स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 9 January 2014 12:00:10 AM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रवासी भारतीय दिवस की शुरूआत आज मातृ भूमि के साथ प्रवासी भारतीय समुदाय के भावनात्मक, आध्यात्मिक, आर्थिक और पारिवारिक संबंधों के उत्सव एवं भारतवंशियों में विशेष रूप से युवा पीढ़ी के स्वागत से की। उन्होंने कहा कि हमारे बीच प्रवासी युवाओं की मौजूदगी पीढ़ियों को जोड़ने संबंधी इस साल के विषय को विशेष जीवंतता प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि इस साल हमारे मुख्य अतिथि मलेशिया के प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण मंत्री तथा मलेशियन इंडियन कांग्रेस के अध्यक्ष दातुक सेरी जी पलानिवेल हैं, जो उन विचारों को मूर्त रूप प्रदान करते हैं, जो प्रवासी भारतीय दिवस के लिए हमें एक साथ लाते हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक सेवा और व्यक्तिगत योग्यताओं का उनका सिर्फ बेहतरीन रिकॉर्ड ही नहीं है, बल्कि वे ऐसे जीवंत भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसने मलेशिया की प्रगति में अत्याधिक योगदान दिया है और भारत और मलेशिया के बीच आपसी समझ और मैत्री का प्रभावशाली पुल बांधने में भी भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम दोनों बहुलवादी लोकतंत्र हैं, जिनके अपने समान पड़ोस में साझा हित हैं और उन्होंने एक दशक में सशक्त भागीदारी कायम की है, दातुक सेरी पलानिवेल को आज अपने बीच पाकर हमें बेहद खुशी हो रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रवासी भारतीय समुदाय अपने आकार के लिहाज से ही विश्व में दूसरे नंबर पर नहीं है, बल्कि उनकी उपलब्धियां भी उनको विश्व में बहुत महत्वपूर्ण स्थान देती हैं, इस भारतीय समुदाय का भारत में भी बहुमूल्य योगदान रहा है-विदेश में नौकरी करने वाले कामगार, जो देश में रहने वाले अपने परिवार और समुदाय की मदद करते हैं, व्यवसायी जो अपने कौशल को भारत के लिए साझा करते हैं, उद्यमी जो भारत के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए यहां निवेश करते हैं और सामुदायिक नेता, जो विश्व को भारत के बारे में बताते हैं और विदेशों में उसके हितों को आगे बढ़ाते हैं, हम उनको समर्थन देना, उनकी सहायता करना तथा भारत के साथ उनके संबंधों को हरसंभव प्रोत्साहन देना जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए भारत सरकार ने सत्ता में आने के बाद प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय बनाया था, हमने विदेशों में भारतीय कामगारों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए हाल ही में महात्मा गांधी प्रवासी सुरक्षा योजना की शुरूआत की थी, इस साल दिल्ली में प्रवासी भारतीय केंद्र का काम भी पूरा हो जाएगा, हम प्रवासी भारतीय भवनों की स्थापना के लिए राज्य सरकारों की सहायता हेतु एक योजना शुरू करने के भी इच्छुक हैं, मैं इन प्रयासों के लिए प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय और प्रवासी मंत्री व्यालार रवि की सराहना करता हूं।
मनमोहन सिंह ने इस अवसर पर विदेश मंत्रालय, प्रवासी भारतीय कार्य मंत्रालय और सऊदी अरब सरकार की भी सराहना की, जिन्होंने सऊदी अरब की श्रम नीतियों में बदलाव के बाद से 10 लाख से ज्यादा भारतीय कामगारों के समक्ष आ रही चुनौतियों को सफलतापूर्वक हल किया। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य सदैव प्रवासी समुदायों की सहायता करना रहा है और उम्मीद है कि इस साल का प्रवासी भारतीय दिवस एक बार फिर से इस बात पर चर्चा का अवसर प्रदान करेगा कि हम ज्यादा रचनात्मक भागीदारी किस प्रकार कायम करें। उन्होंने कहा कि मैं इस बात से अवगत हूं कि आप में से बहुत से लोगों के जहन में भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर सवाल हैं और हमारी सामाजिक चुनौतियों, हमारी राज्य व्यवस्था के आकार और हमारे देश के शासन के मामलों के बारे में चिंताएं हैं। उन्होंने कहा कि भारत के बाहर कुछ वर्गों में यह अवधारणा है कि हमारा देश पिछले दशक में कायम रही वृद्धि दर को खो रहा है, यह अवधारणा भारत में राजनीतिक प्रतिवादों की वजह से और प्रबल हुई है, जो उस चुनावी मौसम में और ज्यादा मुखर हो जाते हैं, जो अब काफी निकट है। उन्होंने कहा कि मैं आप लोगों को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि हमारे वर्तमान के बारे में हताश होने की या हमारे भविष्य के बारे में चिंता करने की कोई वजह नहीं है, दरअसल जैसा मैं पहले भी कह चुका हूं कि हमारा बेहतर समय आने वाला है और मैं आप लोगों से अनुरोध करता हूं कि आप भरोसे और आशा सहित भविष्य में भी इस देश के साथ जुड़े रहें। इस बात को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने प्रवासी भारतीयों के सामने मोटे तौर पर कुछ तर्क पेश किए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले चुनावों के परिणाम चाहे कुछ भी रहें, वे दुनिया के सामने एक बार फिर से हमारे लोकतंत्र और हमारी संस्थाओं की ताकत तथा उन आदर्शों की स्थायी प्रकृति का प्रदर्शन करेंगे, जो विविधताओं से भरपूर हमारे देश की प्रगति और सभी नागरिकों को अवसर, न्याय तथा समानता का जीवन प्रदान करने के हमारे प्रयासों का सुदृढ़ आधार हैं। उन्होंने कहा कि हाल की घटनाएं भारत में लोकतंत्र के व्यापक संवर्धन की ओर संकेत करती हैं, जो जनताद्वारा प्रचार और संचार के लिए परंपरागत पद्धतियों के साथ-साथ नये डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल करने की वजह से ज्यादा सहभागी और संवादात्मक बन चुका है। उन्होंने कहा कि यह देखना विशेष रूप से उत्साहजनक है कि समाज के सभी वर्गों के युवा अपनी आकांक्षाएं और महत्वकांक्षाएं व्यक्त ही नहीं करते हैं, बल्कि अपने भविष्य को आकार देने के लिए राजनीति में भी सक्रिय हो रहे हैं-इस बात का स्वागत किया जाना चाहिए। ऐसा सिर्फ इसलिये है, क्योंकि हमारे देश में विभिन्न स्तरों पर जो अभूतपूर्व बदलाव हो रहा है, वह हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में रचनात्मक रूप से सारभूत किया जा सकता है, मुझे भरोसा है और आपको भी होना चाहिए कि बहुलवादी लोकतंत्र के रूप में हमारे देश का भविष्य सुरक्षित और महफूज है। मनमोहन सिंह ने कहा कि मुक्त, पारदर्शी, जवाबदेह और स्वच्छ सरकार देना हमारी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक रहा है, सूचना का अधिकार, लोकपाल कानून, सरकारी खरीद विधेयक, प्राकृतिक संसाधनों के आवंटन की प्रणालियों में बदलाव तथा हमारी कानून प्रवर्तन एवं लेखा परीक्षा एजेंसियों को सशक्त बनाना, इस दिशा में उठाए गए हमारे कुछ कदमों में शुमार हैं, यह कार्य जटिल रहा, क्योंकि हमें अपनी राज्य व्यवस्था की संघीय प्रकृति का सम्मान करते हुए मजबूत पद्धतियों और प्रणालियों को पूरी तरह बदलना पड़ा।
उन्होंने कहा कि प्रशासन को सशक्त बनाना एक सतत प्रक्रिया है और हम यह कभी नहीं कह सकते कि हमने बहुत कुछ कर लिया है, लेकिन मुझे यकीन है कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में तेजी से बदलाव हो रहे हैं और उसी समय उसे तेजी से बदलते विश्व के साथ तालमेल भी बैठाना है, हमारे जैसे विशाल और विविधताओं वाले देश के लिए यह एक विकट चुनौती है, लेकिन हम इस चुनौती से निपटने में सक्षम हैं, खासतौर पर हमें भारत के युवाओं की ऊर्जा और आशावाद से, हमारी जनता को सशक्त बनाने वाली स्वतंत्रताओं से, हमारे चिंतन को समृद्ध बनाने वाली चर्चाओं से, एकता की भावना से, जो उसी समय मजबूत होती है, जब उसकी ज्यादा परख की जाती है तथा राजनीतिक सर्वसम्मति से बल मिलता है, जो हमारी आर्थिक नीति को आधार प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम उस अंतर्राष्ट्रीय भूमिका और उत्तरदायित्व का वहन करने के लिए तैयार हैं, जिनकी विश्व उभरते भारत से अपेक्षा करता है। भारत और उसका प्रवासी समुदाय 22 मिलियन दूतों के बीच सहयोग से आने वाले वर्षों में और गहरा तथा समृद्ध होता जाएगा।