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Monday 4 November 2013 07:06:55 AM
नई दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि विश्व के परिवर्तनशील जटिल सुरक्षा वातावरण को देखते हुए हमारे राष्ट्रीय प्रतिरक्षा कॉलेज के सम्मुख बहु-आयामी चुनौतियां हैं। प्रतिरक्षा अब सीमाओं की सुरक्षा तक ही सीमित नहीं रह कर आर्थिक, खाद्य, ऊर्जा, स्वास्थ्य और पर्यावरण जैसे अनेक मुद्दों से जुड़ कर बहु-आयामी हो गयी है, ऐसे में राष्ट्रीय प्रतिरक्षा कॉलेज पर श्रेष्ठ मानवीय संसाधन तैयार करने का दायित्व है, उसे न केवल सशस्त्र सेनाओं बल्कि पुलिस सेवा, नागरिक सेवा और मित्र राष्ट्रों के अधिकारियों को भी विश्व के भावी प्रतिरक्षा वातावरण से निपटने के लिए तैयार करना है। प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय प्रतिरक्षा कॉलेज के 53वें पाठ्यक्रम के सदस्यों को संबोधित कर रहे थे।
राष्ट्रपति ने कहा कि प्राकृतिक और मानव निर्मित संसाधनों पर नियंत्रण के लिए आज सभी देशों में प्रतिस्पर्धा का दौर चल रहा है, इसे देखते हुए प्रतिरक्षा कॉलेज को प्रतिरक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दों को देखते हुए अपने पाठ्यक्रम में समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा, इसके अध्ययन में सामाजिक, राजनीतिक स्थिति, आर्थिक, वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय स्थिति और अनुसंधान से जुड़े हुए विभिन्न पहलू शामिल हैं। उन्होंने कहा कि 1960 में राष्ट्रीय प्रतिरक्षा कॉलेज का उद्घाटन करते समय ही पंडित जवाहर लाल नेहरू ने स्पष्ट कर दिया था कि प्रतिरक्षा अब कोई अलग-थलग विषय नहीं रह गया। अपने पाठ्यक्रम के आधार पर प्रतिरक्षा कॉलेज को सशस्त्र सेनाओं तथा नागरिक और पुलिस सेवा के अधिकारियों में एक दूसरे की सीमाओं की समझ भी पैदा करनी होगी, ताकि वे राष्ट्रीय प्रतिरक्षा को लेकर सही समय पर सही निर्णय ले सकें।