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Tuesday 5 November 2013 07:30:20 AM
नई दिल्ली/चेन्नई। भारत के मंगल कक्षीय अंतरिक्षयान पीएसएलवी-सी 25 का प्रक्षेपण सफल रहा। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पीएसएलवी-सी 25 पर मंगल कक्षीय अंतरिक्षयान के सफल प्रक्षेपण के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (आईएसआरओ-इसरो) को बधाई दी है। इसरो के अध्यक्ष डॉ के राधाकृष्णन को एक संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि पीएसएलवी-सी 25 पर मंगल कक्षीय अंतरिक्षयान के प्रक्षेपण के बाद इसे पृथ्वी के कक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित किये जाने पर मैं आपको और आपकी टीम को बधाई देता हूं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत का पहला समर्पित मंगल कक्षीय अंतरिक्षयान हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम और अंतरिक्ष के इस्तेमाल के क्षेत्र में प्रगति का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, यह हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दिन होने के साथ ही एक ऐसा दिन है, जो हमारे वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष के क्षेत्र में हमारे राष्ट्रीय लक्ष्यों तक पहुंचने में और भी ऊंची छलांगें लगाने के लिए प्रेरित करेगा।
उप राष्ट्रपति एम हामिद अंसारी ने भी पृथ्वी के आस-पास अंडा कार कक्ष में मंगल कक्षीय अंतरिक्षयान को सफलतापूर्वक स्थापित करने के लिए इसरो की संपूर्ण ‘मंगलायन’ टीम को बधाई दी है। इसरो के अध्यक्ष डॉ के राधाकृष्णन को भेजे अपने संदेश में अंसारी ने कहा कि पूरे राष्ट्र के लिए यह एक गौरव और खुशी का विषय है, हालांकि यह लाल ग्रह की एक लंबी और कठिन यात्रा का पहला कदम हो सकता है, किंतु वह इस बारे में विश्वस्त हैं कि विशिष्ट वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की टीम इस जटिल अभियान को सफलतापूर्वक पूरा करना सुनिश्चित करेगी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगल ग्रह पर भेजे गए मंगलयान मिशन के सफल प्रक्षेपण पर इससे जुड़े सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने अपने बधाई संदेश में कहा है कि इसका सफलतापूर्वक प्रक्षेपण मिशन के पूरा होने की दिशा में पहला आवश्यक कदम है और यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के वैज्ञानिकों की प्रक्षेपण तकनीक विशेषज्ञता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि मैं इस महत्वाकांक्षी परियोजना के अगले चरणों के लिए सभी वैज्ञानिकों को बधाई देता हूं, क्योंकि यह हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा, मुझे भरोसा है कि इसरो के वैज्ञानिक इस पूरे अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम देंगे।
पीएसएलवी 25 मंगलवार को यहां से 100 किलोमीटर दूर स्पेस पोर्ट से दोपहर 2 बजकर 38 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया। इस व्हीकल की स्थिति की लगातार निगरानी रखने वाले पोर्ट ब्लेयर, बेंगलूर के पास बाएलालू और ब्रूनेई के ट्रैकिंग स्टेशनों को अलर्ट पर रखा गया है, वहीं समुद्री टर्मिनलों एससीआई नालंदा और एससीआई यमुना ने दक्षिणी प्रशांत महासागर में अपनी जगह ले ली है। मंगल ग्रह पर जाने वाला यान 1 दिसंबर को ग्रह के लिए अपनी यात्रा शुरू करने से पहले 20 से 25 दिन तक पृथ्वी के चारों ओर घूमेगा और 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में पहुंच जाएगा।
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भारत के लिए मील का पत्थर मंगलयान रवाना होकर पृथ्वी की कक्षा में सकुशल पहुंच गया। गौरतबल है कि 'मिशन मार्स' से पहले गुजरात के मुख्यमंत्री और बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया के जरिए वैज्ञानिकों को मिशन मार्स के लिए बधाई दी थी। उन्होंने कहा कि यह देश के लिए गर्व का क्षण है और हम सभी कामना करते हैं कि यह मिशन सफल हो। भारतीय अंतरिक्ष संगठन (इसरो) के प्रवक्ता ने चेन्नई में बताया कि रॉकेट की लंबाई 44.4 मीटर है और इसे स्पेस पोर्ट के फर्स्ट लांच पैड पर लगाया गया है, यहां 76 मीटर लंबा एक मोबाइल सर्विस टावर लगा है, जो 230 किलोमीटर प्रति घंटा की गति वाली हवा में भी टिका रह सकता है। इस तरह यह चक्रवात की स्थिति से निपटने में सक्षम है।