए होगी। पंचवर्षीय योजना 2012-17 की अवधि के दौरान 10 लाख लाभार्थियों को शामिल किए जाने का प्रस्ताव है और इसमें 3580 करोड़ रुपये की राशि शामिल है। इसके बाद अनुवर्ती तीन पंचवर्षीय योजनाओं में यह राशि क्रमश: 8093 करोड़ रुपये, 4878 करोड़ रुपये और 1055 करोड़ रुपये होगी।
ऋण का औसत आकार ईडब्लूएस के लिए तीन लाख रुपये एलआईजी के लिए 5 लाख रुपये होगी, जिसमें ईडब्लूएस एवं एलआईजी लाभार्थियों का अनुपात 50:50 है। यह योजना मांग के अनुरूप है, जिसमें महिलाओं, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यकों एवं नि:शक जनों को प्राथमिकता दी जाएगी। राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन योजना शहरी रोज़गार योजना (एसजेएसआरवाई) का संशोधित रूप है, जिसमें 12वीं पंचवर्षीय योजना की शेष अवधि के लिए 6404.90 करोड़ रुपये का आबंटन है। एनयूएलएम का क्रियान्वयन दो चरणों में किया जाएगा। पहला चरण (2013-2017) और दूसरा चरण (2017-2022) का होगा। पहले चरण में 2011 की जनगणना के अनुसार एनयूएलएम में एक लाख या उससे अधिक जनसंख्या वाले शहर तथा एक लाख से कम जनसंख्या वाले जिला मुख्यालय वाले शहर शामिल होंगे। एनयूएलएम मिशन का लक्ष्यशहरी गरीब परिवारों को स्वरोज़गार एवं कौशल श्रम रोजगार के अवसर उपलब्ध कराकर उनमेंगरीबी और पिछड़ेपन को कम करना है, जिससे सतत आधार पर उनकी आजीविका में सुधार होगा।
मिशन के तहत मिशन शहरों में शहरी आजीविका केंद्रों (सीएलसी) की भी स्थापना की जाएगी, ताकि शहरी गरीब अपनी सेवाओं को बाजार तक पहुंचा सकें साथ ही स्वरोजगार, कौशल प्रशिक्षण एवं अन्य लाभों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें। प्रत्यक्ष शहर आजीविका केंद्र के लिए 10 लाख रुपये की सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। एनयूएलएम का लक्ष्य उन शहरी गरीबों पर होगा जो व्यावसायिक रोजगार से पिछड़े हैं और उन्हें इसके तहत कौशल प्रशिक्षण एवं प्लेसमेंट उपलब्ध कराना है, ताकि वे स्वरोज़गार समूह स्थापित कर सकें या वैतनिक रोजगार प्राप्त कर सकें। इसके लिए प्रति लाभार्थी लागत 15 हजार रुपये से अधिक नहीं होगी तथा पूर्वोत्तर राज्यों, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड एवं जम्मू एवं कश्मीर राज्यों के लिए 18 हजार रुपये से अधिक नहीं होगी। किसी व्यक्ति विशेष के लिए 2 लाख रुपये सीमा की लागत वाली परियोजनाओं के लिए सूक्ष्म उद्यमों तथा 10 लाख की सीमा वाले समूह उद्यमों तथा सभी एसएचजी के लिए 7 प्रतिशत से अधिक ब्याज वाली बैंक ऋणों पर सब्सिडी प्राप्त होगी। उन सभी महिला एसएचजी को तीन प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज में छूट दी जाएगी जो समय पर अपना ऋण चुकाते हैं।