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Monday 18 November 2013 09:08:53 AM
नई दिल्ली। सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री मनीष तिवारी ने आज यहां अपने मंत्रालय की सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए लेवसन रिपोर्ट और भारत के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता और प्रभाव के बारे में विचार-विमर्श किया। इस दौरान सदस्यों के सामने भारत के संदर्भ में लेवसन रिपोर्ट की प्रासंगिकता और प्रभाव पर आधारित एक प्रस्तुति की गयी।
सदस्यों का स्वागत करते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि विगत दो दशकों में मीडिया के क्षेत्र में व्यापक बदलाव हुए हैं, भारत और वैश्विक, दोनों संदर्भों में कुछ खास संरचनात्मक विरोधाभास उभर कर सामने आये हैं, जिसकी ओर सार्वजनिक जीवन के समर्पित हितधारकों का ध्यान जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हालांकि मीडिया का क्षेत्र विभिन्न हितों से जुड़ा रहा है, किंतु एक स्वर्णिम माध्यम की तलाश करना हमेशा एक चुनौती रही है, क्योंकि इसके बाद ही विभिन्न हितधारकों की चिंताओं की ओर ध्यान देना संभव हो सकेगा।
मनीष तिवारी ने कहा कि समिति में लेवसन रिपोर्ट पर विचार-विमर्श किया जा रहा था, ताकि इसमें उठाये गये मुद्दे पर चर्चा की जा सके और भारत के संदर्भ में इसके प्रभावों का विश्लेषण किया जा सके, जबकि सरकार ने हमेशा ही मीडिया के क्षेत्र में ‘स्व-नियमन’ प्रणाली का समर्थन किया है, किंतु हितधारकों के बीच भी यह महसूस किया गया कि स्व-नियमन के लिए एक वैधानिक प्रारूप के बारे में भी विचार किया जाना चाहिए। लेवसन रिपोर्ट एक ऐसे प्रारूप का उदाहरण है, जिसे आवश्यक विचार-विमर्श के बाद ब्रिटेन के संदर्भ में तैयार किया गया था। उन्होंने कहा कि विश्वभर में ऐसे अन्य प्रारूपों की तुलना करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
बैठक में सदस्यों में डॉ अनूप कुमार साहा, डॉ संजय जायसवाल, शत्रुघ्न सिन्हा, राम्या दिव्या स्पंदना, अहमद सईद मलीहाबादी, डॉ बरूण मुखर्जी, भरत कुमार राउत, एमपी अच्युतन, मोहम्मद अदीद और प्यारीमोहन महापात्र शामिल थे।