स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 17 January 2014 10:37:17 PM
वाशिंगटन। अमरीका में भारत की राजनयिक रहीं देवयानी खोब्रागडे पर लगाए गए आरोप काफी गंभीर प्रकृति के हैं और उनसे बचने के लिए उन्हें अमरीकी अदालत में अपने को निर्दोष सिद्ध करना ही होगा। देवयानी खोब्रागडे अमरीका की अदालती कार्रवाई से नहीं बच सकेंगी, उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो सकता है और तब भारत सरकार की यह जिम्मेदारी होगी कि वह हर हाल में देवयानी खोब्रागडे को मुकद्मा चलाने के लिए अमरीकी अदालत के सुपुर्द करे। देवयानी खोब्रागडे पर लगे आरोप भारत की दृष्टि में मामूली और कोई चिंता नहीं किए जाने के योग्य हो सकते हैं, लेकिन अमरीका की नज़र में वे गंभीर आरोप हैं और दोष सिद्ध होने पर देवयानी खोब्रागडे को दस साल तक की कड़ी सज़ा हो सकती है। देवयानी की गिरफ़्तारी और उनके साथ गरिमा के विरुद्ध ग़लत व्यवहार के आरोपों को अमरीका के सरकारी वकील प्रीत बरार ने खारिज़ किया है और कहा है कि भारतीय पक्ष में इस मामले की रिपोर्टिंग ठीक तरीके से नहीं की जा रही है, भारतीय राजनयिक के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ है, जैसा वहां की सरकार और मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है।
भारत सरकार इस सच्चाई को अच्छी तरह से जानती है और स्वयं देवयानी खोब्रागडे भी जानती हैं। सवाल ये है कि भारत सरकार देवयानी खोब्रागडे के लिए आखिर किस हद तक जाएगी, क्योंकि मामला देवयानी के राजनयिक कर्तव्य पालन से संबंधित नहीं है, बल्कि एक अपराध हुआ है और अपराध करनेवाली उस समय राजनयिक जैसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन थी, जिसकी एक नहीं बल्कि कई गलतियों को जानकर भी उनके राजनयिक होने के कारण नज़रअंदाज़ किया जाता है। भारत सरकार कूटनीतिक रूप से अमरीका पर दबाव बनाकर इस मामले को खत्म कराना चाहती है, जोकि कानूनन ग़लत भी है और नामुमकिन भी है। भारत सरकार ने अमरीका में भारतीय राजनयिक के कथित सार्वजनिक अपमान की प्रतिक्रिया स्वरूप कुछ कार्रवाईयां करते हुए अमरीका पर जिस प्रकार दबाव बनाया हुआ है, अमरीका को इसकी कोई परवाह नहीं है। मामला अमरीकी अदालत में जा चुका है और वैसे भी देवयानी खोब्रागडे का मामला राजनयिक कर्तव्य से नहीं जुड़ा है, मामला वीजा धोखाधड़ी और घरेलू नौकरानी संगीता रिचर्ड के कार्य संबंधी गंभीर शोषण का है, जिसकी अवहेलना अमरीकी कानून में एक गंभीर अपराध है।
अमरीकी सरकारी वकील प्रीत बरार का कहना है कि देवयानी खोब्रागडे को अमरीकी विदेश विभाग के एजेंटों ने गिरफ़्तार किया था, जो अभियोजन पक्ष का अभियोग कार्यालय है और वह मामले से बेहतर तरीके से निपटे। एजेंटों ने जितना संभव था, गिरफ़्तारी में उनसे शालीनता बरती और अधिकतर प्रतिवादियों की तरह उन्हें हथकड़ी भी नहीं पहनाई गई, बहुत अधिक सर्दी होने के कारण एजेंटों ने अपनी कार से सारे कॉल करवाए. यहां तक कि उनको कॉफी पिलाई गई और उन्हें खाना खाने को भी कहा गया, जबकि भारत सरकार ने देवयानी खोब्रागडे से कथित गलत व्यवहार का आरोप लगाते हुए इसे एक निंदनीय घटना करार दिया है। वास्तविकता यह है कि देवयानी खोब्रागडे ने अपने पद और राजनयिक प्रभाव का बेहद दुरूपयोग करते हुए भारत सरकार से भी सही तथ्य छिपाए। उन्होंने भारत सरकार को जो बताया भारत सरकार ने उसे ही सही मान लिया। दरअसल देवयानी खोब्रागडे पर उनकी घरेलू नौकर का शोषण करने, अधिक घंटों तक काम करवाकर कम भुगतान करने, उसे प्रताड़ित करने और उसको भारत वापस भेजने के लिए अमरीकी वीज़ा दिलाने के लिए झूंठे तथ्य प्रस्तुत करने के गंभीर आरोप लगे हैं और अमरीका में उनपर कानून के तहत कार्रवाई शुरू हुई तो भारत में ग़लत कयास लगाए जा रहे हैं।
प्रीत बरार का कहना है कि वे अमरीकी अदालत में इन सभी आरोपों को सिद्ध करेंगे, जिनके कि पुख्ता सबूत उनके पास हैं और अमरीकी न्याय विभाग में जब तक यह मामला लंबित है, तब तक पीड़ित, गवाहों और उनके परिवारों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए अमरीका पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। प्रीत बरार का कहना है कि ऐसी पक्की सूचना मिली थी कि देवयानी खोब्रागडे, पीड़ित नौकरानी को चुप कराने, उसका शोषण छिपाने और उससे गलत तथ्य जोड़कर उसे भारत लौटने को बाध्य कर उसके खिलाफ भारत में कानूनी कार्रवाई शुरू की गई है। वकील प्रीत बरार बताते हैं कि सच्चाई यह है कि देवयानी खोब्रागडे को गिरफ़्तार करने वाले अधिकारियों ने उनका फोन तक ज़ब्त नहीं किया, जैसा कि वे सामान्य तौर पर करते हैं, बल्कि उन्होंने देवयानी खोब्रागडे को निजी कार्यों के बारे में कॉल करने और जब भी ज़रूरत पड़ी, तब संपर्क कराने की व्यवस्था की गई। उन्होंने कहा कि यहां तक की बच्चों की देखभाल की व्यवस्था करने में भी देवयानी की सहायता की गई। भारत में और भारत सरकार तक ये बातें नहीं पहुंचीं और इसके उलट वहां देवयानी खोब्रागडे के साथ कथित गलत व्यवहार के आरोप में अमरीका के खिलाफ जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। कपड़े उतरवाकर देवयानी की जांच करने पर उन्होंने बताया कि यह सही है कि जब उन्हें मार्शल की हिरासत में लिया गया, तब एक एक महिला डिप्टी मार्शल ने उनकी पूरी जांच की, लेकिन अमरीका में हर प्रतिवादी के साथ ऐसा ही किया जाता है, चाहे वो कोई भी हो। ऐसा भी यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि कैदी के पास कुछ ऐसा न हो, जिससे कि वह दूसरों और खुद को नुकसान पहुंचा सके और यह हर किसी की सुरक्षा के हित में है।
देवयानी खोब्रागडे की घरेलू नौकरानी संगीता रिचर्ड के पति और बच्चे भी अब अमरीका में हैं। उनका कहना है कि पूरे परिवार को एक साथ अमरीका ले आने का फ़ैसला अमरीका ने तब किया, जब भारत में उन्हें धमकाया जा रहा था। अमरीकी प्रवक्ता का कहना है कि यहां इस तरह के आरोपों को बेहद गंभीरता से लिया जाता है। हालॉकि भारत और अमरीकी अधिकारी इस मामले पर लगातार बात कर रहे हैं, तथापि मामला इससे आगे नहीं बढ़ रहा है। अमरीका का रुख भारत की कार्रवाइयों से और ज्यादा सख़्त ही हुआ है। अमरीका ने भारत से साफ कह दिया है कि देवयानी खोब्रगडे को अमरीकी कानून के सामने पेश होना ही होगा और अमरीका कानून का पालन कराना भलि-भांति जानता है। भारत में कानूनी मामलों को भी केवल जनभावनाएं उकसाकर और उनका मनोवैज्ञानिक दबाव रफा-दफा करने का चलन है, लेकिन अमरीका में कोई कानून की उपेक्षा नहीं कर सकता। प्रीत बरार का कहना है कि देवयानी खोब्रागडे के खिलाफ लगे आरोपों की रिपोर्टिंग गलत तथ्यों और गलत सूचनाओं के आधार पर की जा रही है और इसे रोकने की जरूरत है, क्योंकि इससे लोग भ्रमित हो रहे हैं और अमरीका एवं उसकी न्याय व्यवस्था के खिलाफ एक भड़काऊ स्थिति पैदा हो रही है, देवयानी खोब्रागडे पर लगे आरोपों से जुड़े नियमों का अमरीकी विदेश विभाग की वेबसाइट पर ज़िक्र है। सारा मामला कानून और तथ्यों पर आधारित है।
यह मामला न्यूयॉर्क के दक्षिणी ज़िले का है, जिसमें समृद्धशाली वॉल स्ट्रीट और मैनहटन जैसे इलाक़े आते हैं। प्रीत बरार यहीं के अटार्नी हैं और बेहद हाई प्रोफाइल मामले देखते हैं। देवयानी केस भी यही देख रहे हैं। उनके ईमानदार और सख्त रवैये के बारे में अमरीकी खूब जानते हैं। उन्होंने कई बड़े मामलों की पैरवी कर सज़ा दिलवाईं, इनमें आर्थिक कारोबारी कंपनी मैकेंज़ी के कर्ताधर्ता रजत गुप्ता भी हैं। इसी मामले में श्रीलंका मूल के राज राजरत्नम को भी वे दस साल से ऊपर की सज़ा दिलाने में सफल हुए। पाकिस्तानी चरमपंथियों खालिद शेख मोहम्मद और फैसल शहज़ाद के मामले भी प्रीत बरार ने ऐसी ही सफलता प्राप्त की थी। प्रीत बरार मूल रूप से भारत में पंजाब प्रांत के फिरोज़पुर ज़िले के हैं और माता-पिता के साथ करीब दो साल की उम्र में अमरीका आ गए थे। राष्ट्रपति बराक ओबामा ने चार साल पहले जिन सरकारी वकीलों की नियुक्ति की थी, उनमें से एक प्रीत बरार भी हैं। प्रीत बरार ने भी बरॉक ओबामा की तरह कोलंबिया लॉ स्कूल और हार्वर्ड से कानून की पढ़ाई की है। बहरहाल अमरीका ने देवयानी खोब्रागडे की बेगुनाही पर भारत के सारे दबाव व तर्क खारिज कर दिए हैं और कहा है कि उसके अभियोजन अधिकारी के पास देवियानी के खिलाफ़ मुकद्मा चलाने के पुख़्ता सबूत हैं, वे यहां आकर अदालत में अपने को निर्दोष साबित करें, उन्हें कोई राजनयिक छूट नहीं मिलेगी, रही मुकद्मा समाप्त करने की बात तो भारत सरकार के अधिकारियों को बता दिया गया है कि ऐसा भारत में होता होगा, अमरीका में नहीं।
अमरीकी विदेश विभाग का कहना है कि देवयानी खोब्रागडे पर चल रहे आपराधिक मुकदमे में अब किसी भी अवस्था में कोई भी बदलाव नहीं आएगा भले ही देवयानी भारत लौट गई हैं। विदेश विभाग की प्रवक्ता मैरी हार्फ़ का कहना है कि उनका तबादला संयुक्त राष्ट्र स्थित उच्चायोग में कर दिए जाने का मामले से कोई मतलब नहीं है, भले ही वहां राजनयिक को पूर्ण इम्यूनिटी का हक़ है, उधर भारत सरकार ने मांग की है कि देवयानी खोब्रागडे के ख़िलाफ़ आपराधिक मुकद्मे को फ़ौरन वापस लिया जाए. जबकि अमरीकी कानून के हिसाब से यह संभव नहीं है। अमरीका में इस तरह के आरोपों को बेहद गंभीरता से लिया जाता है। अमरीकी प्रवक्ता ने मुकद्मे की वापसी की संभावना से पूरी तरह से इंकार किया है। विदेश मंत्री जॉन केरी ने भी महिला राजनयिक की गिरफ्तारी के मामले पर खेद भर जताया है, लेकिन देवयानी पर जो आरोप लगे हैं, उनसे पीछे हटने को अमरीका तैयार नहीं हैं।